रक्षा मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हेतु एचएएल के साथ किया 26,000 करोड़ रुपये का समझौता
नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो) : रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए देश के रक्षा मंत्रालय ने 26,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से सुखोई-30एमकेआई विमान के लिए 240 एएल-31एफपी एयरो इंजन खरीदने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर कर दिया है ।
आपको बता दें कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड एक राज्य के स्वामित्त्व वाली भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी है जिसका मुख्यालय भारत के बंगलूरू में स्थित है। इसकी स्थापना बंगलूरू में 23 दिसंबर, 1940 को वालचंद हीराचंद ने हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड के रूप में की थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मार्च 1941 में सरकार ने कंपनी की एक-तिहाई हिस्सेदारी खरीद ली और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जनवरी 1951 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में ले लिया गया जिसके पश्चात् अक्तूबर, 1964 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड का नवगठित एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड के साथ विलय कर दिया गया और इस तरह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अस्तित्त्व में आया। 50 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ वर्तमान में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) देश के लिये तमाम तरह के सैन्य हेलीकाप्टरों और विमानों का निर्माण कर रहा है।
9 सितंबर, 2024 को नई दिल्ली में रक्षा सचिव गिरिधर अरामने और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी की उपस्थिति में रक्षा मंत्रालय और एचएएल के वरिष्ठ अधिकारियों ने सुखोई-30एमकेआई विमान के लिए 240 एएल-31एफपी एयरो इंजन खरीदने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इन हवाई इंजनों का निर्माण एचएएल के कोरापुट डिवीजन में किया जाएगा और उम्मीद है कि ये देश की रक्षा तैयारियों के लिए सुखोई-30 बेड़े की परिचालन क्षमता को बनाए रखने के लिए भारतीय वायुसेना की ज़रूरतों को पूरा करेंगे। एचएएल अनुबंधित डिलीवरी शेड्यूल के अनुसार प्रति वर्ष 30 हवाई इंजन की आपूर्ति करेगा। सभी 240 इंजनों की आपूर्ति अगले आठ वर्षों की अवधि में पूरी हो जाएगी। इन हवाई इंजनों के विनिर्माण के दौरान, एचएएल देश के रक्षा विनिर्माण परितंत्र से सहायता लेने की योजना बना रहा है, जिसमें एमएसएमई और सार्वजनिक एवं निजी उद्योग शामिल हैं। डिलीवरी कार्यक्रम के अंत तक एचएएल स्वदेशीकरण सामग्री को 63 प्रतिशत तक बढ़ा देगा, जिससे इसका औसत 54 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा। इससे हवाई इंजन के मरम्मत कार्यों में स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।