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बाइब्रेंट गुजरात की तर्ज पर डेस्टीनेशन उत्तराखंड

नब्बे के दशक में या कहें कि गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले उद्योग जगत में गुजरात का अधिक नाम नहीं था, लेकिन जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात की कमान संभाली और बाइब्रेंट गुजरात का नारा दिया तो उसकी तस्वीर व तकदीर बदल गई। राज्य की गणना माडल प्रदेश के रूप में होने लगी। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री पद के दावेदारी के लिए गुजरात मॉडल की बात सामने आई। अब इससे प्रेरणा लेकर ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उसी तर्ज पर उत्तराखंड को संवारने में जुटे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री धामी ने एक कार्यक्रम में भी खुद यह कहा कि वे प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेकर ही राज्य में डेस्टीनेशन उत्तराखंड बनाने में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

राम कुमार सिंह

गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार से ब्राइब्रेंट गुजरात की शुरुआत की थी, उसी तर्ज पर उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डेस्टीनेशन उत्तराखंड का आगाज किया है। धामी ने प्रधानमंत्री मोदी के गुजरात मॉडल से प्रेरणा लेकर इसकी शुरुआत की है। यही कारण है कि अब तक उत्तराखंड में करीब दो लाख करोड़ के करार हो चुके हैं। इससे आने वाले दिनों में उत्तराखंड भी गुजरात की तर्ज पर ही उद्योग क्षेत्र का मॉडल बनेगा। उत्तराखंड ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट 2023 इसी मिशन का एक विशिष्ट अंग है। यह बात सही है कि नब्बे के दशक में या कहें कि गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले उद्योग जगत में गुजरात का अधिक नाम नहीं था, लेकिन जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात की कमान संभाली और बाइब्रेंट गुजरात का नारा दिया तो उसकी तस्वीर व तकदीर बदल गई। राज्य की गणना माडल प्रदेश के रूप में होने लगी। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री पद के दावेदारी के लिए गुजरात मॉडल की बात सामने आई। अब इससे प्रेरणा लेकर ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उसी तर्ज पर उत्तराखंड को संवारने में जुटे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री धामी ने एक कार्यक्रम में भी खुद यह कहा कि वे प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेकर ही राज्य में डेस्टीनेशन उत्तराखंड बनाने में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

इसका असर यह हुआ कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले ही अभी तक दो लाख करोड़ रुपए के करार निवेशकों के साथ हो चुके हैं तथा निवेश का क्रम जारी है। धामी भी जानते हैं कि उत्तराखंड के अंतिम छोर में खड़े व्यक्ति तक विकास की धारा पंहुचाने तथा पलायन को रोकना है तो उसके लिए रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना अत्यंत आवश्यक है। औद्योगिक क्षेत्र में जब तक निवेश नहीं बढ़ेगा तब तक रोजगार के अवसरों में वृद्धि संभव नहीं हो सकती। इसलिए सरकार ने सरलीकरण, समाधान, निस्तारीकरण और संतुष्टि के मूल सिद्धांत को अपनाकर राज्य में ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। राज्य में लाइसेंस आदि के अनुमोदनों के लिए ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ की व्यवस्था में सुधार किया गया है तथा व्यवसाय की स्थापना और संचालन के लिए आवश्यक सभी स्वीकृतियों के लिए ‘वन स्टाप शाप’ व्यवस्था भी शुरू की गयी है। निवेशक मित्र की भी स्थापना की गयी है। सरकार ने इस आयोजन के लिए राज्य के लिए फोकस सेक्टरों की पहचान की है, जिनमें राज्य के पारंपरिक क्षेत्रों जैसे पर्यटन, आयुष, वेलनेस, खाद्य प्रसंस्करण, आटोमोबाइल्स, फार्मा के साथ-साथ वैकल्पिक ऊर्जा और सूचना एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र सम्मिलित हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मजबूत नीतिगत ढांचे में निवेशक हितैषी नीतियां बनाने के लिए गत चार माह में 27 से अधिक नीतियों को या तो बनाया गया है या नवीनीकृत किया गया है।

भारत सरकार की ओर से जारी रैंकिंग में अब उत्तराखंड एचीवर्स की श्रेणी में शामिल हैं। साथ ही उत्तरराखंड में रेल सड़क एवं हवाई कनेक्टिविटी में भी लगातार सुधार हो रहा है। सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र के साथ मजबूत संबंध बनाने एवं साझेदारी स्थापित करने से ही हम राज्य में आर्थिक प्रगति एवं रोजगार के अवसरों के सृजन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। इसलिए उत्तराखंड में सरकार ने उद्योगों के साथ बेहतर संबंध एवं तालमेल बढ़ाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। सरकार ने आठ और नौ दिसंबर को देहरादून में प्रस्तावित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में भाग लेने के लिए सभी को आमंत्रित किया। सरकार ने उद्यमियों को विश्वास दिलाया कि उत्तराखंड में उद्योग स्थापित करने में उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मानते हैं कि युवा उत्तराखंड तेजी के साथ विकास के पथ पर दौड़े, इसके लिए औद्योगिक विकास पर फोकस करना होगा। उद्योगों को यह गति वैश्विक निवेशक सम्मेलन के जरिये मिल सकती है। प्रदेश में इस समय उद्योगों में लगभग 53.69 हजार करोड़ का पूंजी निवेश हुआ है। इनके जरिये 51 हजार व्यक्ति रोजगार पा रहे हैं।

वैश्विक निवेशक सम्मेलन प्रदेश में उद्योगों को विस्तार देने की उम्मीद लेकर आया है। जिस प्रकार से अभी तक एक लाख करोड़ रुपये के निवेश करार हो चुके हैं, उससे उद्योगों के साथ ही राज्य के विकास को गति मिलने की उम्मीद है। निवेशकों ने पर्यटन, सेवा क्षेत्र, वेलनेस, फार्मा, लाजिस्टिक, कृषि व ऊर्जा क्षेत्र में विशेष दिलचस्पी दिखाई है। उत्तराखंड में औद्योगिक विकास की राह बहुत आसान नहीं रही है। राज्य गठन के समय प्रदेश में कुल 14163 सूक्ष्म व लघु उद्योग और 39 बड़े उद्योग स्थापित थे। वर्ष 2003 में केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने विशेष औद्योगिक पैकेज दिया। इससे यहां औद्योगिक विकास को गति मिली। प्रदेश में उद्योगों को आकर्षित करने के लिए वर्ष 2019 में भी निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस दौरान लगभग सवा लाख करोड़ के करार किए गए, लेकिन इनमें से 25 से 30 हजार करोड़ के निवेश करार पर ही बात आगे बढ़ी है। वर्तमान पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उद्योगों को रफ्तार देने के लिए ईज आफ डूइंग बिजनेस के तहत सुधार कार्यक्रम लागू किए हैं। इसके अंतर्गत उद्योग स्थापित करने वाले उद्यमियों को आवेदन से लेकर मंजूरी तक के प्राविधान सरलीकृत किए गए हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं कि आगामी आठ और नौ दिसंबर को आयोजित होने वाले ग्लोबल इंवेस्टमेंट समिट के लिए हम तैयार हैं। पिछले चार महीने से ग्लोबल इंवेस्टमेंट समिट आयोजित करने के संबंध में हमने लंदन, दुबई, अबूधाबी, चेन्नई, अहमदाबाद, मुंबई, नई दिल्ली और उत्तराखंड में हरिद्वार, देहरादून, रुद्रपुर आदि में निवेशकों से बातचीत की, जिसमें बड़ी संख्या में निवेशकों का सहयोग प्राप्त हुआ। इसमें निवेशकों ने जो उत्साह दिखाया, वह ऊर्जा पैदा करने वाला है। इस समिट को सफल बनाने के लिए सभी ब्रांड एंबेसडर के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि निवेश बढ़ेगा तो रोजगार बढ़ेगा, लोगों को काम मिलेगा तथा बेरोजगारी कम होगी।

हरिद्वार और देहरादून में 37820.47 करोड़ के 304 एमओयू हुए साइन
राज्य में आर्थिक विकास, निवेश प्रोत्साहन और रोजगार के अवसर सृजित किए जाने तथा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को निवेश के लिए आकर्षित करने के उद्देश्य से देहरादून में आठ और नौ दिसंबर को उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 2023 के आयोजन के क्रम में जिला हरिद्वार और देहरादून को 10 हजार करोड़ का एमओयू के लिए लक्ष्य दिया गया था, जिसके सापेक्ष जिला हरिद्वार एवं देहरादून में 37820.47 करोड़ के 304 एमओयू प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए गए। जिला हरिद्वार में 185 एमओयू और धनराशि 23682.38 करोड़ के प्रस्ताव हस्ताक्षर किए गए, जिसमें मुख्य रूप से मैसर्स गोल्ड प्लस रुड़की (फ्लोट ग्लास) 1200 करोड़, मैसर्स अवंती बूफा प्राइवेट लिमिटेड, इंड एरिया रुपए 1200 करोड़, मैसर्स तैजा बिल्ड टैक, इंडि एरिया रुपए 1200 करोड़, मैसर्स कैवेन्डिश इंडस्ट्रीज, लक्सर 700 करोड़ तथा मैसर्स एकम्स फार्मा सिडकुल 500 करोड़ इत्यादि के निवेश प्रस्ताव हस्ताक्षर हुए। इसी प्रकार जिला देहरादून में 119 एमओयू, धनराशि 14138.09 करोड़ के प्रस्ताव हस्ताक्षर किए गए, जिसमें मुख्य रूप से मैसर्स दून इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस सहसपुर और मैसर्स ईस्ट एफरिकन इंडिया ओवरसीज फार्मा सिटी सेलाकुई इत्यादि के निवेश प्रस्ताव हस्ताक्षर हुए।

उत्तराखंड की जीएसडीपी दोगुना होने की उम्मीद
प्रदेश की धामी सरकार ने जिस प्रकार से ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिये उम्मीद जगाई है उससे आने वाले दिनों में प्रदेश आर्थिक रूप से सशक्त तो बनेगा ही, साथ ही प्रतिव्यक्ति आय भी काफी तेजी के साथ बढ़ने की उम्मीद जग रही है। पुष्कर सिंह धामी सरकार की योजना सफल रही तो पांच वर्षों में उत्तराखंड की वर्तमान अर्थव्यवस्था का आकार दोगुना यानी लगभग 6.04 लाख करोड़ तक होगी। सरकार ने संकल्प लिया है कि वर्ष 2027-28 तक सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) दोगुना किया जाएगा। प्रदेश में बड़े पूंजी निवेश की तैयारी के साथ इस संकल्प पर आगे बढ़ने का रास्ता तैयार किया जा रहा है। दिसंबर में प्रस्तावित वैश्विक निवेशक सम्मेलन के माध्यम से दो लाख करोड़ रुपये के पूंजी निवेश धरातल पर उतारा जाएगा। इससे प्रदेश की आर्थिकी तो सशक्त होगी ही, साथ में बड़े पैमाने पर रोजगार भी सृजित होंगे। अवस्थापना विकास कार्य भी गति पकड़ेंगे। वर्ष 2003 में केन्द्र की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उत्तराखंड को औद्योगिक पैकेज दिया था। परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में उद्योग प्रदेश की ओर आकर्षित हुए। इससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को भी लाभ हुआ।

इस पैकेज के कारण ही प्रदेश में वर्तमान में 330 से अधिक बड़े और 70 हजार से अधिक सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग हैं। इनमें 4.60 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इनके माध्यम से 52 हजार करोड़ का पूंजी निवेश राज्य में हुआ है। अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए उद्योग-एमएसएमई के अतिरिक्त कृषि-बागवानी, पर्यटन और गांवों तक ढांचागत विकास के लिए सेक्टर चिह्नित किए गए हैं। विभागवार पूंजी निवेश को प्रोत्साहित करने की योजना पर भी काम शुरू किया गया है। वर्ष 2000-01 में प्रचलित भावों पर राज्य की कुल जीएसडीपी 14501 करोड़ थी। 2022-23 में जीएसडीपी करीब 3.02 लाख करोड़ हो चुकी है। अब इसे अगले पांच सालों में 6.04 लाख करोड़ करने का लक्ष्य है। इस कार्य के लिए अमेरिकी विशेषज्ञ संस्था मैंकेंजी ग्लोबल की सेवाएं ली जा रही हैं। संस्था ने वैश्विक निवेशक सम्मेलन का खाका तैयार किया है। 8-9 दिसंबर को सम्मेलन के माध्यम से एक बार फिर प्रदेश में पूंजी निवेश के लिए तैयारी की जा रही है। देश और विदेश में विभिन्न स्थानों पर रोड शो के माध्यम से अब तक 1.24 लाख करोड़ के निवेश करार हो चुके हैं।

प्रदेश सरकार ने इस बार वार्षिक बजट के सदुपयोग के लिए गंभीर पहल की है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में पहली बार ऐसा हुआ कि पहली छमाही में पूंजीगत मद में बजट खर्च के लक्ष्य को प्राप्त करने में सरकार सफल रही। 30 सितंबर तक 4800 करोड़ की राशि खर्च की गई। केन्द्र सरकार ने 4000 करोड़ की राशि खर्च करने का लक्ष्य दिया था। केन्द्र ने वार्षिक लक्ष्य 8797 करोड़ रुपये दिया है। चालू वित्तीय वर्ष में पूंजीगत मद में कुल वार्षिक खर्च का लक्ष्य 13 हजार करोड़ रुपये है। सरकार को उम्मीद है कि इस लक्ष्य को समय पर प्राप्त कर लिया जाएगा।

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