गांधी की ‘चंदा मुहिम’ से कांग्रेस को मिलेगी ‘संजीवनी’!, जानें चंदा अभियान का इतिहास

देहरादून (गौरव ममगाईं)। दो बार लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने करारी शिकस्त खा चुकी कांग्रेस पार्टी को अब 2024 के चुनाव में महात्मा गांधी की चंदा मुहिम का सहारा है। कांग्रेस ने महात्मा गांधी की चंदा मुहिम की तर्ज पर आज देशभर में चंदा अभियान लॉन्च किया है, जिसे ‘डोनेट फॉर कंट्री’ का नाम दिया है।

इस अभियान को कांग्रेस की 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस की कोशिश है कि इस अभियान से पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा फंड जुटाया जा सके और ज्यादा से ज्यादा घरों तक पार्टी की पहुंच भी हो। साथ ही कार्यकर्ताओं को भी एक्टिव करने की कोशिश होगी। क्या आप जानते हैं कांग्रेस ने अपने सबसे मुश्किल समय में चंदा मुहिम को ही क्यों चुना ? चलिये आपको बताते हैं आजादी के आंदोलन में चंदा मुहिम का योगदान..

दरअसल, 1920-21 में महात्मा गांधी जी ने देशभर में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन शुरू होने से पहले लोकप्रिय जननेता बाल गंगाधर तिलक का निधन हो गया। तिलक की पुण्यतिथि पर 1921 में महात्मा गांधी जी ने तिलक स्वराज फंड की स्थापना की और देशवासियों से अपील की कि इसमें दान अवश्य करें। गांधी जी ने कहा था कि फंड का उद्देश्य देश के स्वतंत्रता आंदोलन व संसाधनों का समान वितरण है। गांधी जी ने फंड में 1 करोड़ रुपये की धनराशि जुटाने का लक्ष्य रखा था। वहीं, गांधी जी इस फंड के जरिये ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को आजादी आंदोलन से जोड़ना चाहते थे, जिसमें वे सफल भी हुए। बता दें कि इस असहयोग आंदोलन में गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत का किसी तरह सहयोग न करने का आह्वान किया था। इसमें भारतीयों ने अंग्रेजी कपड़े व उत्पादों की होली भी जलाई थी। कई भारतीयों ने सरकारी नौकरी से भी त्याग-पत्र दे दिया था। इस फंड में जुटाई गई राशि ने कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों को तेजी दी, इससे स्वतंत्रता आंदोलन को भी रफ्तार मिली थी, अंततः भारत 15 अगस्त 1947 को पूरी तरह स्वतंत्र हो सका।
जाहिर है कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन में तो चंदा मुहिम पूरी तरह सफल रही और आजादी दिलाने में बड़ा योगदान दिया, लेकिन अब सवाल खड़ा होता है कि क्या कांग्रेस की चंदा मुहिम पार्टी के मकसद को पूरा करने में सफल हो पाएगी ? वहीं, भाजपा ने कांग्रेस पर गांधी जी की चंदा मुहिम का राजनीतिक लाभ लेने का भी आरोप लगाया है।