उत्तराखंड

विवादों में घिरे डीएवी कॉलेज ने कई देशों को दिए प्रधानमंत्री, जानें पूरी कहानी…

देहरादून (गौरव ममगाई): आज एक बार फिर देहरादून का डीएवी कॉलेज नए विवाद के कारण चर्चाओं में है। कारण है कॉलेज की जीर्ण-क्षीर्ण दीवार गिरने से एक युवती की मौत होना। शिक्षा का मंदिर कहा जाने वाला डीएवी कॉलेज विरोध-प्रदर्शनों और हंगामें की भेंट चढ़ गया है. राजनीति भी जमकर हो रही है. मगर, आए दिन नये विवाद के चलते शिक्षा पीछे छूट रही है और छात्र हतोत्साहित हो रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि विवादों में रहने वाले इस कॉलेज का गौरवशाली इतिहास रहा है। इस कॉलेज ने देश व प्रदेश को तो गर्व कराया ही है, बल्कि मालदीव व नेपाल को प्रधानमंत्री दिये हैं। आइए जानते हैं डीएवी कॉलेज के स्वर्णिम इतिहास के बारे में……

नेपाल व मॉरीशस को दिए पीएम ::

डीएवी कॉलेज से पढ़े लोकेंद्र बहादुर नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। इसी तरह मॉरीशस के पीएम रह चुके शिवसागर रामगुलाम भी डीएवी कॉलेज से ही पढ़े हैं। हो सकता है कि कई लोगों को यह जानकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह सच है।

देश व प्रदेश का नाम भी किया रोशनः

  • ब्रह्मदत्तः इंदिरा सरकार में पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे ब्रह्मदत्त भी डीएवी कॉलेज के छात्र रहे हैं। देहरादून से उनका विशेष नाता रहा है।
  • ब्रह्म सिंह वर्माः पूर्व न्यायधीश ब्रह्म सिंह वर्मा ने भी इसी कॉलेज से शिक्षा ली। राजनीति के अलावा न्यायिक, खेल, सैन्य व फिल्म क्षेत्र में भी अनेक प्रतिभाओं इसी कॉलेज की देन हैं।
  • बछेंद्री पालः माउंट एवरेस्ट को फतेह करने वाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव बछेंद्री पाल को प्राप्त हुआ है। वह उत्तराखंड के उत्तरकाशी की रहने वाली हैं।
  • कर्नल अजय कोठियालः अजय कोठियाल नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के प्रिंसिपल रह चुके हैं। वह सैकड़ों युवाओं को ट्रेनिंग देकर सेना में भर्ती करा चुके हैं।
  • नित्यानंद स्वामीः राज्य गठन के पश्चात अस्थायी रूप से गठित सरकार में नित्यानंद स्वामी मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्हें उत्तराखंड का पहला मुख्यमंत्री बनने का अवसर हासिल हुआ।
  • कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल समेत मौजूदा राज्य सरकार में कई मंत्री डीएवी कॉलेज के छात्र रहे हैं।
  • इसी तरह कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्टए सूर्यकांत धस्माना समेत कई बड़े नेता व पूर्व मंत्री भी यहां के छात्र रहे।

डीएवी कॉलेज कब-कब रहा विवादों मेः

  • कुछ दिन पहले ही डीएवी कॉलेज की जर्जर दीवार एक युवती के ऊपर गिर गईए जिससे उसकी मौत हो गई। छात्र व लोगों का कहना है कि इस संबंध में कई बार कॉलेज प्रबंधन को आगाह किया गयाए लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस द्वारा कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया।
  • तीन वर्ष पहले प्रदेश सरकार की ओर से राज्य विश्वविद्यालय अधिनियमरू1973 में संशोधन करने पर डीएवी कॉलेज समेत प्रदेश के समस्त अशासकीय कॉलेजों के शिक्षक आंदोलनरत थे। शिक्षकों का आरोप था कि संशोधित अधिनियम में अनुदान का जिक्र नहीं किया हैए जिससे कॉलेज के संचालन संबंधी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। इस मामले में सरकार व अशासकीय कॉलेज आमनेरूसामने नजर आए थे।

कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव के दौरान कई बार राजनीतिक संघर्ष की घटनाएं हो चुकी हैंए जिसमें हथियार व बंदूक प्रयोग के मामले भी सामने आ चुके हैं।

डीएवी कॉलेज का इतिहासः:

डीएवी कॉलेज की स्थापना 1903 में हुईए तब ठाकुर पूरण सिंह नामक व्यक्ति ने कॉलेज के लिए भूमि दान की थी। 1920 के दशक मे यह कॉलेज 12वीं तक हो गया। 50 के दशक में पहले इसे ग्रेजुएशन तक बढ़ाया और दो साल बाद पोस्ट ग्रेजुएशन तक कर दिया। यह कॉलेज प्रदेश के सबसे पुराने डिग्री कॉलेज के रूप में जाना जाता है।

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