‘पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता, महिलाओं के लिए साड़ी’, काशी विश्वनाथ मंदिर में लागू होगा श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड
नई दिल्ली: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास यहां स्थित मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ‘ड्रेस कोड’ (परिधान) लागू करने पर विचार कर रहा है। इसके लिए मंदिर न्यास की आगामी दिनों में होने वाली बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा। यह जानकारी न्यास के एक पदाधिकारी ने दी। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने शनिवार को कहा कि न्यास की आगामी बैठक में मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक परिधान (ड्रेस) निर्धारित करने का प्रस्ताव रखा जाएगा। हालांकि उन्होंने बैठक की तारीख नहीं बताई, सिर्फ इतना कहा कि बैठक नवंबर माह में होगी।
पांडेय ने कहा कि फिलहाल विश्वनाथ धाम आने वाले दर्शनार्थी शालीन और मर्यादित वस्त्र धारण करके आयें। उन्होंने कहा कि ‘‘काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को ऐसे मर्यादित वस्त्र पहनकर आना चाहिए जो देखने में अच्छा लगे।” पांडेय ने यह भी बताया कि ‘‘पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता और महिलाओं के लिए साड़ी पहन कर ही गर्भगृह में दर्शन पूजन करने को लेकर मंदिर न्यास की अगली बैठक में प्रस्ताव रखे जाने के सुझाव मिले हैं।” उन्होंने कहा कि न्यास की बैठक में विचार-विमर्श के बाद ही इस पर फैसला लिया जाएगा।
पांडेय ने कहा कि ”स्थानीय लोगों, भक्तों और मीडिया के सदस्यों की ओर से भी मांग की गई है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में एक ‘ड्रेस कोड’ होना चाहिए और यह मुद्दा नवंबर में होने वाली बैठक के दौरान विचार-विमर्श के लिए उठाया जाएगा।” उन्होंने कहा कि ”हाल के दिनों में, काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है और यह मांग उठने लगी है कि देश के अन्य प्रमुख मंदिरों की तरह एक ड्रेस कोड लागू किया जाए।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ” हमें मामले की व्यावहारिकता के बारे में भी सोचना होगा।”
प्रोफेसर पांडेय ने कहा, “जो लोग तिरुपति मंदिर के साथ-साथ मीनाक्षी और उज्जैन मंदिर भी गए हैं, वे यहां आते हैं और इस पर चर्चा करते हैं। यह मामला विभिन्न क्षेत्रों से हमारे पास आ रहा है और हम देखेंगे कि हम (न्यास) सर्वसम्मति से क्या निर्णय ले सकते हैं।” उन्होंने कहा कि यह देखना और चर्चा करना होगा कि चीजों को कैसे आगे बढ़ाया जाए।
पांडेय ने कहा, हम यह भी अध्ययन करेंगे कि इसे देश के अन्य मंदिरों में ‘ड्रेस कोड’ कैसे लागू किया जा रहा है, हमें यह देखना होगा कि आने वाले लोग शालीन कपड़े पहने हों। उन्होंने कहा कि दूर-दूर से लोग पूरी श्रद्धा के साथ आते हैं और दर्शनों के लिए कतार में लग जाते हैं। उन्हें रोका नहीं जा सकता या उन्हें नए कपड़े खरीदने और चेंजिंग रूम की व्यवस्था करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह बहुत जटिल मुद्दा है। उन्होंने दोहराया कि अभी तक यहां आने वाले लोगों पर कोई ‘ड्रेस कोड’ लागू नहीं है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के जनसम्पर्क अधिकारी पीयूष तिवारी ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शनार्थियों के लिए अभी कोई ‘ड्रेस कोड’ लागू नहीं है। उन्होंने बताया कि मात्र अर्चकों के लिए दो सेट पोशाक न्यास की तरफ से देने का निर्णय लिया गया है, जिसे लागू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मंदिर में पुजारी अभी तक धोती पहनते हैं लेकिन अब उनके लिए जाड़े में चादर और गर्मी में दुपट्टा दिया जाएगा, इस पर न्यास का लोगो होगा, जो उनकी पहचान बताएगा।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ धाम के नये स्वरूप के निर्माण में लगभग पौने तीन वर्ष लगे और इस पर सात सौ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। 13 दिसंबर 2021 को मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ धाम के नये स्वरूप का लोकार्पण किया था। आठ मार्च, 2019 को वाराणसी का कायाकल्प करने वाली ‘श्री काशी विश्वनाथ धाम परियोजना’ की आधारशिला मोदी ने ही रखी थी। एक सरकारी बयान के मुताबिक श्री काशी विश्वनाथ धाम परियोजना से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिला है। इसके अनुसार यह परियोजना पांच लाख वर्ग फुट में बनाई गई है और श्री काशी विश्वनाथ धाम मंदिर को गंगा के तट से जोड़ा गया है।