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धामी ने युवाओं के बीच बनाई विशेष पहचान

तीन साल में 17 हजार से अधिक युवाओं को दी सरकारी नौकरी

गोपाल सिंह पोखरिया, देहरादून

तीन साल पहले उत्तराखंड में युवाओं के बीच रोजगार को लेकर भारी आक्रोश और सिस्टम के खिलाफ गुस्सा था कि पहले तो भर्तियां निकलती ही नहीं, और फिर होती भी हैं तो उसमें मेहनत और ईमानदारी से पढ़ाई करने वाले युवाओं को मौका नहीं मिलता। इसी ऊहापोह के बीच जब भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड के पार्टी नेताओं पर नजर दौड़ाई तो युवा हृदय सम्राट पुष्कर सिंह धामी पर उनकी नजरें टिकी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब दूसरे टर्म में वर्ष 2022 में प्रदेश की कमान संभाली तो उसके बाद पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व के साथ-साथ उत्तराखंड की जनता खासकर बेरोजगार युवाओं की अपेक्षाओं पर खरे उतरे। उन्होंने प्रदेश में तीन साल के भीतर जिस प्रकार से 17 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी दी, वह छोटे राज्य में बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। यही कारण है कि अब प्रदेश के युवा भी सोशल मीडिया से लेकर तमाम प्लेटफार्म पर उनकी तारीफ करते नजर आते हैं। सीएम धामी की ओर से सरकारी भर्तियों के सिस्टम को सुधारने के लिए त्वरित गति से कार्य करने के साथ ही हाकम सिंह जैसे नकल माफिया से लेकर यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष तक को सलाखों के बीच भेजा। इसके अलावा प्रदेश में सख्त नकल कानून बनाकर युवाओं को भरोसा भी दिलवाया है कि अब उनके साथ गलत नहीं होने दिया जाएगा। सिफारिश नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर पारदर्शी तरीके से भर्ती परीक्षाएं आयोजित कर लगातार सरकारी विभागों के खाली पड़े पदों पर भर्तियां की जा रही हैं।

बताते चलें कि पिछले तीन वर्षों में राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों में 17 हजार से अधिक नौकरियां दी गई हैं। पुष्कर सिंह धामी ने 4 जुलाई 2021 को पहली बार सीएम पद की शपथ ली। तभी उनकी सरकार ने निर्णय लिया कि राज्य में सभी विभागों में सालों से रिक्त चल रहे पदों पर तेजी से भर्ती की जाएगी। हालांकि इस अभियान को शुरू करने में सरकार को कुछ परेशानियां भी आईं और यही कारण है कि अब भी कई भर्ती परीक्षाएं चल रही हैं। इतना ही नहीं, राज्य में भर्ती परीक्षाओं के अधियाचन से लेकर नियुक्ति पत्र देने तक लगने वाले कुल समय में भी काफी कमी आई है। पूरे साल के लिए भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर तैयार किया जा रहा है। इसका कारण भी है कि राज्य में सख्त नकल व धांधली विरोधी कानून लागू होने के बाद से सभी भर्ती परीक्षाएं पारदर्शिता के साथ संपन्न हुई हैं। अब हर भर्ती परीक्षा में योग्य व मेहनती युवा सफल हो रहे हैं। नकल विरोधी कानून के तहत सख्त सजा का प्रावधान किया गया है, जिसमें धोखाधड़ी करने वालों को आजीवन कारावास और उनकी सारी संपत्ति जब्त करने का प्रावधान है। राज्य में धोखाधड़ी और जालसाजी को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने नकल माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। उत्तराखंड में अब राज्य सरकार नई कार्य संस्कृति लाने की दिशा में लगातार काम कर रही है। नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्यों के सूचकांक में राज्य को देश में पहला स्थान मिला है। देश में सबसे तेजी से विकास करने वाले राज्यों की श्रेणी में उत्तराखंड दूसरे नंबर पर है।

रोजगार देने में उत्तराखंड देश में अव्वल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संकल्प आकार ले रहा है। रोजगार देने में भी उत्तराखंड कीर्तिमान बना रहा है। पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) रिपोर्ट में भी उत्तराखंड ने राष्ट्रीय औसत को भी पछाड़ दिया है। उत्तराखंड में बीते एक वर्ष में रोजगार के अवसर बढ़ने से बेरोजगारी घटी है। सभी आयु वर्गों पर नजर डालें तो इसकी दर 4.5 फीसदी से घटकर 4.3 प्रतिशत पर आ गई है। जबकि 15-29 वर्ष के आयु वर्ग में 14.2 से घटकर 9.8 प्रतिशत पर आ गई है। राज्य में वर्ष 2022-23 की तुलना में 2023-24 में सभी आयु वर्गों में श्रमिक जनसंख्या अनुपात में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 15-29 वर्ष के आयु वर्ग में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 27.5 प्रतिशत से बढ़कर 44.2 प्रतिशत हो गया है। युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिले हैं। इसी प्रकार 15-59 वर्ष के आयु वर्ग में श्रमिक जनसंख्या अनुपात अनुपात 57.2 प्रतिशत से बढ़कर 61.2 प्रतिशत पहुंच गया है, जबकि 15 साल और उससे ऊपर की श्रेणी के लिए यह 53.5 प्रतिशत से बढ़कर 58.1 फीसदी हो गया है। श्रम बल में भी वर्ष 2022-23 के मुकाबले में वर्ष 2023-24 में युवाओं की भागीदारी बढ़ी है। 15-29 वर्ष के आयु वर्ग में श्रम बल भागीदारी दर 43.7 से बढ़कर 49 प्रतिशत पहुंच गई है। इसी प्रकार 15-59 के आयु वर्ग में 60.1 प्रतिशत से बढकर 64.4 प्रतिशत और 15 वर्ष और उससे अधिक की श्रेणी में 56 प्रतिशत से बढ़कर 60.7 प्रतिशत पहुंच गई है।

श्रमिक जनसंख्या औसत में उत्तराखंड ने राष्ट्रीय औसत को भी पीछे छोड़ दिया है। उत्तराखंड में 15-29 के आयु वर्ग में यह औसत 49 प्रतिशत रहा है वहीं राष्ट्रीय औसत 46.5 प्रतिशत है। इसी प्रकार 15-59 के आयु वर्ग में उत्तराखंड का 64.4 तो राष्ट्रीय औसत 64.3 और 15 वर्ष और उससे अधिक वर्ष की श्रेणी में उत्तराखंड का 60.7 तो राष्ट्रीय औसत 60.1 रहा है। इसे लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं कि उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों के साथ खड़ा करना हमारा संकल्प है। देवतुल्य जनता के आशीर्वाद से हम इस संकल्प को पूरा करने लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। हम रोजगार के अधिकाधिक अवसर सृजित कर रहे हैं। सरकारी क्षेत्र में ही 16 हजार से अधिक युवाओं को हमने नियुक्ति दी है। निजी क्षेत्र में भी यह सिलसिला शुरू हो चुका है। आने वाले वर्षों में निवेश के अधिकांश करारों के धरातल पर उतरने से लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। उत्तराखंड युवाओं को सिर्फ रोजगार ही नहीं देगा, बल्कि उन्हें दूसरों को भी रोजगार देने वाला बनाएगा।

धामी सरकार हासिल कर रही नया मुकाम : भट्ट
रोजगार सृजन पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ कहते हैं कि रोजगार सृजन और नियुक्ति के मामले में उत्तराखंड का राष्ट्रीय औसत से आगे निकलना प्रदेश हित में सुखद है। उन्होंने इसके लिए धामी सरकार का आभार जताया है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इस प्रगति के लिए मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की नीतियों की सफलता को बताया है। उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण के बाद कुल सृजित नौकरियों से भी अधिक सरकारी नौकरियां देने की उपलब्धि पर यह मुहर है। उन्होंने पीएलएफएस की रिपोर्ट में युवाओं को रोजगार देने में राज्य के अव्वल आने को धामी सरकार की नीतियों का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि यह हम सबके लिए गर्व और संतोष की बात है कि श्रम बल में युवाओं की भागेदारी बढ़ाने के साथ सभी आयु वर्ग में रोजगार देने के मामले में भी हम देश के औसत से आगे निकले हैं। आज प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ने से बेरोजगारी दर में कमी आई है और सभी आयु वर्गों में श्रमिक जनसंख्या अनुपात में वृद्धि हुई है, युवाओं को रोजगार के रिकॉर्ड अवसर मिल रहे हैं। भट्ट ने कहा कि यह सब आंकड़े बयां करते हैं कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में भाजपा सरकार शानदार कार्य कर रही है। उनकी नीतियों और बेजोड़ प्रयासों से ही हम राज्य निर्माण के बाद सभी सरकारों के कुल सरकारी नौकरियों से भी अधिक नौकरियां देने में सफल हुए हैं। वहीं प्रदेश सरकार की नीतियों से आज निजी क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में रोजगार सृजन हो रहे हैं जो कि धामी सरकार की दूरदर्शिता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि तीन साल में धामी सरकार 17 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी सेवा में नियुक्ति दे चुकी है। वही प्राइवेट सेक्टर और स्वरोजगार से यह संख्या लाखों में है। स्वरोजगार के जरिए महिलाएं भी आत्मनिर्भर हो रही हैं।

जीरो टॉलरेंस की नीति पर सख्त कार्रवाई
23 साल के उत्तराखंड में जहां भ्रष्टाचार से जुड़े 281 ट्रैप में कुल 303 आरोपी गिरफ्तार हुए, वहीं धामी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में रिकॉर्ड 57 ट्रैप कर विजिलेंस ने 68 भ्रष्टाचारियों को सलाखों के पीछे भेजा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की मुहिम के तहत तीन साल में विजिलेंस ने रिकॉर्ड 57 ट्रैप कर 68 भ्रष्टाचारियों को जेल भेजा है। इस कार्रवाई ने भ्रष्टाचारमुक्त एप 1064 की लांचिंग के बाद तेजी पकड़ी है। एप पर अब तक करीब 973 विजिलेंस और नॉन विजिलेंस की शिकायतों दर्ज हुई हैं। इनमें से भ्रष्टाचार से जुड़ी 38 शिकायतों पर विजिलेंस जांच चल रही, जबकि गैर सतर्कता से जुड़ी शिकायतें संबंधित विभागों को भेजी गई हैं। विजिलेंस की इस कार्रवाई में 13 से ज्यादा सरकारी कर्मचारी और बड़े अधिकारी भी शामिल हैं। सरकार के निर्देश पर विजिलेंस ने भी 1064 एप के प्रचार पर जोर दिया। सरकारी दफ्तरों से लेकर सोशल मीडिया तक 1064 पर भ्रष्टाचार की शिकायत करने के लिए लोगों जागरूक किया गया। अब यह एप न केवल विजिलेंस, बल्कि आम नागरिक के लिए भी मददगार साबित हो रहा है। इस एप के मार्फत आम नागरिक बेझिझक रिश्वतखोरों, कामचोरों और बेवजह काम लटकाने वालों को सबक सीखा रहे हैं। पहले लोग विजिलेंस के पास जाने से न केवल डरते थे, बल्कि बचते भी थे। सरकारें भी विजिलेंस को खुली छूट नहीं देती थी। इससे भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद रहते थे, लेकिन अब ऑनलाइन शिकायत दर्ज होने के बाद विजिलेंस की भी मजबूरी है कि शिकायत को जिम्मेदारी के साथ समय पर निपटाना है।

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