सीएम धामी ने खोले कई राज, कैसे छोटी उम्र में राम आंदोलन में निभाई भूमिका ?
देहरादून (गौरव ममगाईं)। राम आंदोलन, ऐसा ऐतिहासिक आंदोलन था, जिसके कारण आज राम लला अपने जन्म स्थान पर विराजेंगे। आंदोलन के समय माहौल ऐसा था मानों सरहद पर जंग हो रही हो, मगर फिर भी लाखों रामभक्त कहां रूकने वाले थे। इन्हीं में एक छोटी उम्र का युवा भी था, जिसने ठाना था कि अंजाम जो भी हो, लेकिन इस पुनीत कार्य में वो भी पीछे नही रहेगा। नाम था- पुष्कर सिंह धामी।
उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अयोध्या में श्रीराम लला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर बेहद उत्साहित हैं, हों भी क्यों न। उन्होंने राम लला को अपनी ही जन्मभूमि में संघर्ष करते हुए जो देखा है.. सीएम पुष्कर सिंह धामी अयोध्या का वो दृश्य याद करते हुए आज भी भावुक हो जाते हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अयोध्या से जुड़ी यादों को साझा किया और राम आंदोलन में उनकी भूमिका से जुड़े कई राज खोले।
..राम लला को टैंट के नीचे देखा तो सीएम धामी ने लिया था प्रण
सीएम धामी ने बताया कि स्कूल के समय से ही वो अयोध्या के बारे में सुना करते थे। तब से उनकी अयोध्या के बारे में जिज्ञासा उत्पन्न हो गई थी। फिर उन्होंने कॉलेज में एडमिशन लिया और इस दौरान वे एबीवीपी से जुड़ गये थे। तब उन्हें अयोध्या जाने का अवसर मिला था। जैसे ही वे अयोध्या स्टेशन में उतरे तो वहां का दृश्य देखकर विश्वास नहीं हुआ कि यह श्रीराम भगवान की अयोध्या है। वहां सब कुछ बिखरा पड़ा था।
सीएम धामी ने बताया कि जब वह राम जन्मभूमि में पहुंचे तो वहां राम लला को टैंट के नीचे देखा तो मन बहुत व्यथित हुआ। मन में सवाल आया कि हमारे आराध्य राम इस हालत में कैसे हो सकते हैं ? हम अपने भगवान को उनके जन्म स्थान पर स्थापित क्यों नही कर सके ? सीएम धामी कहते हैं कि उस समय मेरी उम्र बहुत छोटी थी, लेकिन मैंने उसी दिन प्रण ले लिया था कि राम आंदोलन में वो भी पीछे नहीं रहेंगे। चाहे उन्हें किसी भी तरह की कुर्बानी क्यों न देनी पड़ी।
..जब एबीवीपी ने युवा पुष्कर सिंह धामी को सौंपी जिम्मेदारी
फिर राम आंदोलन चरम पर पहुंचने लगा था। भाजपा ने अपने आनुषांगिक संगठनों को आंदोलन को सफल बनाने के लिए बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी। इसी के तहत एबीवीपी को भी आंदोलन की गतिविधियों पर नजर रखने व कारसेवकों को हरसंभव सहायता पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। एबीवीपी में पुष्कर सिंह धामी बेहद कर्मठ एवं संघर्षशील नेता के रूप में जाने जाते थे, इसलिए एबीवीपी ने पुष्कर सिंह धामी को आंदोलन की मुख्य जिम्मेदारी दी थी। सीएम धामी बताते हैं कि उस समय हर तरफ पुलिस का कड़ा पहरा रहता था, लेकिन वे छिप-छिपकर अपने मिशन को अंजाम दिया करते थे। राम लला के प्रति श्रध्दा एवं अटूट आस्था की शक्ति के कारण ही उन्हें अपनी जान जाने का भय नहीं लगता था। उन्होंने कई कारसेवकों को अयोध्या पहुंचाने में भी मदद की थी।
सीएम पुष्कर सिंह धामी कहते हैं कि उन्होंने वो कष्टदायी क्षणों को स्वयं देखा है, इसलिए आज राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर वे बेहद खुश हैं। सीएम धामी ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन हो रहा है। यह सिर्फ हिंदुओं ही नहीं, बल्कि हर भारतीय के लिए गौरव का क्षण होगा, क्योंकि भगवान राम ने अपने राज में हर वर्ग के कल्याण एवं उत्थान को सर्वोपरि माना है। बता दें कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सरकारी कार्यक्रमों की थीम भी ‘राम आयेंगे’ पर रखी गई है।