नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने सोमवार को भाजपा के उन कथनों को खारिज कर दिया कि उसके द्वारा गठित जांच में वित्त मंत्री अरुण जेटली को क्लीनचिट दे दी गई है। समिति का गठन डीडीसीए में कथित अनियमितता की जांच करने के लिए किया गया था जिसके 2013 तक जेटली अध्यक्ष रहे थे।
सिसोदिया ने संवाददाताओं से कहा कि जेटली को बरी कराने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों? इतना दबाव क्यों? जांच आयोग ने अपना काम कल ही शुरू किया है। इसके प्रमुख गोपाल सुब्रमण्यम ने स्वीकार्यता संबंधी पत्र कल ही दिया है। दूसरी ओर, केजरीवाल ने ट्वीट किया कि दिल्ली सरकार की जांच में किसी को कोई क्लीनचिट नहीं दी गई है। रिपोर्ट गलत कार्यों के कई मामलों से संबंधित है लेकिन इसमें जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। डीडीसीए मामले में दिल्ली सरकार के जांच आयोग पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि इसमें किसी का नाम नहीं लिया गया और जवाबदेही तय करने के लिए जांच आयोग की सिफारिश की गई है जो अब हम कर रहे हैं।
डीडीसीए के खिलाफ कुछ आरोपों का जिक्र करते हुए सिसोदिया ने कहा कि क्या जेटली 1999.2013 के दौरान डीडीसीए के प्रमुख नहीं थे, जब ये अनियमितताएं हुई थी? जब फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के मरम्मत का खर्च 24 करोड़ रूपये से बढ़कर 144 करोड़ रुपये हो गया, जब 16 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से लैपटाप लिये गए। उन्होंने कहा कि इस दौरान कंपिनयों को अनुबंध दिये गए और उसके समान निदेशक और समान पते थे। क्या यह भ्रष्टाचार की ओर संकेत नहीं देता है? तब ऐसा कैसे हुआ? ऐसा किसने किया? सिसोदिया ने दावा किया कि सरकार द्वारा इसकी जांच के लिए जांच आयोग गठित कने से पहले ही जेटली की ‘साफ छवि’ गढने का प्रयास किया गया।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा जिस तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट को पेश कर रही है, इसमें एसएफआईओ की रिपोर्ट और डीडीसीए की आंतरिक रिपोर्ट का सार तैयार किया गया है जो रिपोर्ट 17 नवंबर को सार्वजनिक की गई थी। इस संबंध में उन्होंने भाजपा से निलंबित सांसद कीर्ति आजाद के आरोपों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हम केवल जेटली से इतना ही कहना चाहते हैं कि क्या वह 1999.2013 के दौरान डीडीसीए के अध्यक्ष नहीं थे? अगर हां, तब जांच से क्यों भाग रहे हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)