नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के बाद से दोनों देशों में तनाव जारी है। संसद के शीतकालीन सत्र में भी विपक्ष लगाातार भाजपा सरकार पर निशाना साध रहा है। इसी बीच तिब्बतियों के सबसे बड़े धर्मगुरु दलाई लामा से तवांग गतिरोध के मद्देनजर चीन के लिए उनके संदेश के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बेहद बेबाकी से कहाकि, चीजें सुधर रही हैं। यूरोप, अफ्रीका और एशिया में चीन अधिक लचीला है। इसके साथ ही जब पूछा गया कि क्या वो कभी चीन लौटेंगे तो दलाई लामा ने कहाकि, वो चीन वापस जाने वाले नहीं हैं, आजीवन भारत में ही रहेंगे। मुझे भारत बेहद पसंद है। यहां हर चीज की आजादी है। वो भी कांगड़ा मेरा स्थायी निवास है। कांगड़ा पंडित नेहरू की पसंद है। यह मेरा स्थायी निवास है।
पीएम नरेंद्र मोदी किसी को नहीं बख्शेंगे : लामा येशी खावो
भारतीय सेना को चीन से विवाद पर बौद्ध भिक्षुओं का खूब समर्थन मिल रहा है। तवांग में स्थित प्रसिद्ध मठ के भिक्षु लामा येशी खावो ने कहाकि, यह 1962 नहीं है, 2022 है। और यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है। पीएम नरेंद्र मोदी किसी को नहीं बख्शेंगे। हम मोदी सरकार और भारतीय सेना का समर्थन करते हैं।
आध्यात्मिक ज्ञान के जानकार हैं दलाई लामा
दलाई लामा को दुनियाभर में उनके आध्यात्मिक ज्ञान के लिए माना जाता है। वह तिब्बतियों के सबसे बड़े राजनैतिक प्रतिनिधि भी हैं। चीन की सरकार दलाई लामा को विवादास्पद और अलगाववादी बताती है। दलाई लामा चीन की नीतियों का खुलकर विरोध करते रहे हैं।
धर्मशाला में रहते हैं दलाई लामा
चीन ने सन 1950 में अवैध तरीके से तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। तब दलाई लामा ने भारत से शरण मांगी थी। कांग्रेस सरकार ने दलाई लामा को अनुमति प्रदान की, और में शरण दी। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार का मुख्यालय बनाया गया। तिब्बत के मसले को सुलझाने की दलाई लामा ने कई बार कोशिश की। पर असफलता ही हाथ लगी। भारत में लोग दलाई लामा को एक बड़ा धार्मिक नेता मानते हैं।