उत्तराखंड

CM धामी ने छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि पर किया नमन, बोले- आप की शौर्य गाथाएं हमेशा प्रेरित करती रहेंगी

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत के महान शासक और कुशल योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया है। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया है कि माँ भारती के अमर सपूत, परम पराक्रमी, अदम्य साहस व शौर्य के प्रतीक, युग परिवर्तनकारी छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन। आप की शौर्य गाथाएं आने वाली पीढ़ियों को देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने हेतु प्रेरित करती रहेंगी।

शिवाजी महाराज आधुनिक भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी माने जाते हैं। वह राष्ट्रवादी सोच के प्रवर्तक रहे। शिवाजी एक साहसी योद्धा होने के साथ ही अतिकुशल रणनीतिकार भी थे। उनके राज्याभिषेक को रोकने के लिए कई तरह की साजिशें की गईं, लेकिन उन्होंने सभी बाधाओं को पार करके हिंदू राज्य की स्थापना की। शिवाजी को मुगलों के साथ ही मराठाओं से भी कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बीजापुर की आदिलशाही, अहमदनगर की निजामशाही और औरंगजेब की मुगलिया सल्तनत की शक्तिशाली विशाल सेनाओं को उन्होंने कई बार नाकों चने चबवाए थे। उन्हें 1674 में छत्रपति की उपाधि हासिल हुई थी।

छत्रपति की उपाधि हासिल करने के बाद शिवाजी महाराज ने खानदेश, बीजापुरी पोंडा, करवर, कोल्हापुर को अपने कब्जे में ले लिया था। इसके बाद उन्होंने दक्षिण के राजाओं को विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ एकजुच होने की अपील की। 1677 में कर्नाटक पर धावा बोलकर वैलूर और जिंगी किले हासिल कर लिए। वे अपने सौतेले भाई वेंकोजी से सुलह करना चाहते थे, लेकिन बात नहीं बनी। लड़ाई के बाद उन्होंने मैसूर का बहुत सारा इलाका अपने कब्जे में कर लिया।

शिवाजी महाराज की मृत्य 3 अप्रैल 1680 को हुई थी, उस समय वह 50 साल के थे। उनकी मौत के कारण को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ का कहना है कि उनकी स्वाभाविक मृत्यु हुई थी, जबकि कई किताबों में लिखा गया है कि उन्हें साजिश के तहत जहर देकर मारा गया था। कहा जाता है कि जहर की वजह से उन्हें खून की पेचिस होने लगी थी, जिसे ठीक नहीं किया जा सका। दावा यह भी किया जाता है कि शिवाजी तीन साल से बीमार चल रहे थे।

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