स्पोर्ट्स डेस्क : पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में कप्तानी बेहतरीन रही है और दबाव में उनका खेल और बेहतरीन हो जाता है. देश-विदेश में उनके खेल का जलवा देखने को मिलता था. जब वो शिखर पर थे तो उनकी बात भारत ही नहीं विदेशों में होती थी. उनकी कप्तानी में भी रिकॉर्ड पुरुष सचिन का सपना भी सच कर दिखाया. टीम इंडिया ने 1983 के बाद वर्ल्ड कप उनकी अगुवाई में जीता है.
बुधवार को अपना 40वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे धोनी के जीवन पर एक बायोपिक भी बनी है. भारत को अपनी अगुवाई में दो वर्ल्ड कप और तीन आईसीसी जिताने वाले पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी को बीसीसीआई बेहतरीन विदाई नहीं दे पाया. महेंद्र सिंह धोनी बुधवार को 40 साल के हो गये है
लेकिन हर कोई चाहता था कि भारतीय टीम के कामयाब कप्तान धोनी को बेहतरीन विदाई मिले लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हो पाया. हालांकि, धोनी ने पिछले वर्ष 15 अगस्त 2020 की शाम को एकदम से क्रिकेट से रिटायरमेंट लेने की घोषणा कर दी थी.
वर्ष 2007 में माही को भारतीय टीम के कप्तान बने थे. इसके बाद उन्होंने सफलाओं को अंबार लगा था. टी-20 विश्व, 50-50 ओवर वर्ल्ड कप, चैम्पियंस ट्रॉफी और टेस्ट में नंबर वन टीम बनाने में धोनी की बड़ी भूमिका है. धोनी ने वर्ष 2004 में क्रिकेट में कदम रखा था. उन्होंने 2008 में टेस्ट कप्तानी संभाली और ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड पर यादगार सीरीज जीत हासिल की दिसंबर 2009 में भारत टेस्ट क्रिकेट में नंबर-1 हुए.
वर्ष 2011 और 2012 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की धरती पर भारतीय टीम को हार मिली थी. ये वहीं दौर था जब भारतीय टीम लगातार आठ टेस्ट में हार मिली थी. इस हार के चलते भारत नंबर वन से हट गया था लेकिन 2013 में ऑस्ट्रेलिया को अपने घर में 4-0 से हराया और उसी वर्ष अजेय रहते हुए इंग्लैंड में चैम्पियंस ट्रॉफी जीती और अगले वर्ष टी-20, वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनायीं.
कप्तानी के मामले में उन्होंने 60 टेस्ट, 200 वनडे और 72 टी-20 में भारत की अगुवाई की है. साथ ही उनकी कप्तानी में भारत ने 27 टेस्ट,110 वनडे, 41 टी-20 मुकाबलों में जीत हासिल की है. धोनी ने 350 वनडे में 50.58 की औसत 10773 रन बनाए है. इस दौरान उन्होंने दस शतक भी मारे हैं. ऐसे में क्रिकेट फैन्स को ये बात अच्छी नहीं लग रही है कि आखिर क्यों धोनी ने रिटायरमेंट की घोषणा की. अगर धोनी रिटायरमेंट लेने भी चाहते थे तो क्या उन्हें बीसीसीआई एक बेहतरीन विदाई नहीं दे सकता था.