नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना और सीएम अरविंद केजरीवाल के बीच फिर से नया घमासान शुरू हो सकता है। दरअसल, LG ने केजरीवाल के आवास के रेनोवेशन में हुई कथित घोर अनियमितताओं से संबंधित मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेकर मुख्य सचिव से 15 दिन में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। जिसके बाद माना जा रहा है कि, केजरीवाल एक बार फिर LG के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता, LG को निशाना बना सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, LG दफ्तर की तरफ जारी किए गए बयान में कहा गया है कि LG ने सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास के रेनोवेशन में कथित घोर अनियमितताओं से संबंधित मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लेकर मामले की संवेदनशीलता के मद्देनज़र मुख्य सचिव से मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड को फ़ौरन सुरक्षित करने और सुरक्षात्मक हिरासत में लेने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, रिकॉर्ड्स की जांच के बाद 15 दिनों के अंदर इस मामले पर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। बता दें कि, भाजपा दावा कर रही है कि दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके स्थित सीएम केजरीवाल के सरकारी बंगले के रेनोवेशन पर लगभग 45 करोड़ रुपये लगाए गए हैं। इसमें करोड़ों रुपये के पर्दे, कालीन, विदेशी संगमरमर और टीवी तक लगाए हैं। भाजपा ने नैतिकता के आधार पर केजरीवाल के त्यागपत्र की मांग की थी।
भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए ‘AAP’ के दिग्गज नेता राघव चड्ढा ने कहा था कि CM हाउस 75-80 साल पहले 1942 में बनाया गया था। दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) ने ऑडिट के बाद इसके रेनोवेशन की अनुशंसा की थी। वहीं, AAP नेता के दावे के उलट PWD के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था यह रेनोवेशन नहीं था, बल्कि पुराने ढांचे के स्थान पर एक नए ढांचे का निर्माण किया गया है। वहां उनका कैंप ऑफिस भी मौजूद है। इसमें लगभग 44 करोड़ रुपये खर्च हुए है, यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि पुराने ढांचे को नए के साथ बदला गया है।
क्या है पूरा मामला?
सूत्रों द्वारा मुहैया कराए गए डाक्यूमेंट्स से पता चलता है कि 43.70 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के मुकाबले कुल 44.78 करोड़ रुपये सिविल लाइंस में छह-फ्लैगस्टाफ रोड पर केजरीवाल के सरकारी बंगले के ”अतिरिक्त निर्माण या रेनोवेशन” पर खर्च किए गए। दस्तावेजों से पता चलता है कि रकम नौ सितंबर, 2020 से जून, 2022 के बीच 5 किस्तों में खर्च की गई। दरअसल, 10 करोड़ से अधिक की रकम का खर्च दिखाने के लिए टेंडर जारी करना पड़ता है, इसलिए दिल्ली सरकार ने 5 किश्तों में 10 करोड़ से कम की राशि निकाली और बिना टेंडर निकाले ही सीएम आवास का रेनोवेशन करवा दिया। दरअसल, नियम के अनुसार, सरकारी कार्य के लिए यदि 10 करोड़ रुपए से अधिक की रकम की आवशयकता होती है, उससे संबंधित फाइल वरिष्ठ अधिकारियों के पास जाती हैं। जिसके बाद टेंडर निकालकर काम करवाया जाता है, जो सबसे कम बोली लगाता है, उसे टेंडर मिल जाता है। इसी को देखते हुए सीएम केजरीवाल के घर को सँवारने के लिए 10 करोड़ रुपए से कम रकम 5 बार आवंटित की गई। जिससे फाइल को अधिकारियों को भेजने की आवश्यता ही नहीं पड़ी। ऐसे में इस मामले में भ्रष्टाचार की भी गुंजाइश है।