देहरादून (गौरव ममगाई)। ज़ब संतान पर खतरा हो तो अभिभावक चैन की नींद कैसे सो सकते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ उत्तराखंड के अभिभावक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ। सिलक्यारा टनल हादसे ने सीएम धामी को एक पल भी चैन से रहने नहीं दिया। 11 दिनों की एक-एक रात सीएम धामी के लिए मुसीबत से कम गुजरी। हर रात को सीएम धामी इस उम्मीद में काटते रहे कि शायद अगला 41 श्रमिक भाईयों के लिए नई सुबह लेकर आयेगा…
सीएम आवास से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सीएम धामी रात को सोते नहीं थे। देर रात को उनकी नींद खुलती रहती और वो ईश्वर से श्रमिक भाईयों के जल्द सकुशल लौटने की कामना करते थे। सीएम धामी अचानक रेसक्यू टीम को फोन लगाकर अपडेट लिया करते थे। सरकारी कामकाज के बीच भी उन्हें जैसे ही 1 से 2 मिनट का समय मिलता, वो रेसक्यू की प्रोग्रेस के बारे जानकारी लेते थे। पिछले कुछ दिनों से सीएम धामी रेसक्यू में इतने व्यस्त हो गये थे कि वह खुद पर भी कम ध्यान देते थे। यह देखकर कई बार तो सीएम के परिजन भी चिंतित देखे गये।
हालांकि, परिजन भी समझते थे कि सीएम धामी अभिभावक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, इसलिए उनके कर्तव्य के बीच आना उचित नहीं होगा। वहीं, सीएम धामी ने साफ कहा था कि यह रेसक्यू उनके लिये बहुत बड़ा टास्क है, ज़ब तक इस परीक्षा को पास नहीं कर लेते, वह चैन से बैठ नहीं सकते। हमने देखा भी था कि उत्तराखंड से बाहर होने पर भी सीएम धामी किस तरह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़कर रेसक्यू पर हर पल नजर बनाये हुए थे।
अब जाकर 12वें दिन रेसक्यू पूरा हो रहा है तो सीएम धामी चैन की सांस लेंगे। आखिर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने साबित कर दिया कि एक मुख्यमंत्री प्रदेश का अभिभावक होता है। हर व्यक्ति की सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी है और वह उत्तराखंडवासी व यहां रह रहे हर व्यक्ति की सुरक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।