नई दिल्ली : अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए विपक्षी रणनीति पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस बुधवार को दिल्ली में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई बैठक में हिस्सा लेगी। खास बात यह है कि राष्ट्रपति चुनाव में इस बार एनडीए के पास जीत के लिए पर्याप्त वोट नहीं है। ऐसे में ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई बैठक में कांग्रेस की हामी बड़ा संकेत है। कांग्रेस की तरफ से इस बैठक में वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल होंगे। इसके अलावा आरएलडी के नेता जयंत चौधरी भी मीटिंग में हिस्सा लेंगे। संभावित उम्मीदवार की बात करें तो अभी तक इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि एनसीपी नेता शरद पवार संभावित उम्मीदवारों में से एक हैं। लेकिन, इससे इतर पवार अपनी उम्मीदवारी को खारिज कर चुके हैं।
पिछले कुछ दिनों से इस बात के संकेत मिल रहे थे कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार संभावित उम्मीदवारों में से एक हैं। हालांकि, पवार ने कहा है कि वह राष्ट्रपति की दौड़ में नहीं हैं। एनडीटीवी के मुताबिक, विपक्षी नेताओं की बैठक 15 जून को दिल्ली में होगी। बनर्जी ने शनिवार को विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया था।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। भारत के अगले राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को चुनाव होंगे और यदि आवश्यक हुआ तो तीन दिन बाद मतगणना होगी। भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के पास आश्वस्त जीत के लिए संख्याबल नहीं है। इस बार चंद्रशेखर राव ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वो भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को अपना समर्थन देंगे।
2017 में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), जगन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजद ने कांग्रेस के खिलाफ भाजपा के रामनाथ कोविंद के लिए समर्थन किया था। उस वक्त विपक्ष ने अपने उम्मीदवार के तौर पर मीरा कुमार का नाम आगे बढ़ाया था।
राष्ट्रपति चुनाव एक निर्वाचक मंडल पर आधारित होता हैं, जिसमें विधायकों और सांसदों के वोट मान्य होते हैं। प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य राज्य की जनसंख्या और विधानसभा सीटों की संख्या पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर निर्वाचक मंडल की कुल संख्या 10,86,431 है। 50 प्रतिशत से अधिक मतों वाला उम्मीदवार जीत जाता है। राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए एनडीए के पास 13,000 वोट कम है।