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देश के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा के लिए वायु रक्षा प्रणालियों पर फोकस की जरूरत: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हवाई युद्धनीति के क्षेत्र में नए रुझान सामने आए हैं और रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए उनका विश्लेषण करने और उनसे सीखने की जरूरत है। सिंह ने भारतीय वायु सेना (आईएएफ) से देश के वायु क्षेत्र की रक्षा के लिए वायु रक्षा प्रणालियों को मजबूत करने, ड्रोन के उपयोग और एयरोस्पेस के क्षेत्र में प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। दिल्ली में गुरुवार को शुरू हुई दो दिवसीय एयरफोर्स कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में राजनाथ ने यह बात कही। सत्र के दौरान वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने रक्षा मंत्री को भारतीय वायुसेना की परिचालन तैयारियों के बारे में जानकारी दी।

कमांडरों को संबोधित करते हुये राजनाथ सिंह ने परिचालन तैयारियों को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया और तीनों सेवाओं द्वारा संयुक्त योजना और संचालन के कार्यान्वयन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने वायुसेना कमांडरों से तेजी से बदलती वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति पर नजर रखने और भारतीय संदर्भ में उनका आकलन करने का आग्रह किया।

रक्षा मंत्री ने कहा, “वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य से नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं। हमें उनसे निपटने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।” सिंह ने हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अन्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हाल के मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) मिशनों के दौरान भारतीय वायुसेना द्वारा निभाई गई शानदार भूमिका की सराहना की। उन्होंने प्रयागराज में वायु सेना दिवस परेड और एयर डिस्प्ले के सफल आयोजन के लिए भी भारतीय वायुसेना को बधाई दी, जिसे लोगों ने खूब सराहा।

इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान भी उपस्थित थे। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि द्विवार्षिक रूप से आयोजित सम्मेलन में वर्तमान भू-राजनीतिक वातावरण और तकनीकी अनिवार्यताओं को देखते हुए एलएएफ के आगे का मार्ग तैयार करने पर चर्चा शामिल है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि सम्मेलन के दौरान प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों और विभिन्न क्षेत्रों की निपुण हस्तियों को अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।

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