मध्य प्रदेशराज्य

कांग्रेस को ज्योतिरादित्य सिंधिया की नहीं हैं जरूरत, गढ़ में हार पर तंज कस कमलनाथ ने दिया जवाब

भोपाल : शुक्रवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व कांग्रेसी नेता और अब केंद्र सरकार में मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने बयान में यहां तक कह दिया कि कांग्रेस को अब चुनाव जीतने के लिए किसी सिंधिया की जरूरत नहीं है। अपने बयान में कमलनाथ ने सिंधिया पर मुरैना और ग्वालियर के चुनाव में भाजपा की हार पर भी सवाल उठाए। कमलनाथ का मानना है कि अब वो दिन गए जब या माना जाता था कि ये कांग्रेस का इलाका है और ये भाजपा का इलाका है। उन्होंने कहा अब हर आदमी की अपनी सोच होती है। चूंकि ग्वालियर और मुरैना सिंधिया का गढ़ माना जाता है और यहां हुए मेयर चुनावों भाजपा की हार हुई थी।

दरअसल एमपी के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमलनाथ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने सिंधिया की कांग्रेस को जरूरत पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि, “अब कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए किसी सिंधिया की जरूरत नहीं है, वो दिन गए जब ये माना जाता था कि ये कांग्रेस का इलाका है और ये भाजपा का इलाका, अब हर आदमी की अपनी सोच है” इस दौरान ग्वालियर और मुरैना चुनाव में भाजपा को मिली हार पर मलनाथ ने एक बार फिर सिंधिया को आडे़ हाथों लिया। उन्होंने कहा,”अगर सिंधिया इतने दिग्गज नेता थे तो ग्वालियर और मुरैना के मेयर चुनाव में भाजपा हार क्यों गई?

2018 में हुए विधानसभा चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई थी जबकि कमलनाथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। उस साल हुए चुनावों कांग्रेस ने सरकार बनाई और कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद मार्च 2020 में मध्य प्रदेश की राजनीति ने करवट ली और सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। कांग्रेस का साथ छोड़कर सिंधिया अकेले नहीं गए थे। उनके साथ 22 विधायक भी भाजपा में शामिल हुए थे। इसका नतीजा रहा कि 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार गिर गई।

बुधवार को सिंधिया समर्थक विधायक और शिवराज चौहान सरकार में मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कांग्रेस समर्थकों को भाजपा जॉइन करने की सलाह दी थी और ऐसा ना करने पर उनके घरों पर बुलडोजर चलाने की बात कही थी। शिवराज के मंत्री के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कमलनाथ ने कहा कि,”जो मंत्री लोगों को बुलडोजर की धमकी दे रहे हैं, उन्हें ये याद रखना चाहिए कि आठ महीने के बाद बुलडोजर किस तरफ होगा”

बिहार में नितीश सरकार द्वारा शुरू की गई जातीय जनगणना के बाद देश के अलग-अलग राज्यों में भी इसकी मांग बढ़ने लगी है। बिहार के बाद अब मध्य प्रदेश में भी जातीय जनगणना को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार बनने पर राज्य में जातीय जनगणना कराने की बात कही है। एमपी में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों में जातीय जनगणना और ओल्ड पेंशन स्कीम जैसे मुद्दों के जोर-शोर से हावी रहने की संभावना है। कमलनाथ ने शुक्रवार को अपने बयान में ओल्ड पेंशन स्कीम और जातीय जनगणना को लेकर राय रखी और वादा किया कि सरकार बनने पर ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करेंगे। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एएनआई को दिए अपने बयान में एमपी की शिवराज सरकार को भी घेरा। उन्होंने कहा, “ये लोग किस बात से डरते हैं? क्या छुपाने की कोशिश कर रहे हैं? मुझे नहीं समझ आता है। कमलनाथ ने जातीय जनगणना पर भी खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने इसे मध्य प्रदेश में भी लागू करना जरूरी बताया है। उन्होंने कहा,”राज्य में जातीय जनगणना कराना बहुत जरूरी है… हमारी सरकार आने पर यहां ओल्ड पेंशने स्कीम भी लागू करेंगे”

कांग्रेस शासित सभी राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू है। मध्य प्रदेश चुनावों से पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी अपना स्टैंड बता दिया है। उन्होंने अपनी सरकार आने पर इसे फिर से लागू करने का वादा किया है। इससे पहले अभी हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की गई है। हिमाचल प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, राजस्थान में भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने वादा किया था कि राज्य में सरकार बनने पर पहली कैबिनेट बैठक में ओपीएस लागू करेंगे। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या हिमाचल प्रदेश की तरह ही मध्य प्रदेश में भी ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा बन पाएगा।

बिहार में चल रही जातीय जनगणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने उस याचिका को खारिज कर दिया है। बिहार की नीतीश सरकार द्वारा जातीय जनगणना की शुरुआत करने के बाद कई लोगों का उन्हें विरोध भी झेलना पड़ा था।

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