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कोरोना ने कैंसर के इलाज को किया प्रभावित, लॉकडाउन में 70 फीसद मरीज सर्जरी से चूके-रिसर्च

शोधकर्ताओं ने कोलोरेक्टल, प्रोस्टेट, लिवर समेत कई प्रकार के कैंसर से जूझ रहे मरीजों का डेटा इकट्ठा किया. रिसर्च से पता चला कि कोविड-19 लॉकडाउन के बीच 70 फीसद मरीज अपनी सर्जरी से चूक गए.

दुनिया को खतरनाक कोरोना वायरस महामारी की गिरफ्त में रहते हुए डेढ साल से ज्यादा समय हो गया है, इस बीच खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन के दौरान बहुत सारे मरीजों के कैंसर का इलाज प्रभावित हुआ. शोधकर्ताओं ने बताया दुनिया भर में कैंसर के सात मरीजों में से एक कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान संभावित जीवन रक्षक ऑपरेशन से चूक गया. ब्रिटेन में बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने 61 देशों में 446 अस्पतालों से डेटा इकट्ठा किया. उन्होंने 15 प्रकार के 20,000 कैंसर मामलों का विश्लेषण कर नतीजा निकाला.

The Lancet Oncology में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक शोधकर्ताओं ने पाया कि योजनाबद्ध कैंसर की सर्जरी लॉकडाउन की वजह से प्रभावित हुई, चाहे स्थानीय स्तर पर उस समय कोविड-19 के मामले कुछ भी रहे हों, अपनी सर्जरी से चूकनेवाले निम्न आय वाले देशों के मरीजों को सबसे ज्यादा जोखिम था. रिसर्च में केवल उन रोगियों की जांच पड़ताल की गई जिनको थोड़े समय के लिए सर्जरी में देरी हुई. इसके विपरीत अन्य रिसर्च के सबूत बताते हैं कि इन मरीजों को दूसरी बार चूकने का ज्यादा जोखिम हो सकता है. बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता अनील भंगु कहते हैं, “इसके लिए सर्जन और कैंसर रोग विशेषज्ञों को मरीजों का करीब से फॉलोअप करना चाहिए जो सर्जरी से पहले हुई देरी के कारण प्रभावित हुए थे.”

कैंसर का इलाज प्रमुख रूप से कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन पर आधारित है. इसलिए जब आप कैंसर से जुड़े किसी तरह का इलाज छोड़ते हैं या देरी करते हैं, तो इन कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने का मौका मिल जाता है और ये कभी-कभी बेकाबू हो सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, कैंसर के इलाज का सबसे आम प्रकार कीमोथेरेपी है. इसलिए जब आप कोई सत्र से चूकते हैं, तो कीमोथेरेपी के साइड-इफेक्ट्स से पीड़ित होने का खतरा रहता है. साइड-इफेक्ट्स में बेहद थकान, बालों का झड़ना, संक्रमण, एनीमिया, मुंह का छाला, भूख नहीं लगना शामिल हैं.

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