जीतू और सिंघार को कांग्रेस हाईकमान ने किया तलब…लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप पर लगेगी क्लास? जानिए MP कांग्रेस में क्या चल रहा है…
भोपाल : लोकसभा चुनाव 2024 में जहां कांग्रेस ने देशभर में बढ़िया प्रदर्शन किया है, वहीं मध्य प्रदेश में सभी 29 सीटों पर क्लीन बोल्ड हो गई है। आलम यह रहा कि कांग्रेस की सभी सीटों पर करारी हार तो हुई ही है वहीं छिंदवाड़ा जिसे 40 साल से कांग्रेस का गढ़ माना जाता था उसे भी नहीं बचा पाई। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ने एमपी कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी को दिल्ली तलब किया है। दोनों नेता दिल्ली रवाना हो चुके हैं। जहां वे लोकसभा चुनाव में मिली हार की जबाव देंगे।
बता दें कि विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद एमपी कांग्रेस ने संगठन में बड़े बदलाव किए थे। पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को बनाया था। लेकिन दोनों ही नेता लोकसभा चुनाव में कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पाए। हालांकि सभी बड़े नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को भरोसा दिलाया था कि प्रदेश में इस बार बदलाव की लहर है और कम से कम 10 से 12 सीटें कांग्रेस को मिलेगी। लेकिन इसके उलट कांग्रेस अपनी एक सीट छिंदवाड़ा भी हार गई। साथ ही साल 2019 के मुकाबले 2024 में कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी दो फीसदी कम हुआ है।
एमपी कांग्रेस में फूट
लोकसभा चुनाव में 29 सीटों पर क्लीन बोल्ड होने के बाद एमपी कांग्रेस में फूट पड़ती नजर आ रही है। कांग्रेस नेताओं ने हार का ठीकरा जीतू पटवारी पर फोड़ दिया है। कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल ने अपने बयान में इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को जिम्मेदारी लेने की बात कही है। अजय सिंह ने अपने बयान में यह भी दोहराया कि उनके नेता प्रतिपक्ष रहते 2013 के चुनाव में पार्टी हार गई थी तो जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था।
दूसरी ओर सवाल उठ रहे हैं कि जीतू पटवारी इंदौर में कांग्रेस को उम्मीदवार विहीन होने से नहीं रोक पाए और अब उन्हीं के कार्यकाल में इंदौर में न केवल बीजेपी की सबसे बड़ी जीत हुई बल्कि प्रदेश से कांग्रेस की संसद में भागीदारी भी शून्य हो गई। ऐसे में आगे इंदौर से प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव की आवाज उठने लगी है। कांग्रेसी कार्यकर्ता पटवारी की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। वहीं एक ही चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जीतू पटवारी की इसे दूसरी बड़ी हार करार दिया है।