दिवाली के बाद भी डेंगू के मामले घटने की उम्मीद कम, पटाखे बैन से भी पड़ेगा असर

नई दिल्ली. देश में डेंगू का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. यूपी-बिहार सहित कई राज्यों के बाद अब राजधानी दिल्ली में भी डेंगू (Dengue in Delhi) के मरीजों की संख्या एकाएक बढ़ गई है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ हफ्तों से बढ़ी बीमारी के कारण दिल्ली में डेंगू के मरीजों की संख्या एक हजार के पार पहुंच गई है वहीं एनसीआर के गाजियाबाद, नोएडा आदि शहरों में मामले हजार से ऊपर पहुंच रहे हैं. उत्तर प्रदेश की बात करें तो 16 हजार से ज्यादा मामले अभी तक रिपोर्ट हो चुके हैं. जबकि नेशनल वैक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (NVBDCP) के डेटा के अनुसार सिर्फ सितंबर तक 60112 मामले डेंगू के आ चुके हैं. हालांकि देश के कई इलाकों में अक्टूबर में डेंगू का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ा है.
पिछले दो साल के मुकाबले इस बार डेंगू काफी खतरनाक होकर उभरा है. वहीं हालातों को नजदीक से देख रहे स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली (Diwali) के आसपास डेंगू के मामले पीक पर रहने वाले हैं लेकिन दिवाली के बाद भी डेंगू से राहत मिलने की उम्मीद काफी कम है. दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन में पूर्व एडिशनल एमएचओ यानि म्यूनिसिपल हेल्थ ऑफिसर और डेंगू, मलेरिया, कॉलेरा के नोडल अधिकारी रहे डॉ. सतपाल कहते हैं कि डेंगू के मामले इस बार पूरे नवंबर तक रहने की संभावना है. वैसे तो डेंगू के मामले में यह देखा गया है कि यह बीमारी हर दो से तीन साल में अपना प्रकोप दिखाती है लेकिन इस बार डेंगू के मच्छर और लार्वा को पनपने में कई लापरवाहियां और चीजें जिम्मेदार रही हैं. अगर कोरोना (Corona) की तरह मौसमी बीमारी के रूप में हर साल सामने आने वाले डेंगू को लेकर भी सावधानियां बरती गईं होती तो इतने खराब हालात नहीं होते.
वहीं ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र कहते हैं कि अगले दो हफ्ते तक डेंगू के मामले इसी प्रकार मिल सकते हैं लेकिन 15 नवंबर के बाद इसके मामलों में कुछ गिरावट देखी जा सकती है. दशकों से डेंगू का यह ट्रेंड चला आ रहा है लेकिन हाल-फिलहाल में जो स्थिति है उससे सुरक्षित रहना काफी जरूरी है. चूंकि डेंगू मच्छर जनित बीमारी है, अगर लोग मच्छरों से अपना बचाव कर लें तो इसकी चपेट में आने से बचा जा सकता है.
डेंगू के लिए फॉगिंग और लार्वा चेकिंग में हुई लापरवाही
डॉ. सतपाल कहते हैं कि जब से कोरोना की तीसरी लहर की बात की जा रही थी तभी से पब्लिक हेल्थ से जुड़े लोग डेंगू और चिकनगुनिया को लेकर भी चेतावनी दे रहे थे. हालांकि इस बार चिकनगुनिया नहीं आया लेकिन डेंगू का असर काफी है. दिल्ली में ही म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन स्तर पर काफी लापरवाही हुई है. मच्छरों का लार्वा चेक करने वाले डोमेस्टिक ब्रीडिंग (Breeding) चेकर इस बार बहुत कम देखे गए हैं. जबकि यह काम अगस्त से ही शुरू कर दिया जाना चाहिए था. इसके अलावा ऐसे कई इलाके भी जानकारी में हैं जहां फॉगिंग ही नहीं की गई.
बारिश और वॉटर लॉगिंग से नुकसान
डॉ. सतपाल कहते हैं कि इस बार बारिश काफी ज्यादा हुई है. ऐसे में दिल्ली सहित एनसीआर के शहरों में पानी निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. जगह-जगह वॉटर लॉगिंग हुई है. जहां आसानी से डेंगू के लार्वा को पनपने का मौका मिल गया है. यहां आम लोगों से भी लापरवाही हुई है. कोरोना के डर और सावधानी बरतने के चलते डेंगू को लेकर वे भी लापरवाह हुए और बचाव के तरीके पहले से नहीं अपनाए. लिहाजा चीजें बदतर हुई हैं.
पटाखों पर बैन से डेंगू मच्छरों को होगा फायदा
डॉ. सतपाल कहते हैं कि इस बार भी दिवाली पर पटाखों को बैन कर दिया गया है. इसके बावजूद लोग पटाखे फोड़ते हैं लेकिन बैन के चलते इनकी संख्या सीमित हो जाएगी. ऐसे में दिवाली के आसपास पूरी तरह ठंडा मौसम भी नहीं रहेगा जैसा कि डेंगू के मच्छर को मारने के लिए 10-15 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए होता है और न ही पटाखों का इतना धुआं होगा. ऐसे में ये दोनों चीजें मच्छरों को उचित माहौल देंगी.