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हीरक जयंती वार्षिक दिवस समारोह : सिमपो से तय किया सीमैप तक का सफर


भारतीय किसानों के जीवन को दिया बदल
इन वर्षों के दौरान, सीमैप ने बुंदेलखंड, विदर्भ, कच्छ और मराठवाड़ा जैसे वर्षा-आधारित क्षेत्रों में लेमनग्रास और पामारोजा की खेती को बढ़ावा दिया है. संस्थान द्वारा (एनबीआरआई के साथ मिलकर) बीजीआर-34 जैसे एंटी-डायबिटिक दवा भी बनायी है जो कि आज एक प्रभावकारी और सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा है. हाल ही में संस्थान, सीएसआईआर-अरोमा मिशन के द्वारा सगंध फसलों की खेती तथा प्रसंस्करण भी कर रहा है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को हिंद महासागरीय देशों में औषधीय पौधों के ज्ञान और वाणिज्य के आदान-प्रदान के लिए समन्वय केंद्र के रूप में भी स्थापित किया गया है.
समारोह की शुरुआत डॉ. आलोक कालरा (कार्यवाहक निदेशक, सीमैप) ने की, जिन्होंने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया और अपने वार्षिक दिवस व्याख्यान में सीमैप की पिछले 60 वर्षों के दौरान की उपलब्धियों को बताया. इस अवसर पर ‘सीएसआईआर-सीमैप वार्षिक रिपोर्ट 2018′,’सीएसआईआर-सीमैप के 60 वर्षों के संस्मरण’, पेपरमिंट की एक उन्नत किस्म (सिम-मोहक), हर्बल उत्पाद (मेंथोफ्रेश माउथ क्लेंसर) तथा मेंथा-मित्र मोबाइल ऐप का प्रो. अनिल कुमार गुप्ता और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में विमोचन हुआ. समारोह में डॉ आलोक कालरा द्वारा मुख्य अतिथि को शॉल एवं मिमेंटो द्वारा सम्मानित किया गया। समारोह में आभार भाषण डॉ. एम. पी दारोकर द्वारा दिया गया.