मध्य प्रदेश पर बढ़ा कर्ज का बोझ! नई सरकार ने फिर लिए 5000 करोड़ रुपये
भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने एक बार फिर से कर्ज लिया है. इस बार प्रदेश सरकार ने पांच हजार करोड़ का कर्ज लिया है. यह कर्ज तीन हिस्सों में लिया गया है. बता दें वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक प्रदेश सरकार 27500 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. मध्य प्रदेश सरकार ने 20 फरवरी को बाजार से पांच हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है.
आरबीआई (RBI) के माध्यम से गवर्मेन्ट सिक्युरिटीज का विक्रय कर यह कर्ज कुल तीन हिस्सों में लिया गया है. पहला कर्ज 1,500 करोड़ 16 वर्ष और इतनी ही राशि का दूसरा कर्ज 20 वर्ष के लिए लिया गया. 2000 करोड़ का तीसरा कर्ज 21 वर्ष में चुकाया जाएगा. तीनों ही कर्ज पर साल में दो बार कूपन रेट पर ब्याज का भुगतान भी किया जाएगा.
बता दें मध्यप्रदेश की सरकार वित्तीय वर्ष 2023.24 में अब तक कुल 27 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. 5000 करोड़ के इस कर्ज को मिला लिया जाए तो यह राशि 32 हजार 500 करोड़ हो गई है. 31 मार्च 2023 की स्थिति में सरकार पर तीन लाख 31 हजार करोड़ रुपए से अधिक कर्ज है. उल्लेखनीय यह भी है कि इसी माह 06 फरवरी को डॉ. मोहन यादव की सरकार ने तीन हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था.
प्रदेश सरकार के कर्ज लेने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार को घेरा है. पटवारी ने ट्वीट कर लिखा कि नरेन्द्र मोदी जी के चुनावी वादे और मोदी की चुनावी गारंटी के बावजूद लाड़ली बहनों को 3000 रुपये प्रतिमाह नहीं दिए जा रहे. धान का समर्थन मूल्य 3100 प्रति क्विंटल घोषित करने के बावजूद नहीं दिया गया. वहीं गेहूं को लेकर भी 2700 प्रति क्विंटल सिर्फ चुनावी जुमला ही साबित हो रहा है. सरकारी भर्तियों में खुलेआम धांधली चल रही है.
सरकार की जांच रिपोर्ट संदिग्ध साबित हो रही है. युवा सडक़ों पर उतरकर भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. इसके बावजूद बीजेपी की प्रदेश सत्ता बेपरवाह है. एक ओर आर्थिक अराजकता का बढ़ता दायरा प्रदेश को कर्जदार बना रहा है, वहीं दूसरी तरफ युवा, गरीब, किसान और महिलाएं सरकारी वादों के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही बीजेपी पहले जनता के सवालों के जवाब दे, ताकि झूठे वादे करने वाले मुंह से फिर कोई नया झूठ निकल नहीं पाए.