प्रयागराज (एजेंसी): पद्म माधव मंदिर ‘सुजावन देव मंदिर’ के नाम प्रसिद्ध इस स्थल का उल्लेख पुराणों में है। ऐसी मान्यता है कि चित्रकूट धाम का दर्शन तभी फलित होता है,जब बाबा सुजावन का दर्शन किया जाय। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में शिव भक्त जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। लेकिन कोरोना काल में भक्तों का आना कम हो गया है।
जनपद मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर दूर यमुना नदी के किनारे बसे बीकर देवरिया गांव में भीटा पहाड़ी क्षेत्र में अति प्राचीन शिव मंदिर है। प्रकृति में परिवर्तन के साथ ही मंदिर यमुना नदी के बहाव क्षेत्र में आ चुका है। ऐसी मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम वनवास जाते समय प्रयाग से चित्रकूट जाने के लिए यमुनापार पार करके यहां प्रथम पैर जल के बाहर रखा और यहीं पर शिव लिंग की स्थापना करके भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की। इस दौरान मां सीता ने भोजन भी बनाया था। हालांकि वर्तमान में सीता रसोई जल में समा चुका है।
कुर्म पुराण में मिलता है पद्म माधव का वर्णन
मंदिर के पुजारी ज्ञानेंद्र गोस्वामी ने बताया कि अति प्राचीन शिव मन्दिर का वर्णन कुर्म पुराण में मिलता है। जिसमें पद्म माधव मंदिर का उल्लेख मिलता है। मत्स्य पुराण में भी पद्म माधव का उल्लेख किया गया है। श्रृंगार देवी और गौरईया माता का मंदिर यहां है।
मुगल कालीन आक्रमणकारियों का भी हुआ शिकार
बताते हैं कि अतिप्राचीन शिवलिंग एवं मंदिर को मुगलकाल में इसे नष्ट करने का प्रयास किया गया, लेकिन अबतक अपने अस्तित्व में है। अकबर ने प्रयागराज एवं फतेहपुर सीकरी में बने किले का निर्माण जिस पहाड़ी पर मौजूद था, उसी पत्थरों से निर्मित है। सुजाउद्दीन के हस्तक्षेप की भी कहानी बताई जाती है। उसने भी मंदिर परिसर को पहले नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन मंदिर के समीप रहने वाले बड़े नाग के भय से छोड़ दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा धार्मिक स्थलों के विकास अभियान के तहत यहां तक पहुंचने के लिए मार्ग और प्रकाश के विद्युत पोल भी लगाए गए हैं।