नई दिल्ली: लंबित मामलों का सामना कर रहे सुप्रीम कोर्ट को नए साल 2023 में एक और बाधा का सामना करना पड़ेगा. दरअसल नौ जजों के रिटायरमेंट के साथ उच्चतम न्यायालय में रिक्तियां बढ़ने वाली हैं. जजों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम और कार्यपालिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच CJI डी वाई चंद्रचूड़ के सामने सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा और भविष्य की रिक्तियों को भरने का काम होगा. शीर्ष अदालत में वर्तमान में छह रिक्तियां हैं जिनमें 34 की स्वीकृत शक्ति के मुकाबले 28 न्यायाधीश हैं.
कब रिटायर हो रहे कौन से जज
1) जस्टिस अब्दुल नज़ीर – 4 जनवरी, 2023
2) न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी – 14 मई, 2023
3) जस्टिस श्री शाह – 15 मई, 2023
4) जस्टिस केएम जोसेफ – 16 जून, 2023
5) जस्टिस अजय रस्तोगी – 17 जून, 2023
6) जस्टिस वी रामसुब्रमियन: 29 जून, 2023
7) जस्टिस कृष्णा मुरारी – 8 जुलाई, 2023
8) जस्टिस एस रवींद्र भट 20 अक्टूबर, 2023
9) जस्टिस संजय किशन कौल – 25 दिसंबर, 2023
पिछली कॉलेजियम की बैठक में नियुक्ति के लिए पांच नामों की सिफारिश की गई थी जिसमें न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल हैं. कानून और न्याय मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, केंद्र जल्द ही कुछ नियुक्तियों को मंजूरी दे सकता है.
गौरतलब है कि न्यायिक रिक्तियां लंबे समय से बहस का विषय रही हैं. पूर्व CJI रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट के लिए 16 सिफारिशें कीं, जबकि उनके उत्तराधिकारी, CJI एसए बोबडे ने कोई भी सिफारिश नहीं की. जस्टिस बोबडे से पदभार ग्रहण करने वाले CJI एन वी रमना ने अपने कार्यकाल के दौरान 11 सिफारिशें कीं थी.
इधर, देश भर की जिला अदालतों की बात करें तो यहां अभी भी 5850 जजों के पद खाली हैं. यानी निचली अदालतों में जजों के कुल मंजूर 25,042 पदों में से 19,192 पदों पर ही जज सेवारत हैं. लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने आंकड़ों के जरिए एक जनवरी 2020 से लेकर 19 दिसंबर 2022 यानी लगभग तीन साल का ब्योरा देते हुए बताया कि इस अवधि में सुप्रीम कोर्ट में 12 जजों की नियुक्ति हुई. हालांकि इस दौरान कई जज रिटायर भी हुए. क्योंकि 12 जजों की नियुक्ति के बावजूद आज की तारीख में सुप्रीम कोर्ट में 34 की कुल मंजूर संख्या के मुकाबले 28 जज सेवारत हैं. यानी छह जज कम हैं.