एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक से बने उत्पाद बैन, प्लास्टिक स्ट्रॉ का विकल्प ढूँढ रही कंपनियाँ
नई दिल्ली : एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक से बने उत्पाद बैन होने जा रहे हैं। इन वस्तुओं में प्लास्ट्रिक स्ट्रॉ भी शामिल है। ठेले पर मिलने वाले ज्यूस से लेकर पैकेज्ड पेय पदार्थों में प्लास्टिक स्ट्रॉ काम आती है। इससे कई कंपनियों के सामने प्लास्टिक स्ट्रॉ का विकल्प निकालने की चुनौती पैदा हो गई है। कई कंपनियां सरकार की इस पहल का विरोध कर रही थीं। लेकिन अब सरकार के सख्त रुख के बाद कंपनियां इस फैसले के साथ खड़ी रहती दिखाई दे रही हैं। शुक्रवार से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगने जा रहा है। इसके साथ ही रियल ब्रैंड के तहत ज्यूस बेचने वाले एफएमसीजी दिग्गज डाबर ने कहा कि वह नियमों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करेगा कि सभी पेक पेपर स्ट्रॉ (Paper Straws) के साथ आएं।
वहीं, जीसीएमएमएफ (Amul) के एमडी आर एस सोढ़ी, जिन्हें हर दिन 10-12 लाख स्ट्रॉ की आवश्यकता होती है, ने कहा कि शिपमेंट में थोड़ी देरी के बावजूद संगठन विकल्पों के साथ तैयार है। सोढ़ी ने कहा, “वर्तमान में हम बायोडिग्रेडेबल स्ट्रॉ के निर्माण पर काम कर रहे हैं, जो पेपर स्ट्रॉ से सस्ती है।”
फ्रूटी ने कहा पड़ेगा लागत पर असर
इसी तरह फ्रूटी बनाने वाली कंपनी पारले एग्रो ने कहा कि प्लास्टिक स्ट्रॉ पर बैन से उसकी बिक्री प्रभावित नहीं होगी। पारले एग्रो की सीईओ शौना चौहान ने टीओआई को बताया, “बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन बायोडिग्रेडेबल स्ट्रॉ शिपिंग के कारण कंपनी की लागत पर असर पड़ेगा।”
कंपनियों ने दिया था यह तर्क
बेवरेज कंपनियों की जोरदार पैरवी के बीच सरकार ने प्रतिबंध में देरी करने से इनकार किया है। बैन पर रोक लगाने की मांग के साथ कंपनियों ने तर्क दिया था कि भारत में पेपर स्ट्रॉ की आपूर्ति कम थी और उच्च लागत पर उनके आयात से संचालन प्रभावित होगा।