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इजरायली PM के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में अरेस्ट वारंट की मांग

नई दिल्ली: गाजा में हमास के खिलाफ जंग में उतरे इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर सीजफायर के लिए चौतरफा दबाव डाला जा रहा है. इसी कड़ी में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारंट की मांग की गई है. इस लिस्ट में हमास नेता याह्या सिनवार, इस्माइल हानिए और मोहम्मद दीफ का नाम भी शामिल है. आईसीसी में चारों नेताओं को मानवता के खिलाफ अपराध का आरोपी बताया गया है. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के प्रोसिक्यूटर करीम खान ने बताया कि गाजा में इजरायली सेना द्वारा फिलिस्तीनी नागरिकों पर जारी हमला मानवता के खिलाफ है. हमारी जानकारी के अनुसार ये आज भी जारी है. इसी तरह हमास के नेता इजरायली लोगों की हत्या, रेप, यौन शोषण और जबरन लोगों को बंधक बनाने के दोषी है.

ऐसे में बेंजामिन नेतन्याहू, याह्या सिनवार, इस्माइल हानिए और मोहम्मद दीफ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की मांग की गई है. इस मामले पर इजरायली विदेश मंत्री इजरायल काट्ज का कहना है कि इजरायली नेताओं के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का ये कदम एक ‘ऐतिहासिक अपमान’ है. इतना ही नहीं उन्होंने जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई है. दूसरी तरफ गाजा में पिछले सात महीने से जारी जंग को रुकवाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने रविवार को इजरायल का दौर किया. उन्होंने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू समेत कई नेताओं और अधिकारियों से मुलाकात की है. इजरायली मीडिया के मुताबिक इस मुलाकात में जेक सुलिवन ने नेतन्याहू को गाजा में सीजफायर के लिए मनाने की कोशिश की है. दोनों के बीच गाजा पर शासन के लिए अमेरिकी योजना पर चर्चा हुई.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक जेक सुलिवन ने ऐसे समय में सीजफायर के लिए इजरायल को मनाने की कोशिश की, जब इजरायली नेताओं के बीच युद्धविराम को लेकर मतभेद खुल कर सामने आ चुका है. जेक सुलिवन के दौरे से ठीक पहले इजरायली वॉर कैबिनेट में मंत्री बेनी गैंट्ज ने चेतावनी दी कि यदि प्रधानमंत्री नेतन्याहू गाजा पट्टी के भविष्य के लिए कोई योजना नहीं पेश कर पाते हैं तो वो वॉर कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे देंगे. बेनी गैंट्ज ने कहा है कि उन्होंने सरकार के लिए छह रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए 8 जून तक का वक्त दिया है. गैंट्ज का ये बयान ऐसे वक्त पर आया जब कुछ दिन पहले इजरायल के रक्षा मंत्री ने पीएम नेतन्याहू से गाजा को लेकर जवाब मांगा था. रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने नेतन्याहू से कहा था कि वो सार्वजनिक तौर पर ये बयान दें कि गाजा में सैन्य या नागरिक सरकार बनाने की उनकी कोई मंशा नहीं है.

गैलांट का कहना था कि वो बीते कुछ महीनों से ये मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें इसका कोई जवाब नहीं मिला है. दरअसल बेनी गैंट्ज और योव गैलेंट का कहना है कि अगर इजरायल गाजा में सैन्य नियंत्रण रखता है तो इससे उसका सुरक्षा जोखिम बढ़ सकता है. हालांकि नेतन्याहू के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन के धुर-दक्षिणपंथी सदस्यों का कहना है कि हमास को हराने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है. पिछले साल 7 अक्टबूर को फिलिस्तीन के हथियारबंद संगठन हमास ने इजरायल पर हमला कर 1200 लोग को मार डाला था, जबकि 252 लोगों को बंधक बनाकर गाजा ले गया था. इसके बाद हमास आधे से ज्यादा बंधकों को छोड़ चुका है, लेकिन अभी भी इसके कैद में करीब 124 इजरायली नागरिक हैं. हमास का कहना है कि जब तक इजरायल गाजा में अपनी सैन्य कार्रवाई खत्म कर वापस नहीं लौट जाता वो बंधकों को नहीं छोड़ेगा.

वहीं इसके जवाब में इजरायल अब तक 35 हज़ार से ज़्यादा फिलिस्तीनियों को गाजा और वेस्ट बैंक में मार चुका है. इजरायल चाहता है कि हमास पहले बंधकों को छोड़े जिसके बाद वो गाजा छोड़ने पर विचार करेंगे. हालही में हमास ने इजरायल को गाजा में युद्धविराम के लिए प्रस्ताव भी दिया था, जिसे इजरायल ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया. उसका आरोप है कि हमास अपनी शर्तों पर युद्ध विराम चाहता है, जो उसे बिल्कुल मंजूर नहीं है. गाजा के रफाह में इजरायली सैन्य कार्रवाई रूकवाने को लेकर नीदरलैंड के द हेग में मौजूद अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में सुनवाई जारी है. इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत में अपना पक्षा रखा और दक्षिण अफ्रीका पर वास्तविकताओं को तोड़मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया. उसने दावा किया कि दक्षिण अफ्रीका गाजा के रफाह शहर में उसके जमीनी सैन्य अभियान को अदालत के जरिए रुकवाने की कोशिश के तहत ऐसा कर रहा है.

इससे पहले दक्षिण अफ्रीका ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में आरोप लगाया था कि इजरायल धरती से फिलिस्तीनी लोगों को मिटा देने का इरादा रखता है. रफ़ाह आख़िरी मोर्चा है. दक्षिण अफ्रीका इजरायल पर गाजा में फिलिस्तीनी लोगों का नरसंहार करने का भी आरोप लगा चुका है. इसको लेकर जनवरी में दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल के ख़िलाफ़ आईसीजे में मुक़दमा दायर किया था जो अभी विचाराधीन है. फिलिस्तीनियों के नरसंहार का आरोप, तुर्किए सहित कई अरब देश भी लगा चुके हैं. वहीं इजरायल नरसंहार के आरोपों को खारिज करता रहा है. उसका कहना है कि वो हमास से बंधकों को छुड़ाना चाहता है.

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