हताश कांग्रेस आखिर क्यों नहीं चलने देना चाहती सदन?

भराड़ीसैंण (दस्तक टाइम्स ब्यूरो)। उत्तराखंड में कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं बचा। मुख्यमंत्री कहते रह गए कि सरकार हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस सदन में दूसरे दिन भी हंगामा करती रही। कुर्सी मेज तोड़ती रही। विधानसभा अध्यक्ष के सामने कागज के गोले फेंकती रही। मजे की बात है कि कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाकर खुद कांग्रेस विधायकों ने सदन की गरिमा और कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाईं।

किसी भी राज्य में पंचायत चुनाव के नतीजे उस राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव की नब्ज़ होते हैं। इसके नतीजे बताते हैं कि सरकार ज़मीनी स्तर पर कितना काम कर रही है और उसकी लोकप्रियता का पैमाना क्या है? इसलिए हैरत नहीं कि राज्य के चुनावी सेमीफाइनल में सीएम पुष्कर सिंह धामी की धुंआधार पारी से विपक्ष चारों खाने चित हो गया। बीजेपी ने राज्य में एकतरफा जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता। जिला पंचायत की 12 में से 10 सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा। जबकि ब्लॉक प्रमुख के 70 फीसदी पदों पर कमल खिला। ग्राम प्रधान की 85 प्रतिशत सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो गया। बीजेपी इस कामयाबी का पूरा श्रेय विकास कार्यों और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व को दे रही है। हालिया चुनावों के नतीजों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जनता प्रदेश में बीजेपी की नीतियों और कार्यशैली पर भरोसा करती है। विधानसभा चुनाव से दो साल पहले राज्य में इतनी बड़ी कामयाबी बीजेपी के बढ़ते जनाधार की मजबूती का सबूत है।
दरअसल कांग्रेस को बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि पंचायत चुनाव में उसका इतना बुरा हाल होगा। एक नैनीताल की सीट पर कांग्रेस को उम्मीद थी कि यह सीट उनकी उम्मीदवार पुष्पा नेगी निकाल लेंगी। लेकिन यह सीट भी भाजपा उम्मीदवार दीपा दरम्वाल जीत गईं। हताश कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि 14 अगस्त को हुए चुनाव में वोट डालने से रोकने के लिए उसके कुछ ज़िला पंचायत सदस्यों का अपहरण कर लिया था। लेकिन नैनीताल जिला पंचायत सदस्यों के कथित किडनैपिंग केस में नया ट्विस्ट तब आ गया जब गायब हुए सभी जिला पंचायत सदस्यों को धामी सरकार ने मीडिया को सामने पेश कर दिया। कथित रूप से गायब हुए जिला पंचायत के एक सदस्य तरुण कुमार शर्मा ने मीडिया से कहा- ‘मेरे किडनैप होने की बात कही जा रही है। हम जितने भी जिला पंचायत सदस्य है, सभी पिछले दस सालों से भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़े हैं। वो पहले भी बीजेपी के युवा मोर्चा में रहे हैं। सभी लोग पहले भी पार्टी में थे, है और रहेंगे।’

इस फज़ीहत के बाद कांग्रेस को होश आ जाना चाहिए था। लेकिन कांग्रेस विधायकों का सदन में हंगामा जारी रहा दरअसल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देवभूमि की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए न केवल लोकप्रिय फैसले ले रहे हैं बल्कि उन्हें कानून का जामा भी पहना रहे हैं। सरकार धर्मांन्तरण विरोधी कानून को और सख्त बना रही है जिसका राज्य की जनता ने खुले दिल से स्वागत किया है। विधानसभा में यूसीसी संशोधन विधेयक भी पारित कर दिया गया है। इस संशोधन के तहत गलत तरीके से लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वालों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। नए प्रावधानों के अनुसार ऐसे मामलों में सजा को और सख्त कर दिया गया है। इसी तरह सरकार अवैध मदरसों को बंद कर रही है।

यह सब ऐसे फैसले हैं जिससे राज्य में बीजेपी का वोट बैंक मजबूत हो रहा है। इसका असर दो साल बाद विधानसभा चुनाव में दिखेगा। कांग्रेस के पास कहने के लिए कुछ नहीं है। धराली में इतनी बड़ी आपदा आई। मुख्यमंत्री धामी खुद को खतरे में डाल कर बचाव कार्य में लगे रहे। इस बात की तारीफ नेशनल मीडिया कर रहा है। ऐसे में कांग्रेस के पास कहने को कुछ नहीं है। इस हताशा में वह कानून व्यवस्था का मुद्दा उठा रही है जो उत्तराखंड में कोई मुद्दा है ही नहीं।

इसमें कोई संदेह नहीं कि राज्य में पंचायत चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष हुए हैं। जहां कानून व्यवस्था संबंधित कुछ दिक्कतें आई, वहां सरकार ने तत्काल एक्शन भी लिया है। यदि चुनाव निष्पक्ष नहीं होते तो देहरादून और बाजपुर में कांग्रेस को जीतती? इसी तरह नैनीताल में भी उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस कैसे जीतती? साफ है कि चुनाव पारदर्शी तरीके से सम्पन्न हुए हैं। जैसी की सीएम धामी ने कहा भी कि- ‘विपक्ष देशभर में जहां जहां चुनाव हारता है, वहां इसी तरह कभी ईवीएम, चुनाव आयोग, सरकार से लेकर प्रशासन पर अनाप शनाप आरोप लगाता है।”