पैदल न चलें, सरकार पहुंचाएगी घर: योगी
लखनऊ (राघवेन्द्र प्रताप सिंह): उत्तर प्रदेश में प्रवासी कामगारों को लेकर अब तक 170 ट्रेनें पहुंच चुकी हैं। इन ट्रेनों से पिछले चार दिनों में 2.25 लाख प्रवासी कामगार सकुशल प्रदेश में पहुंच चुके हैं। साथ ही एक लाख से ज्यादा लोग राज्य परिवहन निगम की बसों व अन्य साधनों से पिछले चार दिनों में उत्तर प्रदेश पहुंच चुके हैं।
पैदल चलना स्वास्थ्य-सुरक्षा के लिए खतनाक
इसके मद्देनजर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को प्रवासी कामगारों, श्रमिकों से फिर अपील की है कि वह जहां हैं वहीं रुकें। सम्बन्धित जिला प्रशासन साधन उपलब्ध करा रहा है और उन्हें सुरक्षित पहुंचाया जायेगा। सीएम ने कहा कि पैदल या दो पहिया वाहन से कतई ना चलें, यह स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक है।
आज प्रदेश में 75,000 कामगार पहुंचेंगे ट्रेनों से
प्रवासी कामगारों के लिए अलग-अलग जनपदों में रहने, मेडिकल चेकअप व खाद्यान्न देकर घरेलू एकांतवास (होम क्वारंटाइन) तक पहुंचाने की व्यवस्था बेहतर तरीके से चल रही है। आज 11 मई 2020 दिन सोमवार को 50 से 55 ट्रेनें उत्तर राज्य के विभिन्न जनपदों में आएंगी, जिससे 75,000 प्रवासी कामगार पहुंचेंगे।
यूपी में एक सप्ताह में 70,000 श्रमिकों के पहुंचने की सम्भावना
इसके साथ ही 25,000 से 30,0000 लोग अन्य साधनों से यूपी में पहुंच सकते हैं। आगामी एक सप्ताह में प्रतिदिन औसतन 60,000 से 70,000 कामगारों, श्रमिकों के ट्रेनें व अन्य साधनों से पहुंचने की संभावना है।
भोजन, भरण पोषण भत्ता देने के मुख्यमंत्री ने दिये निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में निर्देश दिये कि प्रवासी कामगारों को साधन उपलब्ध करा कर उनके गृह जनपदों तक पहुंचाएं। उन्हें क्वारंटाइन सेन्टर में मेडिकल चेकअप कराएं, भोजन का इंतजाम कराएं। जो लोग पूरी तरह स्वस्थ हैं उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध कराकर उनके घरेलू एकांतवास के लिए पहुंचायें और एक हजार का भरण पोषण भत्ता भी सुनिश्चित कराएं।
मुख्यमंत्री योेगी आदित्यनाथ ने कहा कि हर एक प्रवासी कामगार, श्रमिक की एकांतवास केन्द्र में ही कौशल क्षमता की जानकारी की जाए, जिससे उन्हें घर में एकांतवास अवधि पूरा होते ही रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने सभी जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि अन्य राज्यों व जनपदों की सीमा पर आवागमन में ना हो। किसी भी प्रवासी कामगार, श्रमिक को किसी भी तरह की असुविधा नहीं होनी चाहिए। सबके साथ सम्मानजनक व्यवहार हो। सरकारी साधन देकर सबको उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाए ।