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चीन सीमा से सटे उच्च हिमालयी गांव में लगातार धंस रही जमीन

धारचूला: उच्च एवं उच्च मध्य हिमालय की संधिस्थल पर स्थित दारमा घाटी का प्रवेश द्वार दर गांव व्यास घाटी के उच्च हिमालयी गब्र्यांग गांव की तरह धंसने लगा है। लगातार भूमि धंसने से गांव के तीस से पैंतीस मकान टेढ़े हो चुके हैं। हालत यह है कि ग्रामीण मकानों को बचाने के लिए लकडिय़ों का सहारा देने को मजबूर हैं। इस त्रासदी को देखते गांव के लगभग पैंतीस परिवार पलायन कर सकते हैं।

वर्तमान हालात को देखते हुए ग्रामीण गांव छोडऩा ही विकल्प मान कर चल रहे हैं। चीन सीमा से लगे उच्च हिमालयी दारमा घाटी का प्रवेश द्वार दर खतरे में आ चुका है। इसे क्रानिक जोन भी घोषित कर दिया गया है। दर के पास पहाड़ दरक रहा है और भूमि के अंदर से पानी भी निकल रहा है। इसके चलते चीन सीमा को जोडऩे वाला तवाघाट-सोबला-तिदांग मार्ग अभी भी नहीं खुल सका है। इसी वर्ष मानसून काल में यह मार्ग लगातार 118 दिन बंद रहा। कुछ दिनों के लिए खुला तो 17 से 19 अक्टूबर की बारिश से बंद मार्ग अभी तक नहीं खुल सका है। दर से गुजरने वाली सड़क से मलबा हटाते ही आधे घंटे के भीतर फिर मलबा आ जाता है। इसका सीधा प्रभाव सड़क से ऊपर स्थित गांव के मकानों पर पड़ चुका है।

50 साल पूर्व से बना है खतरा
1971 में इस क्षेत्र में अतिवृष्टि ने तबाही मचाई थी। इस अतिवृष्टि से व्यास घाटी का उच्च हिमालयी गांव गब्र्यांग और दारमा का प्रवेश द्वार दर धंसने लगे थे। दोनों गांवों में मकान धंस गए। भारत-चीन व्यापार का प्रमुख केंद्र रहे गब्र्यांग गांव में बड़े-बड़े मकान छोड़ दिए गए। तब दोनों गांवों के कई परिवारों को सितारगंज में विस्थापित किया गया।

बीते माह दर की हुई भूगर्भीय जांच
बीते माह भू विज्ञानियों की टीम ने दर गांव की भूगर्भीय जांच कर रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी है। भू विज्ञानी प्रदीप कुमार ने बताया कि गांव खतरे में है । गांव के विस्थापन की संस्तुति की गई है। ग्रामीण दहशत में हैं। एसडीएम एके शुक्ला के अनुसार भूगर्भीय जांच के बाद रिपोर्ट जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेजी गई है।

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