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कच्चा तेल फिर भड़का सकता है महंगाई, जलेगी कमाई और बिगड़ेगा रसोई का बजट

नई दिल्ली : सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से महंगाई से निपटने के लिए की जा रही कोशिशों के बीच महंगा कच्चा तेल मुसीबत बढ़ा सकता है। सोमवार को कारोबार में कच्चा तेल एक समय 121 डॉलर के पार निकल गया। रूस पर यूरोपीय यूनियन के फैसले के बाद कच्चे तेल में और तेजी आने की आशंका है। कच्चा तेल महंगा होता है तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि का दबाव बढ़ जाता है जिससे महंगाई और भड़क सकती है। आईआईएफल के उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने हिन्दुस्तान को बताया कि कच्चा तेल अगले 15 दिन में 130 डॉलर के पार भी पहुंच सकता है। गुप्ता ने कहा कि रूस को लेकर यूरोपीय यूनियन ने जो फैसला किया है उसका असर कच्चे तेल पर दिखेगा। यूरोपीय यूनियन मे रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदने का फैसला किया है। इसके अलावा अमेरिका में बढ़ती मांग का असर इसपर देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के दाम में वृद्धि केंद्रीय बैंकों के लिए महंगाई से लड़ने की चुनौती को बढ़ा सकती है। ओपेक ने मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है लेकिन उसके बावजूद दाम बढ़ रहे हैं।

घर में इस्तेमाल होने वाले कंज्यूमर ड्यूरेबल से लेकर घर बनाने में काम आने वाले सीमेंट, इस्पात और पेंट समेत कई वस्तुओं पर महंगाई का असर होता है। महंगाई अधिक होने पर उस पर अंकुश लगाने के लिए रिजर्व बैंक को रेपो दर बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसके बाद बैंक कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ा देते हैं। इससे कर्ज महंगा हो जाता है जिससे आपकी ईएमआई बढ़ जाती है। ऐसा होने पर आपको अपनी बचत से भुगतान करना पड़ता है।

कच्चा तेल महंगा होने से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं। इससे परिवहन की लागत बढ़ती है। खाद्य उत्पादों की ढुलाई ज्यादातर सड़क के जरिये ट्रकों से होती है। उत्पाद की अंतिम लागत में परिवहन का खर्च 14 फीसदी के करीब होता है। ऐसे में यदि कच्चे तेल की वजह से पेट्रोल-डीजल महंगा होता है तो सब्जियों से लेकर रसोई में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर उत्पादों का महंगा होना तय है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को दो पैसे की तेजी के साथ 77.64 पर बंद हुआ। इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपया 79 के स्तर तक पहुंच सकता है। वहीं कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह 80 रुपये प्रति डॉलर के पार भी पहुंच सकता है। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में हालात और खराब हो सकते हैं। खाद्य तेल और दलहन का बड़ी मात्रा में भारत आयात करता है। डॉलर महंगाई होने से तेल और दाल के लिए अधिक खर्च करने पड़ेंगे, जिसका असर इनकी कीमतों पर होगा। ऐसे में इनके महंगा होने से आपके किचन का बजट बिगड़ सकता है। इसके अलावा विदेश में पढ़ाई, यात्रा, दलहन, खाद्य तेल, कच्चा तेल, कंप्यूटर, लैपटॉप, सोना, दवा, रसायन, उर्वरक और भारी मशीन जिसका आयात किया जाता है वह महंगे हो सकते हैं।

कच्चा तेल महंगा होने की 5 वजह
यूरोपीयन यूनियन द्वारा रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदने का फैसला
अमेरिका में गर्मियों के सीजन की शुरुआत से मांग बढ़ने का असर
ओपेक की उत्पादन में वृद्धि मौजूदा वैश्विक खपत से कम
भारत समेत दुनियाभर में कारोबारी गतिविधियों में तेजी से मांग बढ़ी
दुनिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में डॉलर में तेजी

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