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हरियाणा सहित कई राज्‍यों में शिक्षा माफिया तक पहुंची क्राइम ब्रांच

चंडीगढ़ : हरियाणा सहित कई राज्‍यों के शिक्षा माफिया के बारे में जल्‍द ही बड़ा खुलासा होने की संभावना है। हरियाणा की स्टेट क्राइम ब्रांच ऐसे शिक्षा माफिया तक पहुंचने में कामयाब हो गई है, जो प्रदेश के 10वीं पास बच्चों, युवाओं और अधेड़ व्यक्तियों को छत्तीसगढ़ से 12वीं की डिग्री दिलाता है। फिर इस डिग्री के आधार पर छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से डी-फार्मा व बी-फार्मा के फर्जी कोर्स कराए जाते हैं। इस डिग्री के आधार पर डी-फार्म का डिप्लोमा दो साल और बी-फार्मा की डिप्लोमा चार साल का है। स्टेट क्राइम ब्रांच ने इस काम में लगे अंबाला, यमुनानगर, शाहबाद व राजपुरा के तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जिनसे पूछताछ के आधार पर अब पुलिस बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है।

हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल के मौजूदा प्रधान धनेश अदलखा ने 122 ऐसे बच्चों की लिस्ट सार्वजनिक की थी, जिन्होंने छत्तीसगढ़ के स्कूलों से फर्जी तौर पर 12वीं की पढ़ाई की और इस पढ़ाई के आधार पर पंजाब, राजस्थान व उत्तर प्रदेश से फार्मेसी के कोर्स किए हैं। कोर्स करने के बाद जब रजिस्ट्रेशन के लिए यह केस राज्य फार्मेसी काउंसिल के पास आए तो संदिग्ध मानते हुए उन्हें रोक दिया गया।

फार्मेसी की बैठक में बाकायदा इन केस पर चर्चा हुई, जिसके बाद इनमें से कई बच्चों को पूछताछ के लिए बुलाया गया। इन बच्चों ने स्वीकार किया कि 12वीं की पढ़ाई करने के लिए वह कभी न तो छत्तीसगढ़ गए और न ही उन्होंने पंजाब, राजस्थान या उत्तर प्रदेश में जाकर फार्मेसी का डिप्लोमा किया। उन्हें घर बैठे यह डिग्री व डिप्लोमा मिले हैं और इसके बदले में संबंधित लोगों को उनके द्वारा बताई गई मुंहमांगी फीस दी गई है।

हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल की ओर से यह पूरा मामला गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के पास भेजा गया, जिन्होंने मुख्यमंत्री के पास मामला भेजते हुए उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश की। मुख्यमंत्री ने यह जांच स्टेट क्राइम ब्रांच को सौंप दी थी, जिसके आधार पर अब हरियाणा पुलिस को तीन लोगों की गिरफ्तारी के रूप में बड़ी सफलता मिली है। यह तीनों व्यक्ति अलग-अलग स्थानों पर कोचिंग सेंटर चलाते हैं, जिनके अन्य कोचिंग सेंटर संचालकों के साथ संबंध हैं। 12वीं के अलावा यह कोचिंग सेंटर संचालक स्नातक व स्नातकोत्तर की डिग्रियां दिलाने के अलावा एमफिल और पीएचडी तक की डिग्रियां दिलाने का काम करते हैं। पकड़े गए तीनों व्यक्तियों से मिली जानकारी के आधार पर राज्य फार्मेसी काउंसिल के कई पूर्व व मौजूदा पदाधिकारियों से पूछताछ की जा सकती है।

हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में विवाद इसी बात का है कि दूसरे राज्यों से फार्मेसी करने वाले लोगों के पंजीकरण नहीं किए जा रहे हैं। राज्य में करीब 45 हजार फार्मासिस्ट पंजीकृत हैं, जबकि 104 कालेजों में साढ़े 10 हजार के आसपास सीटें हैं। फार्मेसी में लंबे समय से पैसे लेकर रजिस्ट्रेशन का खेल चल रहा है। बाहरी राज्यों से फार्मेसी करने वाले लोगों के रजिस्ट्रेशन पर जब ब्रेक लगने लगा तो काउंसिल का विवाद हवा ले गया, जो स्वास्थ्य मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंचा। इस विवाद ने इसलिए भी हवा ली, क्योंकि अगले महीने राज्य फार्मेसी काउंसिल का चुनाव प्रस्तावित हैं, जिनमें पंजीकृत फार्मेसी वोटर की भूमिका में होते हैं।

स्टेट क्राइम ब्रांच ब्यूरो द्वारा जिन तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया गया है, उन्होंने स्वीकार किया कि पंजाब के 28 कालेजों के साथ उनके व्यापारिक संबंध हैं। यह कालेज डी-फार्मा व बी-फार्मा के विद्यार्थियों को बिना क्लास में हाजिर हुए पास होने की गारंटी देते हैं। 2016 से इस शिक्षा माफिया और कालेजों के बीच गठजोड़ है। छत्तीसगढ़ के विद्यालय एवं तकनीकी शिक्षा बोर्ड में अपने व्यापारिक रिश्तों के चलते यह शिक्षा माफिया पहले 10वीं पास लोगों की 12वीं की डिग्री बनवाता था। फिर उसके आधार पर बी-फार्मा व डी-फार्मा के डिप्लोमा प्राप्त किए जाते थे। 12वीं की डिग्री के अलग और डिप्लोमा के अलग पैसे वसूल किए जाते थे। स्टेट क्राइम ब्रांच को यह भी जानकारी दी गई कि इस शिक्षा माफिया के राजस्थान की 16 डीम्ड यूनिवर्सिटी के साथ उनके संबंध हैं। क्राइम ब्रांच ब्यूरो के अधिकारियों को लग रहा कि यह रैकेट बहुत बड़ा है, जिसके तार आपस में जुड़े हुए हैं। जल्दी ही अन्य कई स्थानों पर दबिश देकर इस शिक्षा माफिया के अन्य सदस्यों को पकड़ने की दिशा में प्रयास किया जा सकता है।

हरियाणा स्टेट क्राइम ब्रांच की विशेष जांच टीम ने जिन तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है, उनमें जितेंद्र कुमार बाबर निवासी सिटी पुलिस स्टेशन रोड राजपुरा टाउन (पंजाब), रोहताश कुमार निवासी हरित विहार कालोनी जगाधरी (यमुनानगर) और हितेश शर्मा निवासी बलदेव नगर अंबाला शहर शामिल हैं। जरूरी पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच पुलिस ने इन तीनों को न्यायालय से पुलिस रिमांड पर ले लिया है। एसआइटी प्रभारी डीएसपी अमित दहिया ने बताया कि पुलिस आरोपितों से 12वीं की मार्कशीट के बारे में पूछताछ करेगी और पता लगाएगी कि कहां से मार्कशीट लेकर आते थे। अप्रैल 2022 में पंचकूला पुलिस ने छत्तीसगढ़ के फर्जी बोर्ड आफ स्कूल एंड टेक्निकल एजुकेशन के खिलाफ धोखाधड़ी समेत सात अलग-अलग मामलों में केस दर्ज किए थे। 450 से ज्यादा ऐसे भी आवेदक हैं, जिन्होंने लाइसेंस के लिए आवेदन दिया था, उनके आवेदन मंजूर नहीं हुए और और मामले की जांच चल रही है।

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