नई दिल्ली : aदेश की राजधानी की पुलिस ने एक और किडनी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। क्राइम ब्रांच ने पांच राज्यों में फैले एक बड़े किडनी रैकेट में शामिल कुल पंद्रह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। क्राइम ब्रांच चाणक्य पुरी की एक टीम ने एक अंतरराज्यीय अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात में सक्रिय था। अस्पतालों के ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर, मरीजों और डोनर सहित सिंडिकेट के 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि आरोपियों के पास से विभिन्न अधिकारियों के टिकट, मुहर, विभिन्न अस्पतालों और प्रयोगशालाओं के कागजात बरामद हुए। साथ ही किडनी ट्रांसप्लांट के रोगियों और डोनर के जाली कागजात और जाली आईडी सहित कई सामग्री बरामद हुई।
उन्होंने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट के दौरान ठगी को लेकर एक महिला पीड़िता ने शिकायत की थी। महिला ने संदीप और विजय कुमार कश्यप उर्फ सुमित के खिलाफ शिकायत की थी। महिला ने बताया कि इन दोनों ने किडनी ट्रांसप्लांट के बहाने उसके पति से पैंतीस लाख रुपये की ठगी की है। इस मामले में क्राइम ब्रांच की टीमों ने संदिग्ध के कई ठिकानों पर छापे मारे। डीसीपी ने बताया कि पुलिस ने लखनऊ निवासी आरोपी सुमित उर्फ विजय कश्यप को नोएडा से गिरफ्तार किया। उसके पास से भारी मात्रा में जाली कागजात, स्टांप सील और मरीज/डोनर की फाइलें बरामद की गईं। इसके अलावा उत्तराखंड निवासी संदीप आर्य और देवेंद्र दोनों को गोवा के एक पांच सितारा होटल से गिरफ्तार किया गया।
उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि प्रतिष्ठित अस्पतालों में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के रूप में वो काम करते थे। फिर अस्पताल द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अपनाई गई प्रक्रिया को सीखते थे। इसके बाद वे किडनी की बीमारी से पीड़ित और दिल्ली, फरीदाबाद, मोहाली, पंचकूला, आगरा, इंदौर और गुजरात के विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों की पहचान करते थे। फिर आरोपी सोशल मीडिया के माध्यम से किडनी डोनरों से संपर्क साधते थे। फिर उन्हें 5-6 लाख रुपये का लालच देकर किडनी डोनेट करने के लिए तैयार करते थे।
डीसीपी ने बताया कि आरोपी डोनरों का जाली दस्तावेज भी बनवा देते थे। फिर उन्हें डोनेट करने की पूरी प्रक्रिया को पास करा ट्रांसप्लांट के लिए तैयार करते थे। अधिकारी ने बताया कि तब जाकर पता चला कि सिंडिकेट ने विभिन्न राज्यों के 11 अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट किया था। इस मामले में नोएडा निवासी संदीप आर्या किडनी रैकेट का सरगना है और पब्लिक हेल्थ में एमबीए किया हुआ है। संदीप आर्य मरीजों से संपर्क करता था और उन अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट की व्यवस्था करता था। वह प्रत्येक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लगभग 35-40 लाख रुपये लेता था।
बता दें कि आरोपियों से विभिन्न राज्यों के विभिन्न अधिकारियों के 34 स्टाम्प, किडनी रोगियों और दानकर्ताओं की 6 जाली फाइलें और जाली दस्तावेज तैयार करने के लिए विभिन्न प्रयोगशालाओं और अस्पतालों के कागजात बरामद हुए। वहीं, आरोपियों के पास स्टाम्प तैयार करने के लिए सामग्री, किडनी ट्रांसप्लांट के रिकॉर्ड और आपत्तिजनक डेटा वाले 2 लैपटॉप, 17 मोबाइल फोन, 9 सिम कार्ड सहित डेढ़ लाख रुपये पाए गए।