राजधानी भोपाल में भीख देने पर पहली FIR दर्ज, एमपी नगर थाने में हुई शिकायत

भोपाल : भीख मांगने और भीख देने पर FIR दर्ज हुई है। यह पहली FIR है। MP नगर थाने में यह मामला दर्ज किया गया। एक NGO से जुड़े व्यक्ति ने शिकायत की थी। जिला कलेक्टर ने शहर में भीख मांगने पर रोक लगाई है। इस आदेश के बाद यह कार्रवाई हुई। भीख मांगने वाले और भीख देने वाले ट्रक ड्राइवर की पहचान अभी नहीं हो पाई है। पुलिस उनकी तलाश कर रही है। शिकायतकर्ता ने वीडियो बनाया था। उसी के आधार पर पुलिस जांच कर रही है।
यह मामला BNS की धारा 223 के तहत दर्ज किया गया है। यह धारा सरकारी आदेश की अवहेलना करने पर लागू होती है। जांच अधिकारी SI कुलदीप खरे ने बताया कि शिकायतकर्ता मोहन सिंह सोनी एक NGO से जुड़े हैं। वह जिला कलेक्टर द्वारा गठित टीमों का हिस्सा हैं। ये टीमें शहर में भीख मांगने वालों पर नजर रखती हैं। सोनी ने बताया कि बुधवार दोपहर वह अपनी टीम के साथ MP नगर के बोर्ड ऑफिस स्क्वायर से गुजर रहे थे। तभी उन्होंने एक व्यक्ति को भीख मांगते और एक ट्रक चालक को उसे भीख देते देखा। उन्होंने घटना का वीडियो बनाया और MP नगर पुलिस को सूचना दी।
पुलिस ने अज्ञात भिखारी और भीख देने वाले व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। वीडियो की मदद से पुलिस उनकी तलाश कर रही है। जिला कलेक्टर के आदेश के बाद यह पहला मामला है। इससे पहले भीख मांगने वालों के खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं हुई थी। यह आदेश शहर में भीख मांगने और भीख देने दोनों पर रोक लगाता है। इससे पहले भीख मांगने पर रोक तो थी, पर भीख देने पर कोई पाबंदी नहीं थी। इस नए आदेश के बाद, अब भीख देने वाले भी कानून के दायरे में आ गए हैं। अगर कोई व्यक्ति भीख मांगता या देता हुआ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यह कदम शहर में भीख मांगने की समस्या को कम करने के लिए उठाया गया है। कई लोग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे शहर की छवि सुधरेगी। साथ ही, यह भीख मांगने वालों को पुनर्वास के लिए प्रोत्साहित करेगा। हालांकि, कुछ लोग इस कदम की आलोचना भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे गरीब और जरूरतमंद लोगों की समस्या बढ़ेगी।
फिर भी, प्रशासन का मानना है कि यह कदम लंबे समय में शहर के लिए फायदेमंद साबित होगा। देखना होगा कि इस नए नियम का क्या असर होता है। क्या वाकई में शहर से भीख मांगने की समस्या कम होगी या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
भोपाल शहर में भिक्षावृत्ति को पूरी तरह से खत्म करने के लिए बुधवार को टीमें मैदान में उतरीं। टीमों के सदस्यों ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में भिक्षुकों से पूछताछ की और उनसे आश्रय स्थल जाने के लिए कहा। हालांकि अधिकांश भिक्षुकों ने आश्रय स्थल जाने से मना कर दिया।
वहीं अब भीख देने और लेने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की जिम्मेदारी संस्थाओं को सौंपी गई है। खासतौर से एयरपोर्ट से रोशनपुरा चौराहा तक भिक्षुकों की पहचान करने के लिए टीमों का गठन किया गया है।
इन टीमों को जिला पंचायत की सीईओ इला तिवारी ने बुधवार को आदेश जारी किए हैं। जिसमें बताया गया है कि एयरपोर्ट से रोशनपुरा चौराहा तक भिक्षुक की पहचान कर उनके खिलाफ आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ बीएनएस की धारा 223 के तहत कार्रवाई करने के लिए विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
यह अधिकारी अपने अधीनस्थ टीम के सदस्यों की ड्यूटी लगाकर भिक्षावृत्ति करने वालों के खिलाफ कार्रवाइ करेंगे। इनमें अशासकीय समाजसेवी संस्था के सचिव मोहन सोनी, संगीता नेल्लोर को अध्यक्ष बनाया गया है।
शहर में भीख मांगने और देने वालों पर एफआईआर कराने के आदेश के बाद टीमें भिखारियों की तलाश कर रही है। बुधवार को एक टीम बोर्ड आफिस चौराहा पहुंची, जहां बच्चे, महिलाएं और पुरुष सामान बेचते नजर आए।
पहले तो टीम को देखकर यह लोग भागे, लेकिन बाद में टीम के सदस्यों से बहस शुरू कर दी। उनका कहना था कि सामान बेचकर अपना गुजारा करते हैं, हम भिखारी नहीं हैं। इसको लेकर उपायुक्त सामाजिक न्याय आरके सिंह ने लोगों को भिक्षुक गृह ले जाने की बात कही, तो वह भड़क गए। आखिरकार टीम को वापस लौटना पड़ा।