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उत्तराखंड में धामी ने रचा इतिहास, भाजपा को मोदी नेतृत्व में दिलायी ऐतिहासिक जीत

राम कुमार सिंह

देहरादून: (10 मार्च): उत्तराखंड के विधान सभा चुनावों के परिणाम सामने आ गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भाजपा ने अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल करते हुए बहुमत कि सरकार का जनादेश प्राप्त किया है। धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इस राजनीतिक मिथक को तोड़ दिया है कि उत्तराखंड में 5 साल तक एक दल और फिर अगले 5 साल किसी दूसरे दल की ही सरकार बनती है। उत्तराखंड में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार का आना इस बात का संकेत है कि जनता पूर्वाग्रह , दुष्प्रचार , छल प्रपंच से ऊपर उठकर सोचती है और उसे 2025 का देश का सबसे मजबूत राज्य बनाने में अपना योगदान देना है।

कुछ महीने पहले तक हर चुनावी पंडित उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार तो शायद ही बनते देख रहे थे। बहुतों का तो यही मानना था जहाँ एन्टी इनकम्बेंसी का माहौल हो सकता है, जहाँ मुख्यमंत्रियों को बदलने की मजबूरी हो , वहां तो सत्ताधारी दल का बुरा हश्र तो निश्चित ही है पर पुष्कर सिंह धामी ने सारे समीकरणों को एक सिरे से झुठला दिया। आशावाद और विश्वासवाद कि ऐसी राजीनीति देवभूमि ने शायद ही पहले देखी हो। किसी भी नेतृत्व की सबसे बड़ी खूबी क्या होनी चाहिए ? अपनी जनता की संवेदनाओ को समझना और कार्यकर्ताओं को जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप निर्देशित करना पर ऐसे कार्यो के लिए समय चाहिए साहब। नामुमकिन तो कुछ भी नही पर असंभव को मुमकिन करना सबके लिए संभव भी नही। सवाल बीजेपी के शासन और नेतृत्व पर नही था पर दुष्प्रचार और तुष्टिकरण करने वाली ताकते यह माहौल बनाने में कही न कही सफल हो रही थीं कि उत्तराखंड की बीजेपी नेतृत्वहीनता के दौर से गुजर रही है पर यह धामी जी का उदात्त और सरल चरित्र था कि जल्द ही जन जन से सम्पर्क साधने में सफल रहे।

कहते है एक बड़े उद्देश्य के लिए आपको व्यक्तिगत हितों का त्याग करना होता है। धामी जी ने वही किया। कोई अन्य मुख्यमंत्री उम्मीदवार होता तो शायद अपना पूरा दम खम अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में ही लगाता पर जननेता की पहचान व्यक्तिगत स्वार्थ नही पूरे प्रदेश के कल्याण में निहित होती है। भाजपा के सुशासन की सोच से जनता यूं ही नहीं जुड़ गई इसके लिए पुष्कर सिंह धामी जैसा मुखर युवा नेतृत्व मिलना रंग लाया । पुष्कर सिंह धामी ने अपनी कांस्टीट्यूएंसी पर इतना ध्यान नहीं दिया जितना उन्होंने पूरे प्रदेश के कांस्टीट्यूएनसीज में भाजपा की मजबूती के लिए ध्यान दिया। जब उन्हें प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राज्य के नए नेतृत्व के रूप में मान्यता और सराहना दी गई तब पिछले साल अगस्त माह से अब तक उन्हें चुनौतियों भरा उत्तराखंड मिला।

इतने कम समय में लेकिन उन्होंने उच्च कोटि की विजयी मनोदशा और कार्यशैली दिखाई। उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदाओं में स्वयं हर एक स्थल पर जाकर राहत और बचाव कार्यों का निरीक्षण कर मानवीय सहायता के तत्काल आदेश उन्होंने दिए। सड़क दुर्घटना मुक्त उत्तराखंड बनाने के लिए सक्रिय कदम उठाए। विभिन्न स्तरों पर चल रहे हड़ताल और उससे जुड़े प्रदर्शनकारियों के मन को भाव को समझा , उनके लिए बेहतर करने की प्रतिबद्धता जाहिर की । पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं को उद्यम से जोड़ने की बात हो , पलायन रोकने के लिए स्टार्ट अप बिजनेस का प्रमोशन हो , पर्यटन का विकास हो , उत्तराखंड की आध्यात्मिक पहचान को नई दिशा देने की बात हो , मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक विजन के साथ काम किया ।

हाल के समय में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की सुरक्षा पलायन करने वाले सीमांत गांव को फिर से बसाने, इस क्षेत्र में पर्यटन को मजबूत धार देकर रोजगार सृजन करने के प्रयास तेज हुए हैं। उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के पर्वतीय जिलों में बिजली,पानी,सड़क,स्वास्थ्य, शिक्षा आदि क्षेत्रों पर विशेष तौर से फोकस करने की रणनीति बनाई है । धामी सरकार की पर्वतीय क्षेत्रों के विकास से जुड़ी रणनीति में सीमांत गांवों से पलायन को रोकने , पलायन से खाली हो चुके गावों में ग्रामीणों को पुन: बसाने , स्लोवेनिया के तर्ज पर केव टूरिज्म विकसित करने पर काम किया गया है। गौरतलब है कि स्लोवेनिया अपने कुल राजस्व का 30 प्रतिशत केव टूरिज्म से ही प्राप्त करता है। धामी सरकार ने उत्तरकाशी स्थित गरतांग गली का जीर्णोद्धार कर उसे उत्तराखंड के पर्यटन की मुख्य धारा से जोड़ दिया है।

वहीं चीन से लगे उत्तराखंड के नेलांग घाटी के विकास के लिए ऐसी नीति बनाई गई है जिससे इनर लाइन परमिट जैसे प्रावधान पर्यटन और विकास के मार्ग में बाधा न बन सकें। पर्वतमाला प्रोजेक्ट से रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ, चमोली जिले में गोविंदघाट-घांघरिया समेत उत्तराखंड में 27 प्रोजेक्टों के धरातल पर उतरने की आस धामी सरकार के नेतृत्व में बढ़ी ।

आम जनता ने तो यहाँ तक कहा कि ग्राउंड वर्क करने और ग्रासरूट लेवल की कार्यशैली में उनपर मोदी जी की स्पष्ट छाप रही । इसमें कोई अतिशयोक्ति नही है कि प्रधानमंत्री मोदी के पूर्ण सहयोग , समर्थन , स्नेह पाने वाले मुख्यमंत्री धामी ने 7 – 8 माह में जितनी सक्रियता से काम किया वैसी सक्रियता कई राज्यों में एक दशक तक में देखने को नही मिलती । मुख्यमंत्री धामी ने दिन रात एक किया , कार्यकताओं को पूरे जज़्बे के साथ डबल इंजन की सरकार की विशेषताओं को जनमानस के सामने रखवा पाने में उन्होंने सफलता पाई।

उन्होंने हर मौके पर उत्तराखंड की जनता को देवतुल्य माना , अपने को प्रधान सेवक कहा , एक बेहतरीन संगठन और समन्वय कौशल दिखाते हुए भाजपा के सभी वरिष्ठ मंत्रियों से स्नेह समर्थन सामंजस्य प्राप्त किया जो निश्चित रूप से एक सरल काम नही था , क्योंकि उत्तराखंड के सर्वाधिक युवा मुख्यमंत्री चेहरे को सर्वसम्मति से मान्यता मिल पाना आसान नहीं था , लेकिन पुष्कर सिंह धामी ने यह कर दिखाया। हल्के फुल्के मतभेदों , विरोधाभाषों को उन्होंने अपने कौशल से किनारे लगा दिया । उन्होंने मात्र 7- 8 माह में राजनीति के वो गुण सीख लिए जिससे एक राज्य को सुशासन के मार्ग पर ले जाया जा सकता है।

निश्चित रूप से यह जीत मोदी के धामी पर विश्वास की जीत है , जहां समूचे उत्तराखंड में बीजेपी का संगठन और कार्य कौशल मजबूत हुआ । 2025 में उत्तराखंड की इकोनॉमी कैसी होगी , कैसे राज्य का सकल घरेलू उत्पाद बढ़ेगा , कैसे इनोवेशन , उद्यमशीलता , स्किल्ड उत्तराखंड एक आत्मनिर्भर भारत में अपनी विशेष जगह बनायेगा , यह सब सवाल मुख्यमंत्री धामी की सोच की केंद्रीय विषय वस्तु बन चुके थे और इस बात का अहसास उत्तराखंड की जनता को कराने के बाद परिणाम सामने है कि कांटे की टक्कर और इस बार बीजेपी नही कांग्रेस कहने वालों को स्पष्ट जवाब मिला । जवाब प्रचंड बहुमत का जहां धामी ने व्यक्तिगत नहीं सामूहिक विजय को हासिल करते हुए अपनी ईमानदारी , निष्पक्ष विजनरी सोच और राज्य के उदार नेता के रूप में अपनी छवि बनाई है जो लंबे समय तक कुंद नही होगी।

(यह लेखक के स्वतंत्र विचार हैं)

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