ज्ञानवापी मामले में आज आएगा कोर्ट का फैसला, सुनवाई पूरी
सर्वेयर विभाष दूबे का दावा: दीवार पर तराशा हुआ प्राचीन घंटा, फूलों की लड़ियां व स्वास्तिक दिखाई दिया, श्रृंगार गौरी के नीचे झांकने पर विष्णुजी का फन काढ़े नाग और ब्रह्माजी का कमल दिखा
–सुरेश गांधी
वाराणसी : ज्ञानवापी मामले को लेकर कोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई। कोर्ट ने मामला सुरक्षित रख लिया है। अब इस मामले में कोर्ट 12 मई गुरुवार दोपहर 12 बजे अपना फैसला सुनाएगा। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी की तरफ से एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाए जाने की मांग को लेकर 3 दिन तक बहस चली, जिसके बाद वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब तय होगा कि एडवोवोकेट कमिश्नर इस मामले में रहेंगे कि नहीं। श्रृंगार गौरी मामले में कोर्ट की ओर से नियुक्त किए गए एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि उन्होंने पूरी ईमानदारी, निष्पक्षता और निष्ठा से अपना काम किया है। आपत्तियां आती रहती हैं जिसका निस्तारण करना कोर्ट का काम है। मैंने सारा आदेश सही से माना है, ऐसा कोई काम नहीं हुआ, जिससे आदेश का उल्लंघन हो। आदेश जो भी होगा हम उसका पालन करेंगे। बता दें, अजय मिश्रा के खिलाफ 7 मई को प्रतिवादी अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी कोर्ट पहुंची थी, उन्हें बदलने की मांग की थी।
मुस्लिम-हिन्दू पक्ष का आरोप-प्रत्यारोप
सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल प्रति आपत्ति में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से कहा गया कि सर्वे के जरिए साक्ष्य सबूत एकत्र नहीं किए जा सकते। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी ओर से पांच अधिवक्ता हैं, जबकि सर्वे में दो ही अधिवक्ताओं को प्रवेश की अनुमति दी गई। जबकि वादी पक्ष के 12 वकील अंदर मौजूद थे। कहा कि शृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद अलग-अलग हैं। ऐसे में मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी का कोई औचित्य नहीं है। वादी पक्ष ने इस आवेदन पर विपक्षी गणों पर न्यायालय के कार्य में बाधा डालने और जिला प्रशासन पर कोर्ट के आदेश के अनुपालन में रुचि नहीं लेने का आरोप लगाया। इससे पहले मंगलवार दोपहर बाद शुरू हुई न्यायालय की कार्यवाही में वादी पक्ष की आपत्ति पर प्रति आपत्ति में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कहा कि वादी पक्ष के समस्त कथन और तर्क बेबुनियाद, अर्थहीन और विधि के खिलाफ हैं। आराजी नंबर 9130 का कमीशन कार्यवाही में जिक्र है, लेकिन क्षेत्रफल, मौजा, चौहद्दी का जिक्र नहीं है।
आदि विश्वेश्वर मूर्ति का वर्णन
कोर्ट में कहा गया कि वाद पत्र में आराजी के साथ पांच कोस जमीन और आदि विश्वेश्वर मूर्ति का वर्णन हैं, ऐसे में कमीशन की कार्यवाही कहां तक होगी, यह नहीं बताया गया है। इस आराजी के सीमांकन के बाद कमीशन की कार्यवाही की बात को नजरअंदाज किया गया। मौके पर उपलब्ध वस्तुओं को उंगली से खुरचने का भी खंडन नहीं किया गया। इस प्रकरण में वादी व प्रतिवादी पक्ष की ओर से अदालत में दो अलग-अलग प्रार्थना पत्र दिए गए थे जिसमें वादी पक्ष की ओर से बैरिकेडिंग के अंदर तहखाने समेत समेत अन्य उल्लेखित स्थलों का निरीक्षण का स्पष्ट आदेश देने की की मांग की गई थी। जबकि प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से एडवोकेट कमिश्नर पर निष्पक्ष न होने का आरोप लगाते हुए उन्हें बदलने की मांग अदालत से की गई थी। बता दें कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने बीते आठ अप्रैल को आदेश जारी कर अजय कुमार मिश्र को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करते हुए उन्हें ईद बाद परिसर का सर्वेक्षण कर दस मई तक अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। लेकिन, मुस्लिम पक्ष के विरोध के बीच टीम का वीडियो सर्वे अदालत के आदेश के बाद भी अधूरा ही है।