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डायबिटीज मरीज इन सफेद चीजों का भूलकर भी न करें सेवन, सेहत के लिए हो सकता है खतरनाक

नई दिल्‍ली : मधुमेह या डायबिटीज एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसमें पीड़ित की का ब्लड शुगर या ब्लड ग्लूकोज बढ़ता रहता है। डायबिटीज का कोई पक्का इलाज नहीं है और इसे सिर्फ एक हेल्दी डाइट के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है। अब सवाल यह पैदा होता है कि डायबिटीज के मरीजों को ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए क्या खाना चाहिए?

खाने की अलग-अलग चीजों से शरीर को अलग-अलग पोषक तत्व मिलते हैं। जाहिर है डायबिटीज का मरीज हो या कोई सामान्य इंसान, उसके शरीर के बेहतर कामकाज के लिए प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन और अन्य सभी पोषक तत्व जरूरी हैं। लेकिन जब कार्ब्स की बात आती है, तो शुगर के मरीजों को इसके कम या छोड़ने की सलाह दी जाती है।

हालांकि भोजन में तीन मुख्य प्रकार के कार्बोहाइड्रेट होते हैं: स्टार्च, शुगर और फाइबर। स्टार्च और शुगर डायबिटीज वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या है क्योंकि शरीर इन्हें ग्लूकोज में तोड़ देता है। इसी तरह रिफाइंड कार्ब्स, या रिफाइंड स्टार्च प्लेटों तक पहुंचने से पहले प्रोसेसिंग के जरिए टूट जाते हैं। इस वजह से शरीर उन्हें जल्दी अवशोषित कर लेता है और उन्हें ग्लूकोज में बदल देता है। इससे ब्लड शुगर (Blood Sugar) बढ़ जाता है। रोजाना खाई जाने वाले सफेद रंग की कुछ चीजें स्टार्च और शुगर जैसे कार्ब्स से भरी होती हैं, जिनका सेवन ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है।

पास्ता
पास्ता सॉस, क्रीम, चीज़ और बहुत सारे मक्खन से बनाया जाता है। इससे आपको 1,000 कैलोरी, 75 ग्राम फैट और लगभग 100 ग्राम कार्बोहाइड्रेट मिलता है। यह मैदे से बना होता है जोकि ब्लड शुगर (blood sugar) को बढ़ा सकता है। इससे मोटापा बढ़ने का भी खतरा होता है।

आलू
आलू लगभग सभी को पसंद होता है और इसके बिना कोई भी सब्जी मजेदार नहीं लगती है। प्रति 100 ग्राम आलू में 97 किलो कैलोरी, 22.6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 0.1 ग्राम वसा, 1.6 ग्राम प्रोटीन और 0.4 ग्राम फाइबर मिलता है। आलू में कुल कैलोरी का 98% कार्बोहाइड्रेट के रूप में आता है। इसमें हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है और यह डायबिटीज के रोगियों के लिए उचित नहीं है।

मैदा
इसमें लगभग स्टार्च (73.9%) होता है जबकि विटामिन, मिनरल्स और फाइबर की मात्रा कम होती है। मैदे से बनी कोई भी चीजों का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है। मैदा का अधिक सेवन कब्ज से जुड़ा होता है। मैदे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत ज्यादा होता है। यह डायबिटीज और मोटापे से पीड़ित रोगियों के लिए ठीक नहीं है।

चीनी
चीनी से बने मीठे खाद्य पदार्थों में ज्यादातर शुगर और खराब कार्बोहाइड्रेट होते हैं। इनमें बहुत कम या कोई पोषण मूल्य नहीं होता है और यह ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा सकती हैं। चीनी से वजन बढ़ाने, हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम भी अधिक होता है।

चावल
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग सफेद चावल खाते हैं उनमें टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। इसका मतलब यह है कि यदि आपको प्री-डायबिटीज है, तो आपको चावल खाने पर विचार करना चाहिए। सफेद चावल में हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जिसका अर्थ है कि यह ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है।

सफेद ब्रेड
सफेद ब्रेड सफेद आटे से बनी होती है, जोकि रिफाइंड स्टार्च से भरी होती है। यह चीजें चीनी की तरह काम करती है और बहुत जल्दी पच जाती है। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है, जिसका अर्थ है कि जब इसे खाया जाता है, तो उनमें फाइबर की कमी होती है।

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