पंजाब

जालंधर के इस हलके में कांग्रेस का लगातार गिर रहा ग्राफ, जानें क्या है वजह

जालंधर: जालंधर कैंट हलके में लगातार कांग्रेस का ग्राफ नीचे गिर रहा है। साल 2022 के विधान सभा चुनावों में परगट सिंह को तीसरी बार विधायक बनाने में अपनी बड़ी भूमिका निभाने वाले रोहण सहगल, मिंटू जुनेजा, अमरीक बागड़ी, जालंधर व करतारपुर इम्प्रूवमैंट ट्रस्टों के पूर्व चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया के बेटे काकू आहलूवालिया पूर्व जिला यूथ कांग्रेस प्रधान, राजेश भट्टी धीना, बचित्तर सिंह कुलार तथा सुखविन्द्र सिंह सुक्खा फोलड़ीवाल जैसे कई बड़े पार्टी नेता उनका साथ छोड़कर पंजाब की सत्ताधारी पार्टी (आम आदमी पार्टी) में शामिल हो चुके हैं। परगट सिंह का साथ छोड़ चुके कांग्रेसी नेताओं को चुनावों के समय लगता था कि चन्नी सरकार पंजाब में रिपीट होने जा रही है। ऐसी स्थिति में परगट सिंह का विधायक बनाना ही बेहतर है लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो कांग्रेस की हुई शर्मनाक हार ने सब को हैरान कर दिया। उसके बाद धीरे-धीरे परगट सिंह के काफी नजदीक के साथी भी उनका साथ छोड़ने लग पड़े।

कैंट हलके में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति बता रही है कि परगट सिंह को जालंधर लोकसभा के उप चुनाव तथा आने वाले नगर निगम चुनावों में कैंट हलके के वार्डों में कांग्रेस को जीत दिलानी आसान नहीं होगी, जिसका मुख्य कारण है कि उनके ज्यादा भरोसे वाले ही उन्हें छोड़ गए हैं। अब परगट सिंह को ‘आप’ में जा चुके रोहण सहगल, मिंटू जुनेजा तथा बागड़ी के वाडों में कौंसलर का चुनाव लड़ाने के लिए नए उम्मीदवार भी तलाशने होंगे। इतना ही नहीं आने वाले दिनों में और भी कांग्रेस के कई पूर्व कौंसलर परगट सिंह का साथ छोड़ने की तैयारी में हैं। वह भी सत्ताधारी पार्टी में शामिल होकर अगला चुनाव लड़ने की इच्छा रख रहे हैं क्योंकि सरकार में होकर ही वह जनता के लिए कुछ बेहतर कर पाएंगे। परगट की महिमा गाते रहे कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल होने वालों की यह भी पूरी कोशिश रहेगी कि परगट सिंह को लोकसभा उप चुनाव व निगम चुनावों में बूरी तरह से हराकर उन्हें सबक सिखाया जाए।

नजदीकियों के साथ छोड़ जाने की भी परगट सिंह नहीं करते परवाह
पंजाब पुलिस के एस.पी. व डायरैक्टर स्पोर्ट्स पंजाब का पद छोडकर 2012 में राजनीति में आए परगट सिंह अपने नजदीकियों द्वारा उनका साथ छोड़ जाने की भी परवाह नहीं करते हैं। वह आज भी खुद को बहुत मजबूत बताते हैं। उन्होंने 2012 में शिरोमणि अकाली दल की तरफ से विधायक का चुनाव लड़ा तथा और कांग्रेस के जगबीर सिंह बराड़ को करीब 7 हजार वोट से हराया था। 2017 में अकाली दल छोड़कर कांग्रेस में आए और जगबीर बराड़ की टिकट कटवा कर उन्हें नकोदर भेज दिया और खुद अकाली दल के सरबजीत सिंह मक्कड़ को वोटों के बड़े अंतर (करीब 30 हजार वोट) से हराने में कामयाब हो गए। साल 2022 में कांग्रेस की तरफ से फिर चुनाव लड़ा और आम आदमी पार्टी के सुरिंद्र सिंह सोढी और अकाली दल में वापसी करने वाले जगबीर सिंह बराड़ को हराकर लगातार तीसरी बार विधायक बनने में कामयाब हो गए।

इस जीत पर कैंट के लोगों ने परगट सिंह को किस्मत का धनी बताया था। 2007 में स्व. मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की बेटी गुरकंवल कौर को 18 हजार वोट से हराकर जालंधर कैंट हलके से अकाली दल के विधायक बने जगबीर सिंह बराड़ को परगट सिंह 2 बार हरा चुके हैं। हालांकि परगट सिंह को 2017 के मुकाबले 2022 में बहुत कम वोट हासिल हुए। 30 हजार वाली लीड सिर्फ 5 हजार की रह गई जबकि वह कांग्रेस सरकार के अंतिम समय में पंजाब के कैबिनेट मंत्री भी थे और अपने हलके के लिए सबसे ज्यादा ग्रांट लाने में भी सफल रहे थे।

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