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कैप्टन विक्रम बत्रा को 26वें शहादत दिवस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि अर्पित की

नई दिल्ली । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने कैप्टन विक्रम बत्रा को (To Captain Vikram Batra) 26वें शहादत दिवस पर (On his 26th Martyrdom Day) श्रद्धांजलि अर्पित की (Paid Tribute) । वे कारगिल युद्ध के वीर नायक और परमवीर चक्र विजेता हैं ।

उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए भारत माता के वीर सपूत की बेमिसाल बहादुरी और बलिदान को सलाम किया। रक्षा मंत्री ने आधिकारिक एक्स पोस्ट में लिखा, “कारगिल युद्ध के दौरान उनकी बेमिसाल बहादुरी और बलिदान राष्ट्र की सेवा में साहस का एक शानदार उदाहरण है। उनके बलिदान दिवस पर उन्हें मेरी श्रद्धांजलि।”

वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने संदेश में लिखा, “कारगिल युद्ध में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा को उनकी शहादत की वर्षगांठ पर दिल से सलाम। भारतीय सेना के ‘शेर शाह’ के नाम से मशहूर शहीद कैप्टन बत्रा का नाम और उनकी देशभक्ति की भावना हमेशा हमारे दिलों में बनी रहेगी।”

कैप्टन विक्रम बत्रा, परमवीर चक्र (मरणोपरांत) को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मीन ने एक्स पर लिखा, “कारगिल युद्ध के एक महान नायक जिन्होंने कर्तव्य की राह पर अपना जीवन बलिदान कर दिया। उनकी बेमिसाल बहादुरी, अमर शब्द ‘ये दिल मांगे मोर,’ और अदम्य भावना भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है।” उन्होंने पोस्ट के अंत में लिखा, “जय हिंद।”

बता दें, कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था। उन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में साहस का परिचय देते हुए देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। देश के लिए दिए सर्वोच्च बलिदान को सम्मानित किया गया। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया। युद्ध के दौरान कैप्टन बत्रा ने 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स की डेल्टा कंपनी की कमान संभाली और पॉइंट 5140 और पॉइंट 4875 जैसी कठिन चोटियों पर तिरंगा फहराया था।

उनकी प्रसिद्ध टैगलाइन “ये दिल मांगे मोर” आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजती है, जो उनकी अदम्य हिम्मत और जोश का प्रतीक है। 7 जुलाई 1999 को पॉइंट 4875 पर दुश्मन की भारी गोलीबारी के बीच कैप्टन बत्रा ने अपने साथी लेफ्टिनेंट नवीन को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। इस दौरान, वह दुश्मन की गोली का शिकार हो गए और देश के लिए शहीद हो गए।

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