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भारतीय व्यंजनों को बदनाम करने की हो रही साजिश, इस संगठन ने FSSAI के कदम को बताया खतरनाक

नई दिल्ली : नॉर्थ ईस्ट स्मॉल ट्रेडर्स एसोसिएशन ने एफएसएसएआई की ओर से प्रस्तावित एफओपीएनएल रेगूलेशन को खतरनाक बताया है। संस्था की ओर से बिरेंद्र चंद्र बैश्य ने कहा है कि एफएमसीजी रिटेलर्स, ट्रेडर्स, होलसेलर्स और स्मॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के सदस्यों के रूप में हम अपने सदस्यों के हितों की रक्षा करने और सरकार और इसके विभिन्न संस्थानों के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

हाल के घटनाक्रमों के आधार पर हमारा दृढ़ मत है कि FSSAI की ओर से दिनांक 13.09.22 को प्रस्तावित FOPNL रेगूलेशन एक गलत और खतरनाक कदम है। एक स्पष्ट और सुविचारित रणनीति है जिसे विदेशी संगठनों की भारतीय समाज की स्वाद से जुड़े चलन को बदलने के लिए तैनात किया जा रहा है।

बैश्य ने कहा, ‘यह हमारे भोजन पर हमले से कम नहीं है। कई लोग निहित स्वार्थ के तहत भारतीय भोजन में उच्च नमक, चीनी और वसा की मात्रा के बारे में गलत सूचनाएं फैला रहे हैं और विदेशी व्यंजनों और पिज्जा, बर्गर, पेस्ट्री जैसे व्यंजनों का महिमामंडन कर रहे हैं। तथ्य यह है कि भारतीय व्यंजन वैज्ञानिक हैं क्योंकि वे क्षेत्रीय जलवायु परिस्थितियों और सामग्री की उपलब्धता पर आधारित हैं, जिनमें से कई में शक्तिशाली औषधीय गुण हैं।

इसके विपरीत इनमें से कई राष्ट्रों ने स्वयं इस तरह के नियमों को लागू नहीं किया है और भारतीय उपभोक्ता बाजार की विशाल क्षमता और आकार में प्रवेश करने के तरीकों और साधनों की सख्त और आक्रामक रूप से तलाश कर रहे हैं। कई गैर सरकारी संगठनों भारत की छवि को खराब करने और हमारे शानदार व्यंजनों को बदनाम करने के लिए विदेशी कंपनियों के इशारे पर काम कर रहे हैं। वे बड़े पैमाने पर धन प्राप्त कर रहे हैं और उनके पास ऐसे संसाधन हैं जिनका उपयोग करके वे झूठे आख्यानों को बनाने और बाजार में लाने और भ्रामक सूचनाओं को बढ़ावा देने में सक्षम हैं।

अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पाश्चात्य और अन्य व्यंजन तेजी से आम होते जा रहे हैं, इसके परिणाम अब तेजी से जमीन पर देखे जा रहे हैं। एक प्रेरित अभियान शुरू किया गया है जो भारतीय व्यंजनों को अस्वास्थ्यकर और पोषण में कमी के रूप में दिखाता है, जबकि विदेशी भोजन को स्वस्थ और पौष्टिक के रूप में प्रचारित और विपणन किया जा रहा है।

सच कहें तो वर्ल्ड ओबेसिटी रिपोर्ट के मुताबिक भारत 200 देशों में 187वें स्थान पर है, जहां मोटापे की दर पश्चिमी देशों में 30-50 फीसदी के मुकाबले महज 5 फीसदी है। यह भी रेखांकित करने की आवश्यकता है कि विभिन्न अध्ययनों ने संकेत दिया है कि इनमें से अधिकांश विदेशी व्यंजनों में कैलोरी की मात्रा भारतीय व्यंजनों से कहीं अधिक है और इसलिए यह झूठ और अति-स्मार्ट मार्केटिंग के आधार पर भारतीयों के स्वाद को बदलने के एक भयावह अभियान की ओर इशारा करता है। 35 वर्ष से कम आयु की हमारी 65% आबादी के साथ, यह स्पष्ट रूप से एक अत्यंत खतरनाक प्रवृत्ति है और इससे प्रभावी ढंग से और तुरंत निपटने की आवश्यकता है।

सितंबर में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने पैकेज्ड खाद्य कंपनियों के लिए FOPNL (Front-Of-The-Pack Nutritional Labelling) के लिए मसौदा नियम जारी किए थे। यह उपभोक्ताओं को उत्पादों के पोषण मूल्य के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए फाइव स्टार रेटिंग की अवधारणा को पेश करने का प्रस्ताव करता है। नियामक ने नियमों पर हितधारकों से टिप्पणियां मांगी थी।

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