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सुरक्षाबलों के डीजी हर महीने करेंगे मुलाकात पर मंथन, आतंक और उग्रवाद के खिलाफ बनेगी साझा रणनीति

नई दिल्ली : सभी सुरक्षाबलों के डीजी देश की सुरक्षा चुनौतियों पर साझा रणनीति बनाएंगे। उभरती चुनौतियों का मुकाबला करने और जवानों के कल्याण से जुड़े मुद्दों पर सुरक्षाबलों की रणनीति में एकरूपता लाने के मकसद से हर महीने महानिदेशकों की आपस मे अहम बैठक होगी। ‘गेट टू गेदर’ के बहाने डीजी चुनौतियों से निपटने की रणनीति पर अपनी राय साझा करेंगे। सूत्रों ने कहा, पहले इस तरह की बैठकें होती थीं,लेकिन बीच मे इसे बंद कर दिया गया था। अब नई चुनौतियों के मद्देनजर इस तरह की बैठकों को नियमित रूप से करने को कहा गया है। इसी कड़ी में दो जून को बैठक बुलाई गई है। इसमे सभी डीजी व सुरक्षा बलों के एक अन्य वरिष्ठतम अफसर (सीनियर मोस्ट ) हिस्सा लेंगे।

सूत्रों ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह नियमित रूप से सुरक्षा बलों के आला अधिकारियों व जवानों से मिलते रहे हैं। उनका फोकस रहा है कि आतंकवाद,नक्सल और उग्रवाद के मोर्चे पर सुरक्षाबलों की रणनीति में एकरूपता होना चाहिए। आतंकवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर के अलावा नक्सली व उग्रवाद प्रभावित इलाकों में कई सुरक्षा बलों की यूनिट तैनात हैं। जम्मू-कश्मीर व नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ की ज्यादा मौजूदगी है,लेकिन बीएसएफ,आईटीबीपी व एसएसबी के जवान भी बड़ी संख्या में मोर्चे पर तैनात हैं। कई जगहों पर रिजर्व फोर्स के रूप में सीआईएसएफ व अन्य बलों की यूनिट तैनात हैं। नक्सल व आतंक प्रभावित क्षेत्रों में एसओपी से लेकर ऑपरेशनल मुद्दों में एकरूपता के अलावा सूचनाओं के आदान प्रदान में समन्वय व बेहतर तालमेल की जरूरत महसूस की जा रही है।

खुफिया सूचनाएं जिस तरह से मल्टी एजेंसी सेंटर मैक के माध्यम से सभी बलों और खुफिया तंत्र के विभिन्न स्तरों पर पहुंचती हैं, वैसे ही सुरक्षा बलों के आंतरिक इनपुट को भी साझा किया जाएगा ताकि ज्यादा प्रभावी रणनीति बनाई जा सके। एक अधिकारी ने कहा, बेहतर तालमेल से त्वरित आधार पर आतंकरोधी सूचनाओं का विश्लेषण करके आकस्मिक तैनाती और साझा ऑपरेशन के फैसले भी भविष्य में लिए जा सकते हैं। सुरक्षा बल के डीजी बैठकों में अपने बलो की बेस्ट प्रैक्टिस भी साझा करेंगे।

बीएसएफ के पूर्व एडीजी पीके मिश्रा ने कहा, जवानों के कल्याण से जुडे मुद्दों पर कई बार सुरक्षा बल अलग-अलग प्रस्ताव भेजते हैं। इससे भ्रम की स्थिति होती है। गृहमंत्रालय कई बार इस संबंध में दिशा निर्देश दे चुका है कि जवानों के कल्याण से जुड़े मुद्दों पर भी साझा रणनीति होना चाहिए जिससे असमानता न हो। साथ ही बेहतर तरीके से योजनाओं पर अमल किया जा सके। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि आतंकरोधी मोर्चे पर सुरक्षाबल अपने अनुभव भी एक दूसरे से साझा कर सकते हैं। साथ ही इन इलाकों में तैनाती के पहले साझा प्रशिक्षण जैसे मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया जा सजता है।

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