दिल्ली की हवा में सांस लेना हुआ मुश्किल, इस सीजन में पहली बार ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचा AQI
नई दिल्लीः दिल्ली में बुधवार को देश की सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई और यह इस मौसम में पहली बार ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई तथा एक्यूआई 418 दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, बिहार के हाजीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 417 दर्ज किया गया और यह देश में दूसरा सबसे प्रूदषित खराब स्थान रहा।
सीपीसीबी के अनुसार, दिल्ली के 36 निगरानी स्टेशनों में से 30 में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी रही। राष्ट्रीय राजधानी का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मंगलवार को 334 रहा था। यह रोज़ाना शाम चार बजे दर्ज किया जाता है।
एक्यूआई 0 से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’, 401-450 के बीच ‘गंभीर’ और 450 से अधिक होने पर ‘अति गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में तीन दिनों तक शहर का एक्यूआई ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा। इस साल 14 जनवरी को एक्यूआई 447 दर्ज किया गया था जबकि 24 और 26 जनवरी को यह 409 रिकॉर्ड हुआ था।
सीपीसीबी ने कहा कि एक्यूआई के ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचे से स्वस्थ लोग प्रभावित होते हैं तथा पहले से ही चिकित्सा संबंधी समस्याओं से ग्रस्त लोगों पर इसका गंभीर असर पड़ता है। राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता 30 अक्टूबर को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई थी। वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र के ‘डिसीजन सपोर्ट सिस्टम’ के अनुसार, वाहनों से होने वाला उत्सर्जन दिल्ली के प्रदूषण में सबसे ज्यादा योगदान देता है, जिसकी अनुमानित हिस्सेदारी लगभग 13.3 प्रतिशत है। अन्य प्रमुख प्रदूषक पीएम 2.5 और पीएम 10 हैं। वहीं, चंडीगढ़ में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ‘समीर’ ऐप के अनुसार, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी में बुधवार शाम चार बजे एक्यूआई 372 दर्ज किया गया। प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के साथ, चंडीगढ़ के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत गठित कार्य बल ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए रात में पानी का छिड़काव या सड़कों की धुलाई, ‘एंटी-स्मॉग गन’ का उपयोग, पत्तियों और कचरे को खुले में जलाने पर रोक लगाने और यातायात की आवाजाही की निगरानी जैसे उपाय किए हैं।