उत्तराखंडराजनीति

सीएम धामी का यूसीसी पर बड़ा खुलासा, जानें कब होगा लागू ?

देहरादून (गौरव ममगाईं)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने यूसीसी को लागू करने का सरकार का पूरा कार्यक्रम सार्वजनिक कर दिया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि 2 फरवरी को विशेषज्ञ समिति सरकार को फाइनल ड्राफ्ट सौंपने जा रही है। इसके बाद 5 फरवरी को सरकार विधानसभा सत्र में यूसीसी विधेयक को पेश करेगी। सीएम धामी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि विधानसभा में पारित होने के बाद सरकार इसे लागू करने में जरा भी देरी नहीं करने वाली है। इसे शीघ्र ही राज्यपाल से मंजूरी दिलाई जाएगी, जिसके बाद सरकार पूरे प्रदेश में यूसीसी को लागू कर देगी।

दरअसल, यूसीसी प्रारंभ से ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्राथमिकता में रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव-2022 में भी सीएम धामी ने जनसभाओं में घोषणा की थी कि अगर जनता ने उन्हें दोबारा सेवा को मौका दिया तो वे उत्तराखंड को यूसीसी सौंपेंगे। 2022 में प्रचंड बहुमत के साथ सीएम धामी दोबारा सीएम बने और पहले ही दिन से उन्होंने यूसीसी को लाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए थे। खास बात ये भी है कि सीएम धामी इस कानून को जल्द लाने के लिए गंभीर तो थे, परंतु वे ये नहीं चाहते थे कि कानून में किसी भी वर्ग, समुदाय विशेष के अधिकारों का हनन हो। यह सुनिश्चित करने के लिए सीएम ने पूर्व न्यायधीश (रिटा.) रंजना देसाई की अक्ष्यक्षता विशेषज्ञ समिति गठित की थी, जिसमें हर क्षेत्र के सदस्यों को शामिल किया। प्रदेश ही नहीं,  देशभर से समिति ने सुझावों को लिया और प्रत्येक हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श व परामर्श लेकर ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया गया।

 अब 2 फरवरी को फाइनल ड्राफ्ट मिलने के बाद सरकार ने 5 फरवरी को विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश करने की पूरी तैयारी कर ली है। सीएम धामी द्वारा यूसीसी पर किए खुलासे के बाद स्पष्ट हो गया है कि यूसीसी आगामी फरवरी महीने के प्रारंभ में लागू हो सकता है। राजनीतिक जानकारों का तो कहना है कि सीएम धामी के रूख को देखते हुए 8 से 10 फरवरी के बीच उत्तराखंड में यूसीसी के लागू होने की उम्मीद है। इसी के साथ उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगा। यह उत्तराखंड व सीएम धामी के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में भी ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।

क्या हैं यूसीसी के मायने ? 

यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मध्य प्रदेश, गुजरात व यूपी मौजूदा समय में भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ माने जाते हैं, यहां एक से दो दशक तक भाजपा की सरकारें रही हैं, लेकिन यहां भी यूसीसी को लागू नहीं किया जा सका है। मगर, उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साबित किया है कि वह भले ही अनुभव में सबसे कम हों, मगर क्रांतिकारी व मुश्किल निर्णय लेने में जरा भी पीछे नहीं रहने वाले हैं। सीएम धामी के इस ऐतिहासिक कदम से भाजपा का दशकों पुराना एक भारत, श्रेष्ठ भारत का सपना भी साकार होता नजर आएगा। वहीं, यूसीसी को लागू करते ही सीएम धामी एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने नेतृत्व एवं निर्णय क्षमता से प्रभावित करेंगे। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा राम मंदिर और यूसीसी का मुद्दा खूब भुनाएगी, जिसका भाजपा को बड़ा लाभ मिलने की भी संभावना है। यही कारण है कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों की धड़कनें भी तेज हो गई हैं। बता दें कि 1970 के दशक के प्रारंभ में सबसे पहले गोवा में यूसीसी को लागू किया था। गोवा में इसाई समुदाय अधिक होने के कारण यूसीसी को लागू करने में कोई समस्या नहीं आयी थी। जबकि, भारत में कांग्रेस समेत कई अन्य पार्टियां य़ूसीसी लागू करने को धार्मिक स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप करार देती रही हैं। इसलिए यूसीसी लोकककल्याण से ज्यादा राजनीतिक मुद्दा बना रहता है।

प्रस्तावित यूसीसी ड्राफ्ट में ये हो सकते हैं प्रावधान

–     लिव-इन-रिलेशनशिप मे रह रहे प्रेमियों को पुलिस स्टेशन में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य।

–     महिला विवाह आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष किया जा सकता है।

–     विवाह पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। यदि कोई पंजीयन नहीं कराता है तो सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होगा।

–     हलाला व इद्दत प्रथा को बंद करने की सिफारिश

–     बहुविवाह प्रथा (एक से ज्यादा पत्नी रखना) पर रोक

–     जनसंख्या नियंत्रण

क्या है यूसीसी ?

भारतीय संविधान में भाग-4 में राज्य के नीति-निदेशक तत्व (डीपीएसपी) के कई विषय आर्टिकल 36 से 51 तक वर्णित हैं। ये वे विषय हैं, जिन्हें संविधान ने किसी भी राज्य में लोककल्याण की स्थापना हेतु आवश्यक माना है। इन्हीं में आर्टिकल – 44 में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) का वर्णन है। इसका उद्देश्य देश के समस्त नागरिकों के लिए एकसमान कानून बनाना है, जिसमें जाति, क्षेत्र व अन्य भेदभाव न हों। 

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