मप्र : सीएम शिवराज ने कहा, प्रो.चेतन सिंह जैसे हीरे भी प्रदेश में पैदा होते हैं
मध्यप्रदेश: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को भोपाल के मिंटो हॉल में ‘एनर्जी स्वराज यात्रा’ का स्वयं गाड़ी में सवाह होकर ‘विधिवत शुभारंभ किया । इस अवसर पर प्रदेश के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग के साथ ही आला अधिकारी एवं एनर्जी स्वराज फाउंडेशन तथा मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के पदाधिकारी मौजूद रहे ।
इस अवसर पर सीएम शिवराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि मध्यप्रदेश अपने हीरों की खदानों के लिए जाना जाता है लेकिन प्रो. चेतन सिंह सोलंकी जैसे हीरे भी यहां पैदा होते हैं जो पूरे विश्व में अपना और प्रदेश का नाम रोशन करते हैं। जीते तो सब हैं लेकिन जो दूसरों के लिए जीये, वह सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के माध्यम से सौरऊर्जा के क्षेत्र में बहुत ही व्यापक और अद्भुत कार्य किया जा रहा है।
इसलिए अब आगे से प्रो. चेतन सिंह सोलंकी मध्य प्रदेश में सौरऊर्जा के क्षेत्र में ब्रांड एम्बेसडर होंगे। सिंह ने कहा कि धरती के पारंपरिक ऊर्जा संसाधन धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं। इनसे प्रदूषण भी होता है। भावी पीढ़ियों के कल्याण के लिए हमें सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करना होगा।
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उन्होंने कहा कि रीवा के गूढ़ में स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना 750 मेगावाट की है हम जल्द ही 1000 मेगावाट तक इसे लेकर जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विभिन्न सौर ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से मध्य प्रदेश भविष्य में 10,000 मेगावॉट बिजली का उत्पादन करेगा और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अहम योगदान देगा।
उनका कहना था कि हमने आगे सौर ऊर्जा के लिए ओंकारेश्वर क्षेत्र को चिन्हित किया है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने सौर ऊर्जा पर प्रति यूनिट की क्रय दर का भी जिक्र किया और बताया कि अभी 2 रुपये 97 पैसे यह है, जो अब तक की न्यूनतम दर है। सौर परियोजना को पर्यावरण की दृष्टि से देखें तो रीवा सौर परियोजना से हर साल 15.7 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के उर्त्सजन को रोका जा रहा है, जो 2 करोड़ 60 लाख पेड़ों को लगाने के बराबर है।
सीएम शिवराज ने कहा कि आगे जैसे-जैसे टेक्नॉलॉजी का विकास होगा सौर ऊर्जा पर प्रति यूनिट की क्रय दर कम होती चली जाएगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने गायत्री मंत्र के महत्व एवं ऊर्जा से उसने आंतरिक जुड़ाव पर भी आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से प्रकाश डाला।
एनर्जी स्वराज फाउंडेशन तथा मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के संयुक्त तत्वावधान में इस यात्रा का आयोजन किया गया है। इसी के साथ कार्यक्रम स्थल पर प्रात: 09.00 बजे से सौर-बस एवं सौर-घर का प्रदर्शन भी किया गया । बताया जा रहा है कि यह यात्रा वर्ष 2020 से 2030 तक चलेगी।
उल्लेखनीय है कि भारत में सौर ऊर्जा निर्माण के अंतर्गत मध्य प्रदेश का बहुत बड़ा हिस्सा है। यही कारण है कि आज दुनिया के देशों में सौर ऊर्जा उत्पादन को लेकर शीर्ष के पांच देशों में भारत भी एक है ।
देश में यदि सौर ऊर्जा विकास की यही गति रही तो वह दिन भी दूर नहीं जब भारत विश्व में नम्बर एक पर होगा। भारत ने सौर ऊर्जा के विकास के साथ ही दुनिया को ये दिखाया है कि इकोनॉमी और पर्यावरण एक-दूसरे के पर्याय हो सकते हैं। यहां रीवा का सौर ऊर्जा प्लांट 1590 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित है।
यह दुनिया के सबसे बड़े सिंगल साइड सौर सयंत्रों में से एक है। इस प्लांट में कुल तीन इकाइयां है। प्रत्येक इकाई में 250 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। परियोजना से पैदा हुई बिजली का 76 फीसद हिस्सा प्रदेश की पावर मैनेजमेंट कंपनी और 24 फीसद दिल्ली मेट्रो को दिया जा रहा है।
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