लोकप्रियता की सीढ़ी पर सरपट दौड़ते CM धामी
गोपाल सिंह पोखरिया, देहरादून
देवभूमि उत्तराखंड से देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार देने की मशाल जलाकर देश को राह दिखाने वाले उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर भाजपा शासित राज्यों के लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों में योगी आदित्यनाथ के बाद प्रथम स्थान हासिल किया है। इसके साथ ही धामी कड़े निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। यही कारण है कि समय-समय पर हाईकमान की ओर से भी उनको इसके लिए सराहा जाता है। हाल ही में देश के प्रतिष्ठित मीडिया समूह नवभारत टाइम्स ने अपने ऑनलाइन प्लेटफार्म पर सीएम योगी के बाद भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री को लेकर सर्वे कराया। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम पर 51.1 फीसद जनता ने पोल कर सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री पर मुहर लगाई है। जबकि पोल के दौरान जनता ने कमेंट के माध्यम से भी मुख्यमंत्री धामी के फैसलों और कामकाज की खुलकर तारीफ की है। इसके अलावा सर्वे में असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्वा को 16.9 फीसदी, गोवा के प्रमोद सांवत को 16.3 फीसद तथा गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को मात्र 15.7 लोगों ने वोट दिया है।
बताते चलें कि राष्ट्रवाद की अलख जगाते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता को लेकर जो मशाल प्रज्जवलित की, भविष्य में वह देश के लिए एक मिसाल बनेगी। दुनिया की कुल आबादी में तीस प्रतिशत आबादी ही अभी तक लोकतांत्रिक मूल्यों का अनुसरण कर रही है। इस आलोक में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में समान नागरिक संहिता को लागू कर यह संदेश दिया है कि जाति, धर्म, लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। आजाद भारत के बाद बनी संविधानसभा ने भी इस बात पर फोकस किया था कि देश के हर नागरिक को समान अधिकार मिलने चाहिए। संविधान सभा में समान नागरिक संहिता के सुनिश्चित करने की बात कही गई थी, हालांकि अब तक राजनीतिक इच्छा शक्ति और वोट बैंक की राजनीति ने लोकतंत्र के मूल आधार व समान नागरिक अधिकारों का सपना पूरा नहीं हो सका। यह जरूर है कि भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी गठन के साथ ही समान नागरिक संहिता व धारा 370 अपने एजेंडे में रखा, लेकिन भाजपा राजनीतिक तौर पर उस समय मजबूत न होने से इस दिशा में पहल नहीं कर सकी। एनडीए की सरकार बनने पर अटल बिहारी बाजपेयी भी इस बात को कहते थे, लेकिन आगे नहीं बढ़ सके। 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आम जनमानस को भी लगा कि अब पूरे देश में समान नागरिक संहिता की दिशा में कदम आगे बढ़ेंगे। हालांकि केन्द्र सरकार ने इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाए। हालांकि अभी स्वतंत्रता दिवस के भाषण में लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने कामन सिविल कोड की बात जरूर की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने इस प्रकार के फैसलों के कारण ही लगातार लोकप्रियता की सीढ़ी में सरपट आगे दौड़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पहले भी इंडियन एक्सप्रेस के देश के ताकतवर भारतीयों की सूची में मुख्यमंत्री धामी ने 61वां स्थान प्राप्त कर खासी धाक जमाई थी। जबकि विकास कार्यों को लेकर नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) रैंकिंग में भी देशभर में उत्तराखंड को पहला स्थान दिलाकर मुख्यमंत्री धामी ने अपने काम पर लोकप्रियता की लंबी लकीर खींची है। इधर, मुख्यमंत्री धामी की आमजनों के बीच तथा सोशल मीडिया में भी खासी लोकप्रियता है। कुछ माह पूर्व मुख्यमंत्री धामी प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह के बाद देश में सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले नेताओं की सूची में दर्ज हो चुकेहैं। अकेले फेसबुक पेज पर उनके फॉलोवर्स एक करोड़ पार कर चुके हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महज तीन साल में विकास के साथ कानून व्यवस्था को लेकर बड़े फैसले लिए हैं। सबसे पहले देश का पहला सख्त नकलरोधी कानून लागू कर मुख्यमंत्री धामी ने देश के लिए नजीर पेश की है। खासकर उत्तराखंड के बाद यूपी और केन्द्र सरकार ने कड़ा नकलरोधी कानून लागू किया है।
इसके अलावा भारतीय संविधान में दी गई समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी कानून की व्यवस्था को सबसे पहले राज्य में लागू करने का निर्णय लेकर देशभर में मिसाल कायम की है। इसके अलावा सैकड़ों हेक्टेयर जमीन को अतिक्रमणमुक्त कर लैंड जिहाद पर प्रभावी कार्रवाई की गई। साथ ही सख्त दंगारोधी कानून, धर्म परिवर्तन कानून जैसे कई बड़े कानून बनाए हैं। इसके अलावा सिलक्यारा सुरंग आपदा में 41 मजदूरों का सकुशल रेस्क्यू, जोशीमठ आपदा से निपटने से लेकर हल्द्वानी और राज्य में हाल ही में केदारनाथ आपदा समेत अन्य स्थानों पर आई आपदा में मुख्यमंत्री धामी ग्राउंड जीरो पर पहुंचे। लोकसभा चुनाव में देशभर में जहां ताबड़तोड़ जनसभाएं की हैं, वहीं उत्तराखंड की पांचों सीटों पर रिकॉर्ड वोटों से जीत दिलाई है। सीएम धामी राज्य के हित में लिए गए फैसलों से मातृशक्ति और युवा वर्ग में लोकप्रिय माने गए। अभी हाल ही केदारनाथ में आई आपदा में भी जिस प्रकार से धामी ने कार्य किया इससे उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।