–गौरव ममगाई, देहरादून
अपने लोकप्रिय फिल्म नायक देखी होगी, जिसमें अभिनेता अनिल कपूर एक दिन का मुख्यमंत्री बनकर भ्रष्टाचारियों पर कैसे डंडा चलाते हैं। इन दिनों देवभूमि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को देखकर प्रदेशवासियों को ‘नायक’ फिल्म के सीएम की ही याद आ रही है। आए भी क्यों न, सीएम धामी जीरो टॉलरेंस नीति केतहत भ्रष्टाचारियों पर ऐसा डंडा चला रहे हैं, जो न आईएएस, आईएफएस को बख्श रहा, न नेताओं को। बेहद शांत स्वभाव के दिखने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी के इस ऐक्शन भरे अंदाज को खासा सराहा जा रहा है।
दरअसल, 2022 में राज्य में भाजपा की लगातार दूसरी सरकार गठित होने के अवसर पर सीएम धामी ने जीरो टॉलरेंस की नीति को सख्ती से लागू करना प्राथमिकता बताया था। उन्होंने कहा था कि सरकारी तंत्र को आम जनता की सेवा के लिए समर्पित बनाया जाएगा, जहां जनता की सुनवाई हो, न कि शोषण। उन्होंने साफ कहा था कि राजनीतिक द्वेष की भावना से परे रहकर निष्पक्ष रूप से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद प्रदेश में सरकारी भर्ती में घोटाला समेत भ्रष्टाचार के अनेक मामले सामने आए, जिस पर विपक्ष ने सरकार की जीरो टॉलरेंस पर सवाल उठाने शुरू किए थे। इसके बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सरकारी भर्ती गड़बड़ी मामले में ऐसा कड़ा ऐक्शन लिया, जिससे विपक्ष भी निरुत्तर हो गया। इस मामले में सीएम ने न आयोग के अधिकारी, परीक्षा एजेंसी मालिक को बख्शा, न भाजपा के बड़े नेता को, जिनका भी नाम आया, हर कोई सलाखों के अंदर है।
इसके बाद सरकारी भर्ती, वन विभाग, उद्यान, तहसील, परिवहन विभाग में भी भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए, जिनमें बड़े अधिकारियों पर आरोप लगे। आमतौर पर बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई देखने को नहीं मिलती, लेकिन सीएम धामी ने इस परिपाटी को बदलते हुए अब तक 10 से ज्यादा बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। सीएम धामी ने सरकारी भर्ती मामले में आरोपी भाजापा नेता को भी सलाखों के पीछे डालकर जीरो टॉलरेंस नीति की निष्पक्षता को साबित किया है और खुद को आदर्श जनसेवक के रूप में स्थापित भी किया है। आज अनेक राज्यों में सरकारें भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी नजर आती हैं। वहीं उत्तराखंड की धामी सरकार जनता को निष्पक्ष एवं पारदर्शी शासन दे रही है। सोशल मीडिया में भी कई राज्यों के लोग पुष्कर सिंह धामी की सराहना करते दिख रहे हैं।
पिछली सरकारों ने डाला पर्दा
दरअसल, पिछले दिनों धामी सरकार द्वारा ऐसे कई भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की गई, जो पिछली सरकारों के समय से चले आ रहे थे। कई बार इस बारे में शिकायत भी हुई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। उत्तराखंड अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यूकेपीएससी) भर्ती घोटाला, तहसील में फर्जी रजिस्ट्री प्रकरण, उद्यान विभाग के पूर्व निदेशक पर अनियमितता के आरोपों से जुड़े मामले इसके उदाहरण हैं। ऐसे में सीएम धामी ने न सिर्फ इन मामलों पर जांच बैठाई, बल्कि दोष साबित होने पर कड़ी कार्रवाई भी की। इसमें विभागीय, पुलिस मुकदमा, वित्तीय वसूली व जेल भेजने तक की कार्रवाई शामिल है।
सरकारी विभागों में छापा मारते हैं सीएम धामी
देहरादून व कुमाऊं के कई इलाकों में सीएम धामी कई सरकारी विभागों में छापा मार चुके हैं। इस दौरान सीएम जनता से बातचीत करते देखे गए हैं। वह यह पूछते हैं कि विभागीय अधिकारी उनकी शिकायतें सुनते भी हैं या नहीं। इतना ही नहीं, वह अधिकारियों-कर्मचारियों के कार्यालय आने-जाने का समय व फाइलों की प्रगति की जांच भी करते रहते हैं। इससे भी अधिकारी कार्यशैली में सुधार करने को मजबूर हो रहे हैं।
सीएम धामी ने मंगवायी भ्रष्ट अफसरों की सूची
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कई अफसरों पर भ्रष्टाचार व लापरवाही के आरोप लगने पर विभागीय जांच को लटकाने पर कड़ी नाराजगी जतायी है। मुख्यमंत्री ने अपने सचिव शैलेश बगोली को सख्त लहजे में कहा है कि उन्हें जल्द से जल्द भ्रष्ट व लापरवाह अफसरों की सूची दें। वे ऐसे अफसरों को बख्शने के मूड में कतई नहीं हैं। ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि सीएम द्वारा एक बार फिर आईएएस या पीसीएस स्तर के अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। इसे लेकर सभी आरोपी अफसर दहशत में हैं।
ये हैं भ्रष्टाचार पर कार्रवाई के मुख्य उदाहरण
उदाहरण नंबर 1- यूकेपीएससी व यूकेएसएसएसी भर्ती गड़बड़ी : उत्तराखंड लोक सेवा आयोग व उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग की अनेक भर्ती में भ्रष्टाचार का मामला बेहद चर्चित रहा। इस गड़बड़ी में आयोग के भीतर के अधिकारी व बाहरी गिरोह की संलिप्तता सामने आयी। एक भाजपा नेता की सांठगांठ के साक्ष्य भी मिले। सीएम ने यूकेपीएससी के गोपनीय अनुभाग के अधिकारी, यूकेएसएसएसी परीक्षा कराने वाली एजेंसी के मालिक व भाजपा नेता के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया, साथ ही सभी को जेल भी भेजा। सरकारी भर्ती में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता लाने के लिए नकल रोधी कानून-2023 लागू किया है। इसमें नकल माफिया के खिलाफ 10 साल या आजीवन जेल, 10 करोड़ रुपये का जुर्माना व संपत्ति की कुर्की जैसी बड़ी कार्रवाई की जाएगी। कानून में नकल करने वाले अभ्यर्थी को भी बख्शा नहीं गया है।
उदाहरण नंबर 2- शासन में लंबे समय से डटे रहे पूर्व आईएएस रामविलास यादव को आय से अधिक संपत्ति के आरोप में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। उन्हें जेल भी भेजा गया था।
उदाहरण नंबर 3-उद्यान घोटाला : उद्यान विभाग के निदेशक पर भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के आरोप लगे हैं, जिस पर सीएम धामी ने सख्त कार्वाई की।
उदाहरण नंबर 4-वन विभाग : उत्तरकाशी में वन विभाग पर पेड़ों के अवैध कटान के गंभीर आरोप लगे। यह मामला कई साल पुराना बताया जा रहा है, लेकिन सीएम धामी मामले की निष्पक्ष जांच करा रहे हैं। इसमें आरोपी रेंजर स्तर के अधिकारियों को भी बख्शा नहीं जा रहा है।
उदाहरण नंबर 5 – फर्जी रजिस्ट्री : देहरादून तहसील में फर्जी रजिस्ट्री से जुड़ा प्रकरण सामने आने के बाद विभाग से लेकर सरकार हैरान थी। यह फर्जीवाड़ा कई वर्षों से चला आ रहा था, लेकिन तब विभागीय व सरकार की उदासीनता के चलते शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। अब शिकायत मिलने पर सीएम धामी ने न सिर्फ देहरादून तहसील, बल्कि प्रदेश की अन्य तहसीलों में भी जांच शुरू करा दी है, ताकि किसी भी भूमाफिया व संलिप्त अधिकारी को बख्शा न जाए। साथ ही आम जनता को धोखे का शिकार होने से बचाया जा सके।
उदाहरण नंबर 6- निजी बस मालिकों से सांठगांठ : उत्तराखंड परिवहन निगम के उप महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी पर निजी बस मालिकों के साथ सांठ-गांठ के आरोप लगे, जिस पर सीएम धामी ने विभागीय सचिव को विभागीय कार्रवाई करने के सख्त निर्देश दिए।
उदाहरण नंबर 7-सीएम धामी के कार्यकाल में विजिलेंस सरकारी विभागों में छापेमारी व आपरेशन चलाती रहती है, जिसमें कई विभागों में रिश्वत लेते अधिकारी और कर्मचारियों को रंगेहाथों पकड़ा गया है। तहसील में कई लेखपाल व तहसील कर्मियों को रंगेहाथ पकड़ा जा चुका है।