‘मिड डे मील योजना’ का नाम बदलने पर छिड़ा विवाद, विपक्ष ने साधा निशाना, कहा- केवल नाम बदलने से लोगों को क्या मिलेगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को मिड डे मील योजना का नाम बदलकर ‘पीएम पोषण’ योजना कर दिया गया है। इसके तहत पांच साल के लिए सरकार ने कुल 1.3 लाख करोड़ का बजट भी आवंटित किया है। केंद्र सरकार द्वारा इस योजना का नाम बदलने पर अब राजनीतिक युद्ध छिड़ गया है। विपक्ष दलों ने इस योजना को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ निशाना साधना शुरू कर दिया है।
सरकार की इस योजना का विपक्ष ने विरोध किया है। विपक्ष ने आरोप लगाए हैं कि केवल पुरानी स्कीम का नाम बदला गया है और उसे हर प्रकार से निजी हाथों में सौंपने की कोशिश की गई है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया कि 1995 की पुरानी मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजना का नाम बदलने के बजाय शायद सरकार को सभी भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर के अदानी अधिग्रहण का नाम बदलकर पीएम पोषण योजना कर देना चाहिए!
इतना ही नहीं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी इस मसले पर ट्वीट किया कि मिड डे मील स्कीम का नाम बदल कर पीएम पोषण कर दिया गया है। नाम बदलने से यह कैसे सिद्ध होगा कि उत्तर प्रदेश में पीएम पोषण के नाम पर भी बच्चों को केवल नमक-तेल रोटी नहीं परोसी जाएगी? और अगर किसी जमीनी पत्रकार ने मामला उठाया तो उसे छह महीने जेल में नहीं काटने पड़ेंगे?
बता दें कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की अहम बैठक हुई, जिसमें कैबिनेट की तरफ से कई बड़े ऐलान किए गए। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट में लिए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि अभी जो मिड-डे मिल की योजना चल रही है, उसे पीएम-पोषण योजना में ही शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जहां तक प्रधानमंत्री पोषण योजना की बात है तो मिड डे मिल के अलावा भी इसमें बहुत कुछ जोड़ा जाएगा तभी इसका खर्चे 1,31,000 करोड़ रुपए किया गया है। लाभ लेने वाले भी 11,20,000 से ज़्यादा स्कूलों के करोड़ों छात्र होंगे।