गाजा युद्ध के बीच भारत और इजरायल के रक्षा संबंध एक बार फिर से चर्चा, यूं उतारा कारगिल का अहसान
नई दिल्ली : गाजा युद्ध के बीच भारत और इजरायल के रक्षा संबंध एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गए हैं। भारत में इजरायल के पूर्व राजदूत डेनियल कारमोन ने इजरायली मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि भारतीयों ने हमें यह याद दिलाया है कि इजरायल कारगिल युद्ध के दौरान भारत के साथ खड़ा था। इजरायल कुछ उन देशों में शामिल था जो भारत के साथ खुलकर आ गया था और हथियार मुहैया कराए थे। भारतीय इसे नहीं भूलते हैं और अब वह संभवत: इसका अहसान चुका रहे हैं। इजरायली राजनयिक के इस खुलासे के बाद जहां भारत और इजरायल की दोस्ती की तारीफ हो रही है, वहीं विवाद भी शुरू हो गया है। आलोचकों का कहना है कि भारत युद्धापराध के दोषी इजरायल को कैसे हथियार दे सकता है।
25 साल पहले कारगिल युद्ध के दौरान इजरायल ने भारत को लेजर गाइडेड बम और कई घातक हथियार दिए थे, जिसकी मदद से भारत ने पाकिस्तानी सेना पर सटीक हमला किया था। इससे पाकिस्तानी सेना के ठिकानों के परखच्चे उड़ गए थे। इजरायल ने भारत को हथियारों की यह मदद तब दी थी, जब कारगिल में पाकिस्तानी सेना पहाड़ी चोटियों पर छिपी हुई और उनको निशाना बनाना काफी मुश्किल था। इजरायल के पूर्व राजदूत के इस बयान को ईरानी मीडिया ने तत्काल लपक लिया। इरना ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘भारत ने इजरायली प्रशासन को हथियारों की बड़ी डील दी है।’
इससे पहले स्पेन के विदेश मंत्री के बयान के बाद यह चर्चा शुरू हो गई थी कि क्या भारत इजरायल को हथियार भेज रहा है। स्पेन ने भारत के चेन्नई से इजरायल के हाइफा पोर्ट भेजे गए 27 टन विस्फोटक से भरे जहाज को अपने यहां रुकने की अनुमति नहीं दिया था। स्पेन ने कहा था कि मिडिल ईस्ट को शांति की जरूरत है न कि हथियार की। इजरायली मीडिया वाईनेटन्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने यह विस्फोटक ऐसे समय पर भेजा जब इजरायल की हमास और लेबनान के हिज्बुल्ला से जोरदार लड़ाई चल रही है।
इजरायली मीडिया ने कहा कि इस घटना ने यह दिखा दिया कि भारत 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले के बाद किस तरह से बड़े पैमाने पर इजरायल की सैन्य मदद कर रहा है। इससे पहले फरवरी महीने में वैश्विक रक्षा वेबसाइट शेफर्ड न्यूज ने बताया था कि भारत में पहली प्राइवेट किलर ड्रोन बनाने वाली फैक्ट्री से इजरायल को 20 से ज्यादा हरमेस 900 ड्रोन इजरायल को निर्यात किए गए हैं। इस ड्रोन को भारत के हैदराबाद स्थित कंपनी अडानी इल्बिट एडवांस्ड सिस्टम इंडिया लिमिटेड ने बनाया है। यह भारत की अडानी डिफेंस और इजरायल की इल्बिट कंपनी का संयुक्त उद्यम है।
यह ड्रोन भारतीय सेना को दिया जाना था लेकिन गाजा युद्ध के बाद खुद इजरायल की सेना को ही इसकी जरूरत आन पड़ी। भारत और इजरायल की ओर से कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। वहीं इजरायली अखबार हारित्ज ने मार्च महीने में दावा किया था कि इजरायली सेना 71 साल पुराने तोप के गोले गाजा में दाग रही है जो भारत में ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होने थे। उसने बताया कि तोप के गोलों की भारी कमी की वजह से इजरायली सेना 1950 के दशक के तोप के गोले इस्तेमाल कर रही है। यह अमेरिकी तोप का गोला भारत में इमरजेंसी स्टोरहाउस से भेजा गया था। इसे साल 1953 में बनाया गया था।