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CM धामी ने दिखाया डबल इंजन का ‘दम’, उत्तराखंड नहीं किसी से कम

राज्य गठन के बाद उत्तराखंड के सामने भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षिक चुनौतियां रहीं। वर्ष 2001 में केंद्र सरकार ने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देकर सहारा दिया। समय के साथ-साथ उत्तराखंड ने उठना शुरू किया। एनडी तिवारी, बीसी खंडूडी, हरीश रावत के रूप में कई मुख्यमंत्रियों ने ऐतिहासिक कार्य किए, जो प्रदेश की प्रगति में मददगार साबित हुए। वहीं, दूसरी ओर यह भी कड़वा सच है कि प्रदेश ने जब-जब विकास की रफ्तार पकड़नी शुरू की, तभी राजनीतिक अस्थिरता के रूप में मार्ग में ब्रेकर आते रहे।

गौरव ममगाई, देहरादून

9 नवंबर 2000 का दिन, जब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश से अलग होकर एक छोटा-सा हिमालयी राज्य अस्तित्व में आया, नाम था- उत्तराखंड (गठन के समय उत्तरांचल)। करीब दो दशक के लंबे संघर्ष और कई शहादतों के पश्चात नया राज्य नसीब हुआ। रामपुर तिराहा कांड में मां-बहनों की अस्मिता को ताक पर रखा गया। मसूरी, देहरादून, श्रीनगर में अनेक गोलीकांड व हिंसक घटनाओं में दर्जनों जानें गंवानी पड़ी। बस कसूर इतना था कि वो अलग राज्य चाहते थे, जहां उनकी सुनवाई हो। आंदोलनकारियों की मुख्य मांगों में महिलाओं को हक, राजनीतिक स्थिरता, पर्वतीय क्षेत्रों का विकास, संस्कृति संरक्षण, संसाधनों पर उत्तराखंडियों का हक जैसे अनेक विषय प्रमुखता में रहे। लंबे संघर्ष के बाद अलग राज्य तो मिल गया, लेकिन क्या हम उन सपनों को पूरा कर पाए हैं, जो आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड के लिए देखे थे। राज्य गठन के बाद उत्तराखंड के सामने भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षिक चुनौतियां रहीं। वर्ष 2001 में केंद्र सरकार ने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देकर सहारा दिया। समय के साथ-साथ उत्तराखंड ने उठना शुरू किया। एनडी तिवारी, बीसी खंडूडी, हरीश रावत के रूप में कई मुख्यमंत्रियों ने ऐतिहासिक कार्य किए, जो प्रदेश की प्रगति में मददगार साबित हुए।

वहीं, दूसरी ओर यह भी कड़वा सच है कि प्रदेश ने जब-जब विकास की रफ्तार पकड़नी शुरू की, तभी राजनीतिक अस्थिरता के रूप में मार्ग में ब्रेकर आते रहे। राजनीतिक अस्थिरता ने प्रदेश को न सिर्फ सियासी रूप में, बल्कि अर्थव्यवस्था, पर्यटन, के साथ सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश को भी चोट पहुंचायी है। कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ही पार्टियों में एनडी तिवारी (2002-07) के बाद कोई ऐसा सीएम नहीं आया, जो 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर सके। हालांकि, वर्तमान में सीएम पुष्कर सिंह धामी के रूप में लंबे समय बाद आशावान एवं ऊर्जावान राजनेता देखने को जरूर मिल रहा है, जिसे न सिर्फ पीएम मोदी का भरोसा हासिल है, बल्कि वह कई मुश्किल चुनौतियों का डटकर सामना भी कर रहे हैं।

वर्तमान सरकार गठन से पहले पिछले अल्प कार्यकाल (तीरर्थसिंह रावत को सीएम पद से हटाने के पश्चात) के दौरान ही सीएम धामी ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र्र सिंह रावत (तीरर्थ सिंह रावत से पहले सीएम रहे) के महात्वाकांक्षी देवस्थानम बोर्ड को भंग कर पहले ही अपने इरादे जता दिए थे। उन्होंने पार्टी के पूर्व सीएम रावत की नाराजगी को दरकिनार करते हुए पांडा एवं पुरोहितों की भावना का सम्मान करना आवश्यक समझा। वहीं, धामी ने भाजपा के एजेंडे में शामिल समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को उत्तराखंड में लागू करने का फैसला लेकर जता दिया कि अनुभव में भले ही वह अन्य सीएम से पीछे हों, लेकिन कठोर फैसले लेने में वह पीछे नहीं रहने वाले। वहीं, धामी ने उत्तराखंडियत एवं जमीन को बचाने के लिए सख्त भू-कानून बनाना, राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण देने, महिलाओं को विशेष महिला नीति सौंपने की दिशा में निर्णायक कदम उठाकर प्रदेशवासियों का ध्यान आकर्षित किया है। अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी उत्तराखंड में आज देश ही नहीं, विदेश के पूंजीपति भी निवेश करने की संभावनाएं देख रहे हैं।

सीएम धामी ने विदेशी निवेश लाने के लिए अमेरिकी कंपनी ग्लोबल मैकेन्जी के साथ अनुबंध भी किया है। सरकारी भर्तियों में गड़बड़ी मिलने पर दोषियों को जेल में डलवाने के साथ ही भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाने हेतु नकल रोधी अधिनियम लागू करना भी ऐतिहासिक एवं युवाहितैषी कदम समझा जा सकता है। सीएम धामी के अनेक निर्णयों में जनता की आकांक्षाओं को महसूस किया जा सकता है। उनका सरल एवं शांत स्वभाव के कारण सरकार के वरिष्ठतम मंत्री भी उनसे बड़े आदर से पेश आते हैं, इसे सीएम का राजीनीतिक चातुर्य भी कहें तो गलत न होगा। कहा जा सकता है कि बार-बार राजनीतिक अस्थिरता के अनुभव वाले इस राज्य में सीएम धामी के नेतृत्व में विकास केंद्रित बातें होना शुभ संकेत है। आइए जानते हैं सीएम पुष्कर सिंह धामी के ऐसे ही ऐतिहासिक एवं जनप्रिय निर्णयों के बारे में।

पहला निर्णय- समान नागरिक संहिता

उत्तराखंड को जल्द समान नागरिक संहिता कानून मिलने की उम्मीद है। कानून का ड्राफ्ट अंतिम चरण में है, कानून बन जाने के बाद उत्तराखंड देश में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला शीर्ष राज्य बन जाएगा। इसी के साथ सीएम पुष्कर्र सिंह धामी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह को भी खासा प्रभावित करेंगे, क्योंकि समान नागरिक संहिता को लागू करना भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में शामिल रहा है। भले ही भाजपा शासित राज्यों में यह कानून लागू नहीं हो सका है, लेकिन उत्तराखंड में सीएम धामी साबित कर देंगे कि भले ही वह अनुभव में अन्य सीएम से कम हों, लेकिन योग्यता एवं कार्यक्षमता में किसी से पीछे नहीं हैं।

दूसरा निर्णय-भूमाफियाओं पर कसा शिकंजा
धामी सरकार जल्द प्रदेश को नया भूकानून सौंपने जा रही है। इस कानून के आने से प्रदेश में औद्योगिक नीतियों का दुरुपयोग कर भूमि कब्जाने वाले बाहरी व्यक्तियों पर लगाम लग सकेगी। पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ कि उद्योगों के नाम पर लगी गई सरकारी भूमि पर उद्योग नहीं पाए गए हैं। वहीं, सख्त भू-कानून की मांग कर रहे राज्य आंदोलनकारी व युवा भी सीएम धामी के इस कदम से खासे उत्साहित हैं। भू-कानून का इतिहास : राज्य गठन के पश्चात यहां वर्ष 2003 में एनडी तिवारी सरकार ने उत्तर-प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम-1950 में संशोधन किया, जिसमें बाहरी व्यक्तियों को 500 वर्ग मीटर से ज्यादा भूमि लेने पर रोक लगाई। 2008 में पूर्व सीएम बीसी खंडूडी ने इस सीमा को घटाकर 250 वर्ग मी. कर दिया। वर्ष 2018 में भाजपा सरकार में ही पूर्व सीएम त्रिवेंद्र्र ंसह रावत ने इस सीमा को हटाकर फर्म व उद्योगों को सरकारी भूमि लेने की स्वतंत्रता दे दी। इस फैसले का खासा विरोध भी देखने को मिला था। अब धामी ने जनता की आवाज को समझते हुए जनहित में भू-कानून को सख्त करने का फैसला लिया।

तीसरा निर्णय-महिला नीति से बहनों के साथ करेंगे न्याय
राज्य बने 23 वर्ष पूरे होने को हैं, लेकिन महिलाओं को महिला नीति नहीं मिल सकी। अब धामी सरकार के कार्यकाल में ही महिलाओं को महिला नीति भी मिलने जा रही है। सीएम धामी ने राज्य महिला आयोग को शीघ्र कार्य पूरे करने को कहा है। सीएम नहीं चाहते हैं कि पूर्ववर्ती सरकारों की तरह महिला नीति को ठंडे बस्ते में डाला जाए. बता दें कि पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार में भी महिला नीति को लागू करने का वायदा किया गया, लेकिन कुछ प्रयासों के बाद गति मंद पड़ गई थी।

चौथा निर्णय-अगले 5 वर्ष में दोगुनी होगी अर्थव्यवस्था
सीएम धामी के नेतृत्व में प्रदेश तेजी से आर्थिक तरक्की भी कर रहा है। वर्ष 2022-23 में राज्य की अर्थव्यवस्था 3 लाख दो हजार करोड़ की दर्ज की गई, जिसका विकास दर 7.09 प्रतिशत रहा। यानी पिछली विकास दर (7.04) से भी ज्यादा। वहीं, सीएम धामी यहीं नहीं रुके। उन्होंने अगले 5 वर्षों में दोगुनी अर्थव्यवस्था का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए वह निवेश हेतु देश-विदेश में भी दौरे कर रहे हैं।

पांचवां निर्णय-सरकारी भर्ती प्रक्रिया को बनाया जवाबदेह
प्रदेश में अनेक भर्तियों में गड़बड़ी सामने आने के बाद सीएम धामी ने दोषियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया। गड़बड़ी में संलिप्त उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अधिकारी व भाजपा नेता भी जेल भेजे गए। धामी ने सरकारी भर्ती प्रक्रिया को जवाबदेह बनाने के लिए सख्त नकल रोधी कानून लागू किया, जिसमें गड़बड़ी करने पर दोषी पर 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा। अभ्यर्थी के पकड़े जाने पर उसे प्रतिबंधित भी किया जाएगा, ऐसा कानून लागू करने में भी उत्तराखंड शीर्ष राज्यों में है।

छठवां निर्णय-मानसखंड से कुमाऊं की बदलेगी सूरत
कुमाऊं क्षेत्र में मानसखंड कॉरिडोर (मंदिरमाला) के तहत प्रमुख मंदिरों को आपस में जोड़ा जाएगा। यही नहीं, मानसखंड कॉरिडोर को बद्रीनाथ-केदारनाथ से भी जोड़ने की योजना है। इससे कुमाऊं क्षेत्र के प्रमुख मंदिरों के पौराणिक इतिहास से देश-विदेश में लोगों को रूबरू कराया जाएगा, इससे यहां पर्यटन के अवसर भी पैदा होंगे।

सातवां निर्णय-निर्यात में भी उत्तराखंड शीर्ष पर
निर्यात तैयारी सूचकांक (एक्सपोर्ट प्रिप्रेशन इंडेक्स) में उत्तराखंड ने देश में नौवां स्थान हासिल किया। इस बार पिछली बार से 7 रैंक का सुधार दर्ज किया है, जबकि हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड वर्ष 2022-23 में भी टॉप पर रहा है। बता दें कि उत्तराखंड कई देशों में फार्मा, धातु व अन्य उत्पाद बड़े स्तर पर निर्यात कर रहा है। सीएम धामी निर्यात प्रोत्साहन पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।

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