वाराणसी : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में ‘फ्लिप क्लास’ का प्रावधान पढ़ाई के लिए अब तक अमल में लाया जा रहा पारंपरिक तरीका पूरी तरह उलट देगा। अब तक कोई अध्याय पढ़ाने के बाद बच्चों को उसपर अभ्यास करने के लिए होमवर्क दिए जाते हैं। ‘फ्लिप क्लास’ पद्धति लागू होने के बाद इससे बिल्कुल उलट होगा। विद्यार्थी पहले किसी अभ्यास में स्वयं शामिल होगा। बाद में शिक्षक उस विद्यार्थी को संबंधित पाठ में आ रही समस्याओं का समाधान बताएंगे।
यह जानकारी यूजीसी के चेयरमैन प्रो. एम.जगदीश कुमार ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में दी। प्रो. जगदीश ने बताया कि इस शिक्षण पद्धति का आधार मनोविज्ञान है। मनोविज्ञान को आधार बना कर इस पद्धति के अनुसरण की वकालत की गई है। प्रो. जगदीश कुमार के अनुसार, जब हम पहले से किसी विषय को समझने की कोशिश कर रहे होते हैं तो बार बार कुछ जगहों पर अटक जाते हैं। लेकिन जितना हमने समझ लिया है, वह मस्तिष्क में हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाता है। जिन बिंदुओं पर समस्याएं होती हैं, उनका समाधान मिलने पर वह भी अविलंब सहज सूचना की भांति हमारे मस्तिष्क में सुरक्षित हो जाता है।
देश के कई विश्वविद्यालयों ने ‘फ्लिप क्लास’ की अवधारणा पर आधारित प्रयोगात्मक कक्षाएं संचालित की हैं। इन प्रयोगों के अत्यंत सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि काशी में हो रहे शिक्षा समागम में ‘फ्लिप क्लास’ की महत्ता पर विशेष सत्र आयोजित होगा। इसमें उन सभी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि शामिल होंगे जहां ‘फ्लिप क्लास’ का अभ्यास किया गया है।