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बल्लेबाज़ी के दौरान धोनी भी महसूस करते हैं दबाव, उन्हें भी महसूस होता है डर

नई दिल्लीः विपरीत हालात में भी धैर्य बरकरार रखकर अपनी टीम को जीत दिलाना महेंद्र सिंह धोनी की सबसे बड़ी खासियत है। धोनी ने टीम इंडिया के लिए कई बार ऐसे कारनामे किए हैं, जिनमें उन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया है। धोनी विकेट परिस्थितियों में भी कूल रहकर अपने लक्ष्य को हासिल करना जानते हैं। मेंटल फिटनेस की जरूरत पर धोनी ने रखा अपना नजरिया।

खेलों में शीर्ष प्रदर्शन हासिल करने के लिए एमफोर की पहल ‘मानसिक अनुकूलन कार्यक्रम’ का समर्थन करते हुए धोनी ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर अपना नजरिया रखा। एमफोर की ओर से जारी विज्ञप्ति में धोनी के हवाले से कहा गया, ‘मुझे लगता है कि भारत में अब भी यह स्वीकार करना बड़ा मुद्दा है कि मानसिक पहलू को लेकर कोई कमजोरी है लेकिन आम तौर पर हम इसे मानसिक बीमारी कहते हैं।’

मेंटल हेल्थ पर चर्चा कर रहे थे धोनी

एमफोर ने कहा कि धोनी ने विभिन्न खेलों के कोचों से बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की। कोविड-19 महामारी के कारण देश भर में लॉकडाउन लागू किए जाने से पहले यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। पिछले साल जुलाई में वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर धोनी ने कहा, ‘कोई भी असल में यह नहीं कहता कि जब मैं बल्लेबाजी के लिए जाता हूं तो पहली 5 से 10 गेंद तक मेरे दिल की धड़कन बढ़ी होती है। मैं दबाव महसूस करता हूं। मैं थोड़ा डरा हुआ भी होता हूं क्योंकि सभी इसी तरह महसूस करते हैं।’

धोनी बोले- कोच और खिलाड़ी का रिश्ता बेहद महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा, ‘यह छोटी सी समस्या है लेकिन काफी बार हम कोच को यह कहने में हिचकते हैं और यही कारण है कि किसी भी खेल में कोच और खिलाड़ी का रिश्ता काफी महत्वपूर्ण होता है।’ भारतीय कप्तान विराट कोहली के हवाले से कहा गया कि जीवन में मानसिक स्पष्टता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक स्पष्टता सिर्फ खेल ही नहीं बल्कि जीवन में भी सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।’

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