अयोध्यालखनऊ

त्रेतायुग की अयोध्या का दर्शन?

डा. भरत राज सिंह

अयोध्या की साज-सज्जा व उसके साफ-सफाई को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि 22 जनवरी 2024 की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात त्रेतायुग के श्रीराम जी के दर्शन होने वाले हैं। अद्भुत व अविष्मरणीय भव्य अयोध्या जिसे देखने के लिये 500 वर्षो के इन्तजार और कितनों ने अपने जीवन को न्योछवर कर दिया है। हम धन्य हैं कि इसको अपनीं आंखों से देखकर त्रेतायुग के श्रीराम जी की अयोध्या की परिकल्पना कर सकते हैं। चौमुखी विकास को देखकर सभी सनातनियों क्या, सम्पूर्ण देशवासी ही नहीं, विश्व की निगाह भारतीय इतिहास के नये कलेवर से अपने को धन्य मानने पर मजबूर होगा।

कुछ समाचर पत्रों के पढ़ने से यह भाव उभरता है कि क्या यह सब त्रेता युग में था और आज राम मंदिर में भगवान राम जी के दर्शन साथ नई अयोध्या का अब दर्शन होगा। मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े अनुष्ठान शुरू होने के साथ ही मुख्य आयोजन की तैयारियां भी अपने अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। पूरे शहर को सजाने संवारने का काम लगभग पूरा हो चुका है। कमियां ढूंढ-ढूंढ कर दूर कराई जा रही हैं। सुंदर प्रवेश द्वार, म्यूरल पेटिंग, निर्मल सरयू, साफ-सुथरे आकर्षक राम की पैड़ी का सुंदरीकरण, सब कुछ वहां आने वालों को आकर्षित करने के लिए काफी हैं। एक ही पैटर्न बनाई गई दुकानें भी नई अयोध्या दर्शन कराएंगी। प्रशासनिक अमला अर्थात अधिकारियों द्वारा तैयारियों का निरंतर निरीक्षण कर इसको और सुंदर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रवेश द्वार से ही नई अयोध्या का अहसास होने के लिये लोग वेवस हो रहे हैं। अयोध्या में घुसते ही चौड़ी सड़क लोगों का स्वागत करती है। किनारे की दीवारों पर भगवान राम के अलग-अलग प्रसंगो से जुडी पेंटिंग और आकृतियाँ लोगों को आकर्षित कर रही हैं। अयोध्या की छटा देख लोग चकित हो रहे हैं। जन्मभूमि पथ भी संस्कृति से परिचित करा रहा है। राममंदिर तक पहुंचाने वाले जन्मभूमि पथ पर पग-पग पर देश की लोक परम्परा व संस्कृतियों के दर्शन होते है। मंदिर में दर्शन के लिए देश ही नहीं, दुनियाभर से भी लोगों का आना प्राम्भ हो चुका है।

कुछ प्रमुख समाचर पत्रो में अयोध्या की एक दीवार पर राम ?कथा के आधार पर हनुमानजी के संजीवनी लाने जाने का प्रसंग उकेरा गया है, जिसके साथ मंगलवार को फोटो खिंचाते हुये तमाम श्रद्धालु इसे अपने यादोन में सजोना चाहते हैं। यद्यपि कलाकारों की मेहनत और उनका प्रयास अविष्मरनीय और प्रेरणादायक है, परन्तु शासन के सांस्कृतिक विभाग को हर ऐसे प्रसंगों से जुड़े उकेरी हुई आकृतियों को अपने ग्रंथो में दर्शाये गये उल्लेखो से अवश्य ही मिलान करवा लेना अत्यंत आवश्यक है- छोटी सी भूल हमारे धार्मिक भावनाओं आहत कर सकती है क्योंकि अयोध्या में प्रवेशद्वार पर हनुमानजी के संजीवनी लाने जाने का प्रसंग उकेरा गया है, जिसमे हाथ में गदा नहीं दिखाया गया है, यह कुबेर भगवान द्वारा दिया गया विशिष्ट अस्त्र है। अतः इसका सुधार आवश्यक प्रतीत होता है।

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